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किसानों ने बंद की चिल्ला बॉर्डर

कमेटी बनाकर सुलझाएं मामला- सुप्रीम कोर्ट
नए किसान कानूनों को लेकर किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच जारी विवाद अभी खत्म नहीं हुआ है। केंद्र सरकार ने साफ कर दिया है कि नए कृषि कानून वापस नहीं होंगे बल्कि उनमें संशोधन किया जा सकता है। वहीं किसान संगठन तीनों कानूनों को रद्द करने की मांग पर डटे हुए हैं। इस विवाद के बीच किसान संगठनों ने दिल्ली से सटी चिल्ली बॉर्डर को भी बंद कर दिया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट में भी आज ही इस विषय पर भी सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि वे किसान संगठनों का पक्ष भी सुनेंगे, साथ ही सरकार से पूछा कि अब तक समझौता क्यों नहीं हुआ है। आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने किसान संगठनों को भी नोटिस दिया है। कोर्ट ने कहा कि ये एक राष्ट्रीय मुद्दा है, इसलिए ऐसे मामले आपसी सहमति से ही सुलझाए जाने चाहिए। साथ ही कोर्ट ने सरकार और किसान संगठनों से कहा कि है वे एक कमेटी का गठन करें और आपस में चर्चा कर करें। कोर्ट में वकील जीएस मणि ने कहा कि मैं किसान परिवार से हूं, इसलिए अपील की है। कोर्ट के पूछे जाने पर वकीन ने बताया कि उनकी जमीन तमिलनाडु में है। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि तमिलनाडु की स्थिति को पंजाब-हरियाणा के किसानों से तुलना नहीं की जा सकती है। कोर्ट ने कहा कि जो याचिकाकर्ता हैं, उनके पास कोई ठोस दलील नहीं है। ऐसे में रास्ते किसने बंद किए हैं। तभी सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि किसान प्रदर्शन कर रहे हैं और दिल्ली पुलिस ने रास्ते बंद किए हैं। सुनवाई के दौरान एक बार जब चीफ जस्टिस ने पूछा था कि आप चाहते है कि दिल्ली से लगी बॉर्डर खोल दी जाए। तो इसके जवाब में वकील ने कहा कि कोर्ट ने शाहीन बाग केस में सुनवाई के दौरान भी कहा था कि सड़कें जाम नहीं होनी चाहिए। तभी चीफ जस्टिस ने वकील को टोकते हुए कहा कि शाहिन बाग में कितने लोगों ने रास्ता रोका था? कानून व्यवस्था के मामलों में मिसाल नहीं दी जा सकती है। चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान पूछा कि क्या किसान संगठनों को केस में पार्टी बनाया गया है। गौरतलब है कि कई किसान संगठनों से जुड़े हजारों किसान बीते कई दिनों से हाईवे पर डेरा जमाकर बैठे है और आंदोलन कर रहे हैं। इस कारण से आवाजाही प्रभावित हो रही है और यात्रियों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
याचिका में दलील, आम लोगों को हो रही परेशानी – दरअसल हाईवे जाम करके किसानों के आंदोलन के खिलाफ लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिका में कहा गया था कि इससे आम लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट आज इस मामले में सुनवाई करेगा। मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे, जस्टिस एएस बोपन्ना और जस्टिस वी. रामसुब्रमण्यम की बेंच इस मामले में सुनवाई करेगी। सुप्रीम कोर्ट में किसान आंदोलन से जुड़ी अब तक 3 याचिकाएं दाखिल की गई हैं।
कच्छ में पंजाबी किसानों से मिले पीएम मोदी, किसानों से कही ये बात- प्रधानममंत्री मोदी मंगलवार को अपने गुजरात दौरे के दौरान पंजाबी किसानों से भी मिले। यहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कच्छ में दुनिया के सबसे बड़े नवीकरणीय ऊर्जा पार्क (Worlds Largest Renewable Energy Park) का शिलान्यास भी किया। इस दौरान किसान आंदोलन का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कुछ लोग किसानों को लेकर राजनीति कर रहे हैं और किसानों के कंधे पर बंदूक रखकर चला रहे हैं।उन्हें देश का किसान परास्त करके रहेगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि दिल्ली के आसपास आजकल किसानों को डराने की साजिश चल रही है। प्रधानमंत्री ने पूछा कि क्या अगर कोई आपसे दूध लेने का कॉन्ट्रैक्ट करता है, तो क्या भैंस लेकर चला जाता है? जैसी आजादी पशुपालकों को मिल रही है, वैसी ही आजादी अब सरकार अनाज उत्पादक किसानों को भी दे रही है।

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