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क्रेडिट और डेबिट कार्ड के नए नियम 01 अक्‍टूबर 2022 से लागू होंगे, जानिए आप पर क्‍या होगा असर

September 14, 2022

कार्ड ऑन फाइल टोकनाइजेशन के तहत बहुत से व्‍यापारियों ने इसे पहले से ही पूरा करा लिया है, लेकिन अभी बहुत से लोग बाकी हैं। अभी तक इस नियम के तहत 19.5 करोड़ लोगों का टोकन जारी किया गया है। 01 अक्‍टूबर 2022 से लागू होंगे क्रेडिट और डेबिट कार्ड के नए नियम, जानिए आप पर क्‍या होगा असर जानिए क्‍या है टोकनाइजेशन का नियम…

01 अक्‍टूबर 2022 से क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड से पेमेंट को लेकर नियम बदलने वाला है। रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की ओर से नया नियम पेश किया गया है, जिसे एक अक्‍टूबर से प्रभाव में लाया जाएगा। यह नियम कार्ड ऑन फाइल (CoF) टोकनाइजेशन है, डेबिट और क्रेडिट कार्ड रखने वालो के पेमेंट का अनुभव बदल देगी। अगर अभी तक आपने भी अपने कार्ड को टोकनाइज नहीं कराया है तो अपने बैंक से संपर्क कर सकते हैं।

RBI की ओर से इसे प्रभाव में लाने के लिए अंतिम तारीख 1 जुलाई दी गई थी, लेकिन इसे बढ़ाकर बाद में 30 सितंबर किया गया है। कार्ड ऑन फाइल टोकनाइजेशन के तहत बहुत से व्‍यापारियों ने इसे पहले से ही पूरा करा लिया है, लेकिन अभी बहुत से लोग बाकी हैं। अभी तक इस नियम के तहत 19.5 करोड़ लोगों का टोकन जारी किया गया है।

RBI का नया नियम (RBI new rule) – RBI ने पिछले साल ही कॉमर्स वेबसाइटों को ग्राहकों के कार्ड की डिटेल सेव करने से रोक दिया था और टोकनाइजेशन एक्‍सेप्‍ट करना अनिवार्य कर दिया है। यह नियम अगले महीने से प्रभाव में लाया जाएगा।

ऑनलाइन भुगतान में व्यापारियों सहित कई संस्थाएं, कार्ड नंबर और अंतिम डेट जैसे कार्ड डेटा स्टोर करती हैं – कार्ड-ऑन-फाइल (सीओएफ) – कार्डधारकों को सुविधा और आराम की बात कहती है। हालांकि यह फ्रॉड को भी रोक सकता है, क्‍योंकि कई संस्थाओं के साथ कार्ड डिटेल की उपलब्धता से कार्ड डेटा चोरी या दुरुपयोग होने का खतरा बढ़ जाता है।

क्‍या है टोकनाइजेशन – टोकनाइजेशन संवेदनशील डेटा को ‘गैर-संवेदनशील’ डेटा में बदलने की एक प्रक्रिया है, जिसे “टोकन” कहा जाता है। ये टोकन डेबिट या क्रेडिट कार्ड धारक के 16- अंकों के खाता संख्या को एक डिजिटल क्रेडेंशियल में बदल देते हैं जिसे चोरी या पुन: उपयोग नहीं किया जा सकता है। इस टोकन की मदद से आप किसी भी साइट से सेव कर लेनदेन की जा सकती है। इसके सेव होने से धोखाधड़ी या छेड़छाड़ का खतरा भी नहीं होता है।

ग्राहकों पर प्रभाव – कार्ड क्रेडेंशियल्स को स्टोर नहीं किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, जब ग्राहक पहली बार किसी ई-कॉमर्स साइट पर खरीदारी करते हैं, तो उन्हें 16 अंकों का डेबिट कार्ड नंबर और फिर सीवीवी कोड फीड करने के लिए कहा जाता है। हालांकि, जब वे उसी प्लेटफ़ॉर्म से कोई अन्य आइटम खरीदते हैं, तो वे देख सकते हैं कि साइट ने पहले ही 16-अंकीय कार्ड नंबर सेव कर लिया है और उन्हें बस CVV डालना है और फिर खरीदारी करने के लिए बैंक द्वारा OTP जनरेट किया जाता है।
एक बार जब ग्राहक किसी वस्तु को खरीदना शुरू कर देते हैं, तो व्यापारी टोकनाइजेशन शुरू कर देगा और कार्ड को टोकन करने के लिए सहमति मांगेगा। एक बार सहमति दिए जाने के बाद, व्यापारी कार्ड नेटवर्क को अनुरोध भेज देगा। टोकन 16-अंकीय कार्ड नंबर के लिए एक प्रॉक्सी के रूप में कार्य करेगा और इसे व्यापारी को वापस भेज देगा। व्यापारी इस टोकन को भविष्य के लेन-देन के लिए सहेज लेगा। अब उन्हें अप्रूवल देने के लिए पहले की तरह सीवीवी और ओटीपी दर्ज करना होगा।

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