Chhattisgarh State

मुख्यमंत्री की पहल पर शुरू हुए पोषण पुनर्वास केंद्र में खिलने लगा बचपन डेढ़ महीने के अंदर 8 बच्चों के चेहरे पर लौटी मुस्कान

पाटन,27 नवंबर 2019/ कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में पोषण पुनर्वास केंद्रों की बड़ी भूमिका है। पोषण पुनर्वास केंद्रों के माध्यम से कुपोषित बच्चों के जीवन में सेहत की बहार लाने की कोशिश को काफी सफलता मिली है और कई बच्चों के चेहरे पर मुस्कान लौट आई है। पाटन का पोषण पुनर्वास केन्द्र भी अब कुपोषण मुक्ति के अभियान में सहभागिता निभाने लगा है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर 2 अक्टूबर 2019 को पाटन के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के साथ पोषण पुनर्वास केंद्र का भी शुभारंभ किया गया। तब से लेकर अब तक 8 बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कर लाभ पहुंचाया जा चुका है।
पोषण पुनर्वास केंद्र में आने के बाद न केवल बच्चों की सेहत में सुधार हुआ है बल्कि कई बच्चे जो पहले काफी चिड़चिड़े और सुस्त थे वे अब स्वस्थ और हंसमुख हो गए हैं। पाटन ब्लाक के ठकुराइन टोला निवासी कल्याणी और भारत का करीब ढाई साल का बेटा गगन जब पोषण पुनर्वास केंद्र में आया तो उसका वजन काफी कम लगभग 8 किलो 400 ग्राम था। ढाई साल के बच्चे में जो चंचलता और चपलता होनी चाहिए वह गगन में नजर नहीं आती थी । मां बाप भी परेशान रहते। इसके बाद आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने गगन की मां को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जांच करवाने की सलाह दी। जांच के बाद डॉक्टर ने बताया कि बच्चा गंभीर रूप से कुपोषित है और उसे विशेष देखभाल की जरूरत है। इसके बाद पोषण पुनर्वास केंद्र में उसकी देखभाल शुरू की गई। अच्छे पोषण के साथ-साथ अच्छा इलाज भी उपलब्ध कराया गया। सिर्फ 15 दिन के अंदर गगन के वजन में लगभग 2 किलोग्राम की वृद्धि हुई। इतना ही नहीं सुस्त सा रहने वाला गगन अब इतना चंचल हो गया कि पूरे वार्ड में उसकी हंसी और किलकारियां गूंजने लगी। बठेना के रहने वाले मधु और सुनील वर्मा के 3 साल के बेटे पूरब की कहानी भी ऐसी ही है। पूरब का वजन भी लगभग 10 किलोग्राम था। पोषण पुनर्वास केंद्र में आने से पहले पूरब का स्वभाव काफी चिड़चिड़ा था। कमजोरी और बीमारी के कारण वह न ठीक से खाता था न खेलता था। लेकिन पोषण पुनर्वास केंद्र में रहने के बाद पूरब पहले से काफी सक्रिय हो गया। साथ ही उसकी खुराक में भी अच्छी वृद्धि हुई। जिसके परिणाम स्वरूप न केवल उसका वजन बढ़ा बल्कि सेहत में भी सुधार हुआ। पोषण पुनर्वास केंद्र में श्रीमती अनीता ने बताया कि उनके 9 महीने के बेटे बीनेश के स्वास्थ्य में यहां काफी सुधार हुआ है। पहले बेटा काफी चिड़चिड़ा था ठीक से दूध नहीं पीता था और उसका वजन भी नहीं बढ़ रहा था। लेकिन पोषण पुनर्वास केंद्र में उसे और उसके बेटे को बहुत अच्छी देखभाल मिली। इसी तरह फंुडा बस्ती की पूनम की बेटी दिव्या गंभीर कुपोषित अवस्था में 6 महीने की उम्र में पोषण पुनर्वास केंद्र में आई थी। भर्ती के समय दिव्या का भजन 3.96 किलोग्राम था 15 दिनों की सतत देखभाल और इलाज से दिव्या की सेहत में काफी सुधार हुआ है। इसी तरह बंेद्री की अंजू और मुकेश ठाकुर का 11 महीने का बेटा सूर्या, सेवती और जितेंद्र की बेटी होमेश्वरी और अखरा बस्ती की चिंकी को पोषण पुनर्वास केंद्र में रखकर उनकी देखभाल की जा रही है, जिससे उनकी सेहत में काफी सुधार आ रहा है। पोषण पुनर्वास केंद्र में दिल के मरीज 9 माह के दाऊ की भी हो रही देखभाल पाटन की बीपीएम पूनम साहू ने बताया कि चिरायु टीम द्वारा आंगनवाड़ी केंद्र में बच्चों की नियमित स्वास्थ्य जांच की जाती है। इस दौरान पता लगा कि 9 महीने के दाऊ को दिल की बीमारी है और वह काफी कमजोर है। डॉक्टर ने जांच के बाद बताया कि ऑपरेशन करवाना होगा, लेकिन इससे पहले दाऊ को अच्छी देखभाल की जरूरत है। उसे पोषण पुनर्वास केंद्र में रिफर किया जिससे उसके पोषण स्तर में सुधार आ सके। जल्द ही दाऊ का दिल का ऑपरेशन करवाया जाएगा।
पाटन ब्लॉक के विकासखण्ड चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर आशीष शर्मा ने बताया कि पोषण पुनर्वास केंद्र में ऐसे बच्चों को ही रखा जाता है जिनमें गंभीर तीव्र कुपोषण होता है। समय से इसकी पहचान करके पोषण अनुपूरण एवं चिकित्सकीय इलाज एवं माता को परामर्श देकर सुधार किया जाता है। पोषण पुनर्वास केंद्र में 15 दिनों तक बच्चे की विशेष देखभाल की जाती है। इस दौरान बच्चे की मां के लिए भी केयरटेकर के रूप में रहने और अच्छे भोजन की व्यवस्था की जाती है।

Live Videos

Advertisements

Advertisements

Advertisements

Advertisements

Our Visitor

0511419