Chhattisgarh State

मशरूम उत्पादन से मिल रही महिला संगठन को आजीविका की नई राह

पहली खेती कलेक्टर और सीईओ को भेंट कर किया आभार व्यक्त

जिला प्रशासन सूरजपुर के सहयोग से प्रगति महिला ग्राम संगठन तिलसिवां द्वारा आयस्टर मशरूम की खेती की जा रही है। जिसकी पहली फसल तोड़कर संगठन द्वारा कलेक्टर एवं मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत को भेंट देकर आभार व्यक्त किया। महिला संगठन द्वारा जिला प्रशासन द्वारा कराये गये प्रशिक्षण उपरांत 19 अक्टूबर से अबतक 1046 मशरूम बैग तैयार किये गये हैं। जिसका विक्रय मुल्य 2 लाख रूपये है, जिसका विक्रय किया जायेगा। जिला प्रशासन द्वारा भविष्य में मशरूम के व्यापक व्यापार हेतु मशरूम सेड का निर्माण किया जा रहा है, जिसमें 32 महिला सदस्य एक साथ उन्नत तरीके से मशरूम का उत्पादन करेंगी। कलेक्टर श्री दीपक सोनी ने द्वितीय चरण में महिलाओं को मशरूम से उत्पादित अन्य उत्पाद जैसे- मशरूम आचार, मशरूम पापड़, मशरूम बड़ी, मशरूम पावडर आदि के लिये प्रशिक्षित किये जाने निर्देश दिये हैं। जिससे महिलाओं को मशरूम उत्पादन से शत् प्रतिशत् लाभ मिल सके।
19 अक्टूबर सें शुरू हुआ महिला ग्राम संगठन के द्वारा मशरूम की खेती में चंद दिनों में एक लाख रुपये का आर्डर प्राप्त करने के बाद अब इसके वजह से मिली पहचान की उत्साह से अपनी पहली फसल पूर्णतः बिक्री का लक्ष्य लेकर लगातार बढ़ रही है।महिला संगठन के करीब 32 सदस्यों ने अलग अलग जैविक मशरूम की खेती को जानने के बाद चंद दिनों के फासले में ही उनके गांव सहित आसपास के ग्रामीण जो कभी मशरूम का नाम सुन इसे उपयोग करने के लिए हिचक थी वह अब इसमें शामिल विटामिन कि जानकारी प्राप्त कर अपने घर पर खाने के सब्जियों में सबसे अधिक रूचि लेकर धारणा के साथ उपयोग कर रहे हैं।यह बदलाव अपने आप में ही एक सफलता के तरफ बढतें ठोस इरादे और लग्न के साथ मेहनत करनें के लिए महिलाओं को जब उनके आसपास में ही प्रोत्साहन देने की शुरुआत होने से एक सफल व्यवसाय के रूप में इसे तब्दील कर अपने अपने परिवार को आर्थिक रूप आत्मनिर्भर बनाने के लिए निरंतर लगी हुई है। इसी संगठन की कुछ महिलाओं ने बताया कि इसकी शुरुआत करनें के लिए जिला पंचायत के माध्यम से मिली प्रशिक्षण के बाद लगातार जिलें के कलेक्टर दीपक सोनी द्वारा बदलाव के लिए खुद सें शुरुआत करनें कि प्रेरणा से शुरुआत कर अब इस व्यवसाय के माध्यम से कभी अपने सपनों को पूरा करने के लिए इनके सामने परिवारीक आर्थिक उलझनों कि वजह से समझौता करनें कि मजबूरीयो सें अब निजात देने वाला माध्यम बनकर सामने आया है।इस शुरुआत के बाद इन घरेलू कामकाजी महिलाओं ने अपने परिवार के लिए सुनहरे भविष्य के लिए शिक्षा, आवास सहित अन्य जरूरत को पूर्ण करने के लिए हर दिन घर के कामकाज के साथ साथ इसका उत्पादन में सामूहीक रूप से करनें के लिए डटी हुई है। इस दौरान अबतक फासलों के बीच सीमटी इनकी सोच और जागरूकता में हर दिन एक नया आयाम स्थापित होने से अब खुशियों के बीच अपने पारिवारिक जीवन के दायित्व को पूर्ण कर रही हैं।

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