*एक तरफ केवल सेवा ही सेवा है, दूसरी तरफ लेवा ही लेवा
रायपुर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र का चुनाव बेहद रोचक हो गया है, लोगों के बीच में तरह-तरह की चर्चाएं हो रही है। यह छत्तीसगढ़िया बनाम बाहरी तो है ही साथ ही साथ सेठ और संत के बीच दिलचस्प मुकाबले के रूप में परिवर्तित हो गई हैं। यहां की जनता स्वयं बेहद चौकन्ने हैं। लोग तरह-तरह की चर्चाएं कर रहे हैं। व्यक्ति का पाप और पुण्य दोनों ही समय पर प्रकट होता है, यही माजरा यहां पर दिखाई दे रहा है। एक तरफ लोग महन्त रामसुन्दर दास जी महाराज एवं श्री दूधाधारी मठ के पूर्वाचार्यों के स्वीकृत पुण्य को याद कर अपने आप को मठ का ऋणी समझ रहे हैं, वे अपने पूर्वजों के साथ मठ मंदिर के आचार्यों के व्यवहार को याद कर रहे हैं और वर्तमान आचार्य महन्त रामसुन्दर दास जी के व्यवहार से भी बेहद प्रभावित हैं और उन्हें देवता के तुल्य मान रहे हैं। सभी लोग कह रहे हैं कि ये दानदाता हैं, इन्होंने यहां के पूर्वाचार्यों ने रायपुर के लिए जो कार्य किया है उस उपकार को लोग भूल नहीं पा रहे हैं और अपने आप को उनका ऋणी समझ रहे हैं, महन्त जी महाराज भी यह कह रहे हैं कि आपका एक-एक वोट को मैं कर्ज के रूप में स्वीकार करूंगा और पूरे 5 साल तक आपके बीच रहकर आपकी सेवा करते रहूंगा। महाराज जी का यह हृदय स्पर्शी वाक्य लोगों को उनका कायल बना रहा है। दूसरी ओर प्रतिपक्ष में सेठ जी हैं लोग इन दोनों में तुलना करके कह रहे हैं कि एक तरफ देना बैंक है जो केवल समाज को देना जानता है और दूसरी तरफ लेना बैंक है जो समाज से हर तरह से लेना ही जानता है, एक तरफ सेवा ही सेवा है और दूसरी तरफ लेवा ही लेवा। लोग इतने चौकन्ने हैं कि आपस में चर्चा करते हैं 35 वर्षों की कमाई को वह इस चुनाव में लुटाएगा छोड़ना मत जितना देगा ले लेना अंतिम बार दे रहा है इसके बाद वह हमें कुछ नहीं देगा इसलिए खाओ पियो डट के वोट देना हट के! यह भी कह रहे हैं- फोकट में पाओ तो मरते दम तक खाओ! यह बातें लोगों ने मन में ठान लिया है और सब के सब कह रहे हैं इस बार वह चाहे हमें कुछ भी बांटें हम केवल और केवल अपने पूर्वजों के रास्ते पर चलकर समाज में सेवा करने वाले व्यक्ति को ही वोट देंगे। यहां तक की नशापन करने वाले भी चौंकन्ने हैं और कह रहे हैं कि हम उतना ही पियेंगे जिससे बटन को ना भूल जाए। लोग धर्म की जय हो, अधर्म का नाश हो का नारा भी लगा रहे हैं। यहां के परिणाम पर पूरे राज्य की नजर ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर की मीडिया की भी नज़रें टिकी हुई है।
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