M.H. mumbai

Maharashtra Elections: अजीत पवार ने की बड़ी डिमांड, सीट शेयरिंग पर सहमति न बनने पर NDA छोड़ देंगे…

महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 सीटें हैं. सूत्र बता रहे हैं कि अजित पवार ने अमित शाह से लड़ने के लिए 80 से 90 सीटें मांग ली हैं वहीं, बीजेपी 2019 के फॉर्मूले को मेनटेन करने की कोशिश कर रही है। महाराष्ट्र के लोकसभा चुनाव से पहले तक अजित पवार हीरो थे। चुनाव में एनडीए को झटका लगा तो विलेन बना दिए गए अटकलें लगने लगी कि विधानसभा चुनाव में बीजेपी अजित पवार को डंप कर सकती है. अब कुछ ऐसा हुआ जिससे लग रहा है कि बीजेपी और अजित पवार का रिश्ता फिलहाल फेविकोल के अटूट जोड़ जैसा चलता रहेगा।

बरकरार रहेगा अलायंस : लोकसभा चुनाव के बाद बने नेगेटिव माहौल के बादल छंटने लगे हैं मामला अजित पवार के लिए पॉजिटिव हो चला है इसका संकेत है अजित पवार की अमित शाह से हुई मुलाकात दिल्ली आकर अजित पवार अमित शाह से मिले देर रात तक चली मुलाकात सीट शेयरिंग को लेकर हुई अजित पवार के बाद देवेंद्र फडणवीस भी दिल्ली आकर अमित शाह से मिले। यहां तक सब ठीक कि बीजेपी-शिवसेना- एनसीपी का अलायंस बरकरार रहेगा लेकिन अजित पवार ने ऐसी डिमांड कर दी कि अमित शाह भी सन्न रह गए।

अजीत पवार ने की बड़ी डिमांड – महाराष्ट्र में विधानसभा की 288 सीटें हैं। सूत्र बता रहे हैं कि अजित पवार ने अमित शाह से लड़ने के लिए 80 से 90 सीटें मांग ली हैं। इसका मतलब 80-90 सीटें एनसीपी लड़े. बाकी बची 200 सीटें बीजेपी और एकनाथ शिंदे की शिवसेना बांट ले। करीब 300 सीटें तीन पार्टियों में बंट जाए, इससे आदर्श क्या हो सकता है लेकिन बीजेपी-शिवसेना की बराबरी में अजित पवार लड़ेंगे, ये थोड़ा नहीं बहुत ज्यादा वाला मामला है।
बीजेपी 2019 के फॉर्मूले को मेनटेन करने की कोशिश कर रही है। बीजेपी ने 164 सीटें लड़ी थी। अभी भी इतने का ही प्लान है। एकनाथ शिंदे का इरादा 100 सीटों पर लड़ने का है। बस अजित पवार को चाहिए डबल सीटें एकनाथ शिंदे और अजित पवार का केस अलग है। 2019 के चुनाव में एकनाथ शिंदे उद्धव ठाकरे की शिवसेना में थे। बीजेपी-शिवसेना का अलायंस था। बीजेपी 164 और शिवसेना 126 पर लड़ी थी। चुनाव जीते भी लेकिन उद्धव ठाकरे ने बीजेपी को छोड़कर कांग्रेस-एनसीपी के साथ सरकार बना ली थी। तब अजित पवार एनसीपी के नेता थे। कांग्रेस से अलायंस में एनसीपी 54 सीटों पर जीती थी। कहा जा रहा है कि अजित पवार ने अमित शाह से एनसीपी की जीती हुई 54 सीटों के साथ और एक्स्ट्रा 20-30 सीटें मांग ली हैं।

धर्मसंकट में फंसी बीजेपी : लोकसभा चुनाव में अजित पवार को लड़ने के लिए तीन सीटें मिली थी. जीत एक सीट पर हुई। बारामती में सुनेत्रा पवार भी हार गईं. मतलब बहुत अच्छा नहीं तो बहुत खराब भी नहीं किया। बीजेपी-शिंदे ज्यादा लड़े और ज्यादा हारे बीजेपी की दिक्कत ये है कि अगर इग्नोर किया तो अजित पवार के शरद पवार के साथ लौटने का खतरा है। आधी से ज्यादा पार्टी टूटने के बाद भी शरद पवार की एनसीपी ने लोकसभा चुनाव में अच्छा किया। अजित पवार के लौटने से ताकत और बढ़ सकती है। वैसे भी जब से अजित पवार शरद पवार को छोडकर आए तब से घर वापसी की अटकलें लगती रहती हैं। चाचा-भतीजा के मिलने में नुकसान बीजेपी का ही है।
दिल्ली में अजित पवार से मिलने से पहले अमित शाह महाराष्ट्र में थे। पुणे की सभा शाह ने शरद पवार को भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा सरगना बोला था। तब से महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल मचा है। शाह का ये बयान उनको भी चुभ रहा है जो अजित पवार के चक्कर में एनसीपी छोड़कर तो आए लेकिन शरद पवार के आदर-सत्कार-सम्मान में कमी नहीं करते उन्होंने कहना शुरू किया कि पवार पर हमले के बदले में नुकसान मिलेगा।

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