सरपंच द्वारा प्रतिदिन एक लीटर दूध देकर कुपोषण दूर करने की जा रही कवायद
ग्राम पंचायत बोड़रा निवासी कृषक श्री चंदन साहू एवं श्रीमती रजनी साहू के सवा साल के पुत्र सयांश अब सुपोषित होने की ओर अग्रसर है। सयांश के जन्म के समय में उसका वजन सामान्य था। जन्म के बाद उसका तालू कटा होने की वजह से स्तनपान करने में कठिनाई होने लगी और सयांश का वजन अपेक्षाकृत नहीं बढ़ा। आंगनबाड़ी केन्द्र क्रमांक-02 बोड़रा की कार्यकर्ता श्रीमती सविता साहू द्वारा गृहभेंट कर वजन माप लिया गया, तब पता चला कि सयांश का वजन जन्म की अपेक्षा कम होता जा रहा है। अस्पताल में इलाज कराने पर पता चला कि सयांश का तालू कटा है, जिसकी वजह से वह स्तनपान नहीं कर पा रहा और उसका वजन दिन-ब-दिन कम होता जा रहा था। साथ ही उसे उल्टी-दस्त की शिकायत भी होने लगी। इसके बाद सयांश को जिला अस्पताल स्थित एन.आर.सी. में भी भर्ती कराया गया। कटे तालू के लिए चिरायु दल द्वारा शिविर लगाकर ऑपरेशन के लिए चिन्हांकन किया गया तथा सयांश का वजन आठ किलोग्राम होने के बाद ऑपरेशन करने की बात कही गई।
प्रदेश में मुख्यमंत्री सुपोषण योजना शुरू कर जहां कुपोषित बच्चों, गर्भवती और शिशुवती माताओं को अण्डा, दूध सहित गर्म पका भोजन दिए जाने की कवायद की जा रही है। वहीं जिले के ग्राम पंचायत बोड़रा की सरपंच श्रीमती फुलवा बाई द्वारा कुपोषित मासूम सयांश को गोद लेकर उसे सुपोषित करने के उद्देश्य से 12 सितंबर से प्रतिदिन एक लीटर दूध दिया जा रहा है। इससे सयांश का वजन 4.7 ग्राम से बढ़कर अब 5.3 हो गया है। उनके द्वारा यह दूध छः माह तक दिया जाएगा।
ज्ञात हो कि ग्राम पंचायत बोड़रा में तीन आंगनबाड़ी केन्द्र संचालित हैं, जिसमें से केन्द्र क्रमांक-01 रेड केन्द्र है। यहां 12 से अधिक कुपोषित बच्चे हैं, इसलिए मुख्यमंत्री सुपोषण योजना के तहत इसे रेड केन्द्र कहा गया है। यहां 3-6 वर्ष तक के 13 बच्चे दर्ज हैं, जिसमें से 07 मध्यम कुपोषित हैं। इसी तरह 08 गर्भवती और 07 शिशुवती माताएं दर्ज हैं। इस केन्द्र को यथासंभव पंचायत प्रतिनिधियांे द्वारा गोद लिया गया है तथा पंचायत प्रतिनिधियों द्वारा लड्डू बनाने की सामग्री और चना-मूंग दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान शुरू होने के पहले महिलाएं आंगनबाड़ी केन्द्र में खाना खाने आने में रूचि नहीं लेती थीं, किन्तु खाने में अण्डा दिए जाने के बाद केन्द्र में महिलाओं की उपस्थिति बढ़ी है। इसी तरह बच्चों में भी परिवर्तन आया है। दो बच्चे मध्यम कुपोषण से सामान्य में आए हैं, वहीं तीन बच्चों के वजन में परिवर्तन आया है। वासिनी का वजन 9.3 से 9.9 किलोग्राम, राजकुमार का वजन 12 से 12.5 और भामिनी का वजन 9.4 ये 9.8 हो गया है। शेष बच्चों के वजन में भी 200 से 300 ग्राम की बढ़ोत्तरी हुई है।
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