सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को केंद्र सरकार ने स्वीकार किया कि वह केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) को राज्यों में जांच के लिए भेजती है.
इस खबर को द हिंदू अखबार ने अपने पहले पन्ने पर प्रमुखता से छापा है.
सीबीआई के कथित दुरुपयोग को लेकर केंद्र सरकार के ख़िलाफ़ पश्चिम बंगाल सरकार ने याचिका दायर की हुई है, जिस पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने यह बात स्वीकार की है.
पश्चिम बंगाल सरकार का आरोप है कि राज्य के अधीन आने वाले मामलों में एकतरफ़ा रूप से सीबीआई को भेजकर केंद्र हस्तक्षेप करता है.
न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने बुधवार को पश्चिम बंगाल की तरफ़ से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल और केंद्र सरकार के लिए सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता की दलीलों को सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा है.
अख़बार के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार के इस दावे को स्वीकार करने से इनकार कर दिया कि उसका सीबीआई पर कोई नियंत्रण नहीं है. कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि राज्यों के अंदर मामलों की जांच के लिए सीबीआई को कौन भेजता है?
बिना विरोध जताए तुषार मेहता ने जवाब दिया, ‘केंद्र सरकार’.
अख़बार के मुताबिक पश्चिम बंगाल सरकार ने कोर्ट से कहा कि उसने नवंबर, 2018 में दिल्ली स्पेशल पुलिस इस्टैब्लिशमेंट एक्ट, 1946 की धारा 6 के तहत अपने क्षेत्र में अंदर सीबीआई जांच के लिए अपनी सहमति वापस ले ली थी.
राज्य का कहना है कि सहमति वापस लेने के बाद भी केंद्र सरकार सीबीआई को जांच के लिए राज्य में भेज रही है. पश्चिम बंगाल में सीबीआई ने 15 से ज्यादा मामले दर्ज किए हैं.
सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि यह मुकदमा चलने के काबिल नहीं है और इसे शुरू में ही खारिज कर दिया जाना चाहिए.
उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ताओं का सीबीआई को केंद्र की पुलिस फ़ोर्स कहना गलत था.
तुषार मेहता ने कहा कि सीबीआई कहां और कैसे जांच करती है, उसमें केंद्र की कोई भूमिका नहीं है.
न्यायमूर्ति मेहता ने डीएसपीई अधिनियम की धारा 5(1) का जिक्र किया जो केंद्रीय जांच एजेंसी को नियंत्रित करती है.
अधिनियम की धारा 5(1) केंद्र सरकार को यह शक्ति देती है कि वह केंद्र शासित प्रदेशों को छोड़कर राज्यों में सीबीआई को जांच के लिए आदेश पारित कर सकती है.
न्यायमूर्ति ने तुषार मेहता से पूछा, “अगर आपका कहना सही है तो धारा 5(1) में केंद्र सरकार को डीएसपीई के तहत सीबीआई की शक्तियों और अधिकार क्षेत्र को परिभाषित करने का अधिकार क्यों देती है?”
मेहता ने कोर्ट से कहा कि मुकदमे में सीबीआई को प्रतिवादी बनाने के लिए संशोधन नहीं किया जा सकता है, क्योंकि यह अनुच्छेद 131 के तहत एक ‘राज्य’ नही है.
उन्होंने कहा कि इस अनुच्छेद के तहत मुकदमे सिर्फ केंद्र और राज्यों से जुड़े विवादों के लिए दायर किए जा सकते हैं.
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