‘भारत जोड़ो यात्रा’ को नौ दिन के ब्रेक के बाद यात्रा के 109वें दिन दिल्ली से शुरू होकर उत्तर प्रदेश में दाख़िल होना था.
कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में एंट्री के समय यात्रा को हिट करने के लिए अपनी पूरी ताक़त झोंक दी थी.
समूचे उत्तर प्रदेश से ज़िला स्तर से लेकर ब्लॉक स्तर तक के कार्यकर्ताओं ने यूपी बॉर्डर पर डेरा डाल दिया.
राहुल गांधी जब दिल्ली से लोनी बॉर्डर के ज़रिए यूपी में दाख़िल हुए तो कांग्रेस के इन प्रयासों का असर भी साफ़ नज़र आया.
‘भारत जोड़ो यात्रा’ में समूचे उत्तर प्रदेश से आए हुए कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के अलावा बड़ी तादाद में स्थानीय लोग शामिल थे.
ऐसी किसी भी रैली में भीड़ का अंदाज़ा लगाना मुश्किल होता है. जहां तक नज़र जाए और उससे पार भी सिर्फ़ लोगों का हुज़ूम था.
राहुल गांधी को देखने जुटे लोग
लोनी और आसपास के इलाक़ों में रहने वाले लोग पूरे रास्ते पर क़तारबद्ध खड़े थे. इनमें बड़ी तादाद में महिलाएं भी थीं जो राहुल गांधी की एक झलक पाना चाहती थीं.
ऐसी ही दो बुज़ुर्ग महिलाओं ने बीबीसी से बात करते हुए कहा, “राहुल गांधी को देखना है, कभी देखा नहीं है इसलिए देखना है. हमें आकर अच्छा लगा, आगे चल कर अगर वो कुछ करके दिखाते हैं तो उन्हें वोट भी दे सकते हैं.”
ये महिलाएं कहती हैं, ”हमारी गली में पानी की टंकी तक नहीं है. महंगाई बहुत ज़्यादा है. गैस सिलेंडर देखिए कहां पहुंच गया है. अगर राहुल इस बारे में कुछ करते हैं तो बहुत अच्छा होगा.”
कुछ बुज़ुर्ग महिलाएं ऐसी भी थीं जिनकी ज़ुबान पर राजीव गांधी का नाम था. हालांकि बाद में उन्होंने अपने आप को दुरुस्त करते हुए कहा कि वो राहुल को देखने आई हैं.
कांग्रेसी कार्यकर्ताओं के अलावा बड़ी तादाद में ऐसे आम लोग भी थे जो कौतूहल की वजह से ये देखने आए थे कि यात्रा कैसी चल रही है.
ऐसे ही एक व्यक्ति ने सवाल किया, “भीड़ तो बहुत ज़्यादा है, लेकिन सवाल ये है कि जो लोग राहुल को देखने आ रहे हैं, क्या वो उन्हें वोट भी करेंगे. मुझे तो इसमें शक़ है.”
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राहुल से लोगों की उम्मीद
कई संगठनों के सदस्य भी राहुल गांधी से मुलाक़ात करके उन्हें अपने मुद्दों पर जानकारी देने का प्रयास कर रहे थे.
गाज़ियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन से जुड़ी सीमा त्यागी अपने प्रतिनिधिमंडल के साथ राहुल गांधी से मिलीं.
वो कहती हैं, ‘एक देश, एक शिक्षा एक बोर्ड ही हमारी मांग है, जब तक हिंदुस्तान के सभी बच्चों को एक जैसी शिक्षा नहीं मिलेगी, तब तक भारत विकसित नहीं होगा. हमें राहुल गांधी से उम्मीद है कि वो समान शिक्षा की दिशा में कुछ करेंगे”
इस यात्रा में बड़ी तादाद में ऐसे युवा भी थे जो राजनीतिक रूप से तटस्थ हैं, लेकिन यहां आकर यात्रा के भाव को महसूस करना चाहते थे.
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ऐसी ही एक युवती अनु ढाका कहती हैं, “मैं राहुल जी को देखने आई हूं और उनके मुद्दे से भी जुड़ना चाहती हूं. मैंने केमिस्ट्री में एमएससी की है, नेट की परीक्षा पास की है. लेकिन नौकरी नहीं लगी. बेरोज़गार हूं. अब राहुल से उम्मीद है कि वो इस बारे में कुछ करेंगे.”
“पहले जब मोदी जी आए थे तब उनसे बहुत उम्मीद थी, उन्होंने दो करोड़ रोज़गार देने का वादा किया था, लेकिन कुछ किया नहीं, इसलिए इस बार राहुल से उम्मीद है.”
अनु कहती हैं, “पढ़-लिख कर खाली बैठे हैं, हमारे जैसे बेरोज़गारों की कोई सुनने वाला नहीं है.”
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अनु यहां अकेली नहीं थीं जिन्हें रोज़गार को लेकर शिकायत थी. आसपास छोटे-मोटे काम करने वाले कई युवा एक सुर में कहते हैं, “सरकार चाहे जिसकी भी हो, बेरोज़गारी सबसे बड़ा मुद्दा है.”
“हम सिर्फ़ राहुल को देखने नहीं आए हैं. हम चाहते हैं कि इस मुद्दे पर उनका ध्यान आकर्षित हो.”
सरफ़राज़ लोनी में ही काम करते हैं, वो कहते हैं, “हम एंब्रॉयडरी का काम करते हैं. एक मज़दूर सिर्फ़ 450-500 रुपए ही कमा पाता है. मौजूदा सरकार के शासनकाल में महंगाई इतनी ज़्यादा हो गई है कि एक आम आदमी खाने-पीने के आगे सोच ही नहीं पा रहा है.”
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“उसकी सारी कमाई दो रोटी के जुगाड़ में चली जा रही है. इसलिए ही हम बदलाव चाहते हैं और पहले जैसी सरकार चाहते हैं.”
पिंकी पांचाल अपने परिवार के साथ राहुल गांधी को देखने का इंतेज़ार कर रही थीं. वो बमुश्किल एक झलक देख पाईं.
बीबीसी ग्राफिक्स
अमेठी से आए कांग्रेस के एक सक्रिय कार्यकर्ता कहते हैं, “ऐसा लग रहा है कि 2024 में हम फिर से वापस आ रहे हैं. गांव-गांव जाकर यात्रा का संदेश देंगे. लोगों को बताएंगे कि लाखों की भीड़ थी.”
कांग्रेस ने यूपी के गांव-गांव से अपने कार्यकर्ताओं को दिल्ली बॉर्डर पर बुलाया था. प्रयागराज से आई दरख़्शा क़ुरैशी कहती हैं, “कांग्रेस से जुड़ी हूं, इतनी भीड़ और जोश देखकर बहुत अच्छा लग रहा है, ऐसा लग रहा है पार्टी फिर से मज़बूत हो रही है. अब आगे हम और भी मेहनत करेंगे.”
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मनोज कुमार पांडे दिल्ली के मौजपुर से यात्रा में शामिल हुए, वो कहते हैं, “यात्रा अद्भुत है, लोगों में राहुल गांधी को देखने और सुनने का ग़ज़ब उत्साह है.”
“अब लग रहा है कांग्रेस फिर से मज़बूत हो रही है. कांग्रेस का कार्यकर्ता फिर से खड़ा हो गया है. इस यात्रा ने राहुल गांधी को कमज़ोर (शारीरिक रुप से) कर दिया है, लेकिन कांग्रेस मज़बूत हो गई है. पार्टी में नई जान आ गई है.”
सनी पटेल कांग्रेस के छात्र नेता हैं और बांदा से आए हैं. वो कहते हैं, “मैं 600 किलोमीटर से 14 घंटे का सफ़र करके अपने नेता की झलक देखने आया हूं.”
“नफ़रत के इस दौर में वो इकलौता गांधी है जो मोहब्बत बांट रहा है, प्यार बिखेर रहा है. मैं अपने नेता का साहस बढ़ाने आया हूं. मैं उनकी एक झलक देख पाया. उनके तेज़, उनका तप, उनका त्याग सब दिख रहा है.”
पटेल कहते हैं, “सोशल मीडिया पर मैं यात्रा को देखता था और मन में प्रश्न उठता था कि वो इतने ऊर्जावान कैसे हैं. आज उन्हें देखा तो उस प्रश्न का जवाब मिल गया. उन्हें देखकर मुझे कैसा लगा शब्दों में बयान नहीं कर सकता.”
दिल्ली से ‘भारत जोड़ो यात्रा’ देखने आए युवा शुभव भारद्वाज कहते हैं, “मैं कांग्रेस से नहीं जुड़ा हूं. यात्रा में ये मेरा पहला दिन है. मैं 10 किलोमीटर चल चुका हूं.”
भारद्वाज कहते हैं, “आज देश का जो माहौल है उसमें इस भारत जोड़ो यात्रा की ज़रूरत महसूस होती है. मुझे लगा कि राहुल ने पैदल देश में निकलकर बिल्कुल सही काम किया और मैं बस इसी सही काम में उनका साथ देने आया हूं.
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भारत जोड़ो यात्रा में शामिल परिवार
यात्रा का हासिल क्या होगा
देश में एक मुख्य विपक्ष की ज़रूरत थी. विपक्ष का सामने आना बहुत ज़रूरी था. राहुल गांधी सड़क पर लोगों से मिल रहे हैं और उनके मुद्दों को समझ रहे हैं. जब वो कश्मीर तक पहुंचेंगे तब हिंदुस्तान की उस जनता को समझ चुके होंगे जो सड़क पर अपने मुद्दों के साथ उनसे मिलने आई थीं.
ये यात्रा राहुल गांधी के व्यक्तित्व को भी और परिपक्व करेगी. आज हिंदुस्तान को ऐसे ही नेता की ज़रूरत है जो उसके लोगों को समझता हो.”
राहुल गांधी की यात्रा से अल्पसंख्यक मुसलमान भी बड़ी तादाद में जुड़ रहे हैं. हाल के दशकों में उत्तर प्रदेश में मुसलमान समाजवादी पार्टी के साथ रहे हैं. लेकिन अब उनमें कांग्रेस की तरफ़ झुकाव बढ़ता दिख रहा है.
लोनी के एक स्थानीय मुसलमान दुकानदार कहते हैं, “यहां अखिलेश भी आए थे, उनकी रैली में इतनी भीड़ नहीं थी जितनी राहुल के साथ है. राहुल गांधी मज़बूत होते दिख रहे हैं.”
देर शाम ‘भारत जोड़ो यात्रा’ में शामिल लोग बागपत के मावी कलां गांव पहुंचे. यहां विशाल पंडाल लगाया गया था.
आसपास के बहुत से लोग ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के यात्रियों से मिल रहे थे.
क्या भारत जोड़ो यात्रा का स्थानीय राजनीति पर कुछ असर होगा, इस पर एक स्थानीय व्यक्ति कहते हैं, “यात्रा बहुत अच्छी लग रही है, यात्री बहुत अच्छे हैं. मुद्दा भी ठीक है, लेकिन ये इलाक़ा लोकदल का है, ऐसे में वोटों पर इसका बहुत अधिक असर नहीं होगा.”
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