United Nations

आपसी संवाद और सहयोग की पुकार ‘भूराजनैतिक तनाव चरम पर’

ईरान के शीर्ष सैन्य जनरल की अमेरिकी हमले में मौत से खाड़ी क्षेत्र में उपजे ज़बरदस्त तनाव के बीच यूएन महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने सोमवार को अपने संदेश में संवाद और अंतरराष्ट्रीय सहयोग को नए सिरे से शुरू करने की अपील की है. यूएन प्रमुख ने कहा कि नए वर्ष की शुरुआत विश्व में तनाव व उथल-पुथल से हुई है और ऐसे में सभी पक्षों द्वारा संयम बरता जाना ज़रूरी है.
यूएन प्रमुख ने सोमवार को न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में मीडिया को संबोधित करते हुए बताया कि वह विश्व में बढ़ते तनाव से चिंतित हैं और घटनाक्रम पर नज़र रखे हुए हैं. “हम एक ख़तरनाक समय में रह रहे हैं और भूराजनैतिक तनाव इस सदी में अपने उच्चतम स्तर पर है. और ये झंझावात बढ़ते जा रहे हैं.”
“मेरा संदेश स्पष्ट और सरल है: तनाव को रोकिए, अधिकतम संयम बरतिए. संवाद फिर शुरू कीजिए. अंतरराष्ट्रीय सहयोग को पुनर्जीवित कीजिए.”
उन्होंने चिंता जताते हुए कहा कि इन हालात में यह मान कर नहीं चला जा सकता कि परमाणु अप्रसार का लक्ष्य पूरा होकर ही रहेगा.
हालांकि अपने संबोधन में महासचिव ने इराक़ में पिछले शुक्रवार को अमेरिकी कार्रवाई में ईरान के प्रभावशली सैन्य जनरल क़ासिम सुलेमानी की मौत और उसके बाद बदले घटनाक्रम का सीधे तौर पर उल्लेख नहीं किया.
ईरान ने कुद्स सुरक्षा बलों के कमांडर की मौत का बदला लेने की बात कही है और रविवार को स्पष्ट कर दिया कि उसके परमाणु कार्यक्रम पर लगी उन पाबंदियों का पालन करने से अब वह बंधा नहीं है जिन पर वर्ष 2015 में हुए एक समझौते (Joint Comprehensive Plan of Action) में सहमति बनी थी.
यूएन प्रमुख ने ध्यान दिलाया कि युद्ध का नतीजा भयावह मानवीय पीड़ा के रूप में सामने आता है और हमेशा आम लोग ही उसकी सबसे बड़ी क़ीमत चुकाते हैं.
उन्होंने कहा कि बढ़ते तनाव के कारण ऐसे देशों की संख्या बढ़ रही है जो ऐसे निर्णय ले रहे हैं जिनका अनुमान लगा पाना कठिन है. इसके जो नतीजे होंगे उन्हें सोच पाना भी कठिन है और ग़लतियां होने का ख़तरा गहरा है.
साथ ही हम व्यापार और तकनीक से जुड़े बदलावों और उसके परिणामों को देख रहे हैं जिससे विश्व बाज़ार दरक रहा है, आर्थिक वृद्धि को नुक़सान पहुंच रहा है और असमानता बढ़ रही है. और यह सब एक ऐसे समय में हो रहा है जब पृथ्वी आग की चपेट में है और जलवायु संकट बढ़ता जा रहा है. हर जगह लोग हताश और नाराज़ हैं.
“हम बढ़ती सामाजिक अशांति, चरमपंथ, राष्ट्रवाद और कट्टरपंथ को देख रहे हैं और विश्व के कई हिस्सों, विशेषकर अफ़्रीका, में आतंकवाद को पैर पसारते देख रहे हैं.”
उन्होंने कहा कि ये हालात इस तरह आगे जारी नहीं रह सकते.

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