Chhattisgarh State

कुपोषित बच्चों की जिंदगी में आई सेहत की बहार

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पोषण पुनर्वास केंद्र पाटन :
अच्छी देखभाल से बच्चे बन रहे सुस्त से तंदरुस्त
डेढ़ महीने के अंदर 8 बच्चों को मिला फायदा

दुर्ग, 20 नवंबर 2019 कुपोषण के खिलाफ लड़ाई में पोषण पुनर्वास केंद्रों की बड़ी भूमिका है। पोषण पुनर्वास केंद्रों के माध्यम से कुपोषित बच्चों के जीवन में सेहत की बहार लाने की कोशिश को काफी सफलता मिली है।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल द्वारा महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर 2 अक्टूबर 2019 को पाटन के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान के साथ पोषण पुनर्वास केंद्र का भी शुभारंभ किया गया। तब से लेकर अब तक 8 बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कर लाभ पहुंचाया जा चुका है। पोषण पुनर्वास केंद्र में आने के बाद न केवल बच्चों की सेहत में सुधार हुआ है बल्कि कई बच्चे जो पहले काफी चिड़चिड़े थे अब हंसमुख हो गए हैं और ऐसे बच्चे पहले जो काफी सुस्त थे अब तंदुरुस्त है। पाटन ब्लाक के ठकुराइन टोला निवासी कल्याणी और भारत का करीब ढाई साल का बेटा गगन जब पोषण पुनर्वास केंद्र में आया तो उसका वजन काफी कम (8 किलो 400 ग्राम था। ढाई साल के बच्चे में जो चंचलता और चपलता होनी चाहिए वह गगन मैं दूर-दूर तक नजर नहीं आती थी । मां बाप भी परेशान रहते। इसके बाद आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने गगन की मां को सलाह दी कि एक बार जाकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में जांच करवा लें। जांच के बाद डॉक्टर ने बताया कि बच्चा गंभीर रूप से कुपोषित है और उसे विशेष देखभाल की जरूरत है। इसके बाद पोषण पुनर्वास केंद्र में उसकी देखभाल शुरू की गई। अच्छे पोषण के साथ-साथ अच्छा इलाज भी उपलब्ध कराया गया। सिर्फ 15 दिन के अंदर गगन के वजन में लगभग 2 किलोग्राम की वृद्धि हुई। इतना ही नहीं सुस्त सा रहने वाला गगन अब इतना चंचल हो गया कि पूरे वार्ड में उसकी हंसी और किलकारियां गूंजने लगी। बठेना के रहने वाले मधु और सुनील वर्मा के 3 साल के बेटे पूरब की कहानी भी ऐसी ही है। पूरब का वजन भी 10.88 किलोग्राम था। पोषण पुर्नवास केंद्र में आने से पहले पूरब स्वभाव से काफी चिड़चिड़ा हुआ करता था। शायद कमजोरी और बीमारी के कारणवह ठीक से खाता नहीं था खेलता नहीं था। लेकिन यहां आने के बाद नतीजा देखने लायक था। पोषण पुनर्वास केंद्र में रहने के बाद न केवल पूरब पहले से काफी एक्टिव हो गया बल्कि उसका मन खेलने कूदने में भी लगने लगा। साथ ही उसकी खुराक में भी अच्छी वृद्धि हुई। जिसके परिणाम स्वरूप न केवल उसका वजन बढ़ा बल्कि सेहत में भी सुधार हुआ।
पोषण पुनर्वास केंद्र में हमारी बातचीत अनीता से हुई जिनका 9 महीने का बेटा बीनेश यहां पर भर्ती था। अनीता बताती हैं यहां आकर उनके बेटे बीनेश के स्वास्थ्य में काफी सुधार हुआ है। पहले बेटा काफी चिड़चिड़ा था ठीक से दूध नहीं पीता था और उसका वजन भी नहीं बढ़ रहा था। लेकिन पोषण पुनर्वास केंद्र में उसे और उसके बेटे को बहुत अच्छी देखभाल मिली। जिसके लिए वह पोषण पुनर्वास केंद्र के डॉ और अपनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का धन्यवाद करती हैं। इसके अलावा फंुडा बस्ती की पूनम की बेटी दिव्या जो गंभीर कुपोषित अवस्था में 6 महीने की उम्र में पोषण पुनर्वास केंद्र में आई थी। भर्ती के समय दिव्या का भजन 3.96 किलोग्राम था 15 दिनों की सतत देखभाल और इलाज से दिव्या की सेहत में काफी सुधार हुआ है। इसी तरह बंेद्री की अंजू और मुकेश ठाकुर का 11 महीने का सूर्या, सेवती और जितेंद्र की बेटी होमेश्वरी और अखरा बस्ती की चिंकी को पोषण पुनर्वास केंद्र में रखकर उनकी देखभाल की जा रही है जिससे उनकी सेहत में काफी सुधार आ रहा है।
आंगनबाड़ी केंद्र में जांच के दौरान 9 माह के दाऊ के दिल की बीमारी का हुआ खुलासा
पोषण पुनर्वास केंद्र में रखकर की जा रही है देखभाल जल्द होगा ऑपरेशन
पाटन की बीपीएम पूनम साहू बताती हैं कि चिरायु टीम द्वाराआंगनवाड़ी केंद्र में बच्चों की नियमित स्वास्थ्य जांच की जाती है। इस दौरान पता लगा कि 9 महीने के दाऊ को दिल की बीमारी है और वह काफी कमजोर है। जानकारी मिलते ही आंगनवाड़ी कार्यकर्ता ने दाऊ के माता-पिता से बातचीत की और उसे अस्पताल लाया गया। जहां डॉक्टर ने जांच के बाद बताया कि ऑपरेशन करवाना होगा । डॉक्टरों ने सलाह दी कि जरूरी औपचारिकताएं पूरी होने तक दाऊ को अच्छी देखभाल की जरूरत है । ताकि वो ऑपरेशन के लिए तैयार हो सके। इसलिए उसे पोषण पुनर्वास केंद्र में रिफर किया जिससे उसके पोषण स्तर में सुधार आ सके । मुख्यमंत्री बाल हृदय सुरक्षा योजना के तहत जल्द ही दाऊ का दिल का ऑपरेशन करवाया जाएगा।
क्या होते हैं पोषण पुनर्वास केंद्र – राज्य शासन द्वारा 5 वर्ष तक के गंभीर कुपोषित बच्चों की समुचित देखभाल के लिए पोषण पुनर्वास केंद्रों की स्थापना की गई है। यहां न केवल कुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य और पोषण का विशेष खयाल रखा जाता है बल्कि एक बेहतर वातावरण में बच्चे के सम्पूर्ण विकास पर जोर दिया जाता है। यहां पर कुपोषित बच्चे को जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है। साथ ही विशेषज्ञों की निगरानी में बच्चे के पोषण स्तर में सुधार लाने के लिए वैज्ञानिक विधि से तैयार पोषण आहार से अनुपूरण किया जाता है।
पाटन ब्लॉक के विकास खंड चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर आशीष शर्मा ने बताया कि उन्होंने बताया कि महिला एवं बाल विकास विभाग और स्वास्थ्य विभाग द्वारा चलाए जा रहे इस संयुक्त अभियान में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अपने आंगनबाड़ी केंद्र में आने वाले बच्चों के वजन और ऊंचाई की नियमित जांच करती है और अगर बच्चे का वजन और ऊंचाई ठीक से नहीं बढ़ रही तो वह स्वास्थ्य विभाग की मितानिन से संपर्क करती है। इसके बाद बच्चे को नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में ले जाकर उसकी जांच कराई जाती है। जरूरी होने पर डॉक्टर के द्वारा बच्चे को पोषण पुनर्वास केंद्र में रिफर किया जाता है। पोषण पुनर्वास केंद्र में 15 दिनों तक बच्चे की विशेष देखभाल की जाती है। इस दौरान बच्चे की मां के लिए भी केयरटेकर के रूप में रहने और अच्छे भोजन की व्यवस्था की जाती है। डॉक्टर शर्मा ने बताया कि पोषण पुनर्वास केंद्र में ऐसे बच्चों को ही रखा जाता है जो एस.ए.एम. अर्थात सीवियर एक्यूट माल न्यूट्रीशन कैटेगरी में आते हैं। जिसे गंभीर तीव्र कुपोषण भी कहते हैं। इसे समय से पहचान करके पोषण अनुपूरण एवं चिकित्सकीय इलाज एवं माता को परामर्श देकर सुधार किया जाता है।
बच्चे की सेहत में सुधार के लिए चरणबद्ध तरीके से किया जाता है कार्य
डॉ आशीष शर्मा ने बताया कि शुरुआती दौर में जब बच्चा पोषण पुनर्वास केंद्र में आता है तो उसका ऐपेटाइट टेस्ट किया जाता है । इसका मतलब यह होता है कि बच्चे को उसकी उम्र के हिसाब से ठीक से भूख लग रही है या नहीं। और यदि बच्चा यह टेस्ट पास नहीं कर पाता तो उसे डब्ल्यूएचओ के गाइडलाइंस के हिसाब से फार्मूला एफ 75 आहार दिया जाता है। पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, वसा और विटामिन होता है जिससे बच्चा आसानी से बचा सकता है। इसके बाद 2 से लेकर 7 दिन तक बच्चे को दवाइयों के साथ-साथ एफ 75 आहार दिया जाता है। जैसे जैसे बच्चे की हालत में सुधार होता है उसका डाइट चेंज कर उसे फार्मूला एफ 100 आहार दिया जाता है। इसके अलावा बच्चे की मां को घर में अपनाए जाने वाले साफ सफाई और पोषण से संबंधित जरूरी जानकारियां भी दी जाती है। पोषण पुनर्वास केंद्र से बच्चे के जाने के बाद भी बीच-बीच में फॉलोअप जरूरी होता है। इसलिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ता फॉलोअप के लिए बच्चे और उसकी मां को साथ लेकर आती है।
क्या होता है फार्मूला 75 और फार्मूला 100
कुपोषित बच्चों को सामान्य श्रेणी में लाने के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया उपचारात्मक आहार होता है। इसमें छोटे बच्चों की शारीरिक जरूरत के हिसाब से पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, वसा, विटामिन और अन्य पोषक तत्व मौजूद होते हैं। कुपोषित बच्चे को शुरुआती ट्रीटमेंट के दौरान फार्मूला 75 आहार दिया जाता है जिसे स्टार्टर फार्मूला भी कहते हैं। इसी तरह फार्मूला 100 को कैच अप फार्मूला भी कहते हैं। जब कुपोषित बच्चा पुनर्वास केंद्र में आता है तो उसके पाचन शक्ति की जांच करने के बाद निर्णय लिया जाता है कि उसे कौन सा फार्मूला देना है। यदि बच्चे की पाचन क्षमता अच्छी है तो उसे फार्मूला 100 दिया जाता है लेकिन यदि बच्चे की पाचन क्षमता कमजोर है तो उसे फार्मूला 75 दिया जाता है। जिसमें प्रति 100 मिलीलीटर 75 किलो कैलोरी ऊर्जा और 1 ग्राम प्रोटीन की मात्रा होती है। इसी तरह फार्मूला 100 में प्रति 100 मिली लीटर 100 किलो कैलोरी ऊर्जा और प्रोटीन की मात्रा 3 ग्राम होती है। कुपोषित बच्चे को 24 घंटे में नियमित अंतराल में 45 मिलीलीटर के मान से 12 बार यहआहार दिया जाता है ।
बच्चे की माता को को दिया जाता है तीन समय का भोजन और प्रतिदिन 150 रुपए का गुजारा भत्ता
पोषण पुनर्वास केंद्र में आने वाले बच्चे अक्सर गरीब परिवार के होते हैं। आर्थिक स्थित अच्छी नहीं होने के कारण या माता पिता के बहुत सारे बच्चे होने के कारण या जागरूकता के अभाव में बच्चों के पोषण पर ठीक से ध्यान नहीं दिया जाता। जिसके कारण बच्चे कुपोषित हो जाते हैं। पोषण पुर्नवास केन्द्रों में बच्चे के साथ उसकी माता को केयरटेकर के रूप में रहने की व्यवस्था की जाती है। इस दौरान महिला को तीन समय का संतुलित भोजन जिसमें दाल,चावल, रोटी, सब्जी, अचार, पापड़ और सलाद आदि होता है। साथ ही बच्चे की मां को प्रतिदिन के हिसाब से 150 रुपए गुजारा भत्ता भी दिया जाता है, ताकि महिला की रोजी का नुकसान भी न हो। इसके अलावा यहां आने वाली महिलाओं की निः शुल्क स्वास्थ्य जांच की जाती है और दो से अधिक बच्चे की माता को परिवार नियोजन की सलाह दी जाती है ताकि वह परिवार में अच्छी तरह से बच्चों का भरण पोषण कर पाए और उसकी सेहत भी अच्छी बनी रहे। आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को भी बच्चे को पोषण पुनर्वास केंद्र तक लाने के लिए प्रोत्साहन राशि दी जाती है।
क्यों जरूरी है शुरुआती 5 साल में बच्चों के पोषण का ध्यान रखना
बच्चे के जन्म से लेकर 5 साल तक उम्र उसके शारीरिक और मानसिक विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है। इसलिए इन शुरुआती 5 सालों में अगर बच्चे के वजन और ऊंचाई ठीक से नहीं बढ़ रही,मांसपेशियों का विकास नहीं हो रहा तो ये लक्षण कुपोषण के हैं। भोजन में पोषक तत्त्वों की कमी या लंबी बीमारी भी कुपोषण कारण हो सकती है। कुपोषण से बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है। अगर बचपन में बच्चों का सही ध्यान नहीं रखा गया तो बड़े होने के बाद उन्हें बहुत सी समस्याएं हो सकती है। इसलिए इस दौरान बच्चों के पोषण और स्वास्थ्य का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।

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