राजनांदगांव

10 दिन तक त्यौहार मनाकर सिखाए जाएंगे सुपोषण के गुर, जिले में 7 से 16 जुलाई तक मनाया जाएगा वजन त्यौहार, आंगनबाड़ी केन्द्रों में होगी सजावट

राजनांदगांव। बच्चों, गर्भवती महिलाओं व शिशुवती माताओं में सुपोषण के लिए जिले में 10 दिनों तक वजन त्यौहार मनाया जाएगा। कुपोषण मुक्ति के लिए 7 से 16 जुलाई तक पूरे जिले में अभियान चलाया जाएगा, जिसके अंतर्गत शून्य से 5 वर्ष तक के बच्चों का वजन कर उनके पोषण स्तर का पता लगाया जाएगा। वहीं 11 से 18 वर्ष तक की बालिकाओं का हिमोग्लोबिन टेस्ट किया जाएगा। कुपोषित बच्चों तथा एनीमिक माताओं का चिन्हांकन कर शत-प्रतिशत पीड़ितों को कुपोषण से मुक्त करने का प्रयास किया जाएगा।
वजन त्यौहार को उत्सव के रूप में मनाने की तैयारी की जा रही है। आंगनवाड़ी केन्द्रों को सजाया जा रहा है। वजन त्यौहार के संबंध में महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी रेणु प्रकाश ने बताया, जिला प्रशासन द्वारा कुपोषित बच्चों का चिन्हांकन कर कुपोषण दूर करने के लिए पर्याप्त पोषण प्रदान करने के साथ ही परिवार के सदस्यों को जागरूक करने के निर्देश दिए गए हैं। कुपोषण को पौष्टिक भोजन, दवाईयां और व्यवहार में परिवर्तन से ही दूर किया जा सकता है। वहीं अभियान के तहत वॉल राईटिंग, इंटरनेट मीडिया, व्हाट्सअप ग्रुप व फेसबुक के माध्यम से सुपोषण संबंधी आवश्यक जानकारियों का प्रचार-प्रसार किया जाएगा। सुपोषण के लिए 10 दिन तक चलाए जाने वाले अभियान में समाज के व्यक्तियों को प्रमुखता से शामिल किया जाएगा। मितानीन एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता घरों में संपर्क कर लोगों को सुपोषण के लिए प्रेरित करेंगी। उन्होंने बताया, वजन त्यौहार के दौरान 7 से 16 जुलाई तक सुपोषण हेतु बच्चों को दिन में 4-5 बार थोड़ा-थोड़ा खाना खिलाने, आसपास साफ-सफाई रखने तथा खाने से पहले हाथ धोने जैसी आदतों को अपनाने पर जोर दिया जाएगा। इन आदतों को अपनाने से कुपोषण या अन्य बीमारियों से भी बचा जा सकता है। इसके साथ ही जिन समूहों द्वारा रेडी-टू-ईट बनाए जाते हैं, उन्हें गुणवत्तापूर्ण भोजन बनाने के निर्देश दिए गए हैं। वजन त्यौहार की सार्थकता के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व मितानिन को विभिन्न जिम्मेदारियां सौंपी गई हैं। इसके लिए उन्हें विशेष प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसी तरह स्थानीय महिलाओं की कांउसिलिंग के लिए शिविर लगाए जाएंगे और बच्चों के कुपोषण दूर करने के प्रति उन्हें जागरूक किया जाएगा।
इस संबंध में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मिथलेश चौधरी ने कहा, कुपोषण गर्भवती माताओं से बच्चों में आता है। इसलिए माताओं की सही देखभाल कर उन्हें पौष्टिक भोजन देना आवश्यक है। महिलाएं, गर्भवती होने का पता चलते ही तीन माह के भीतर पंजीयन जरूर कराएं। उन्होंने कहा, बीमारियों का त्वरित उपचार करने से बीमारी जल्द दूर होती है। कुपोषित बच्चों के चिन्हांकन के लिए वजन त्यौहार के दौरान कलस्टर बनाए जाएंगे। इसमें आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, मितानीन व ग्राम सचिव को शामिल किया जाएगा और बीएमओ इस कार्य में सहयोग करेंगे। वजन त्यौहार के दौरान बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए शत-प्रतिशत संस्थागत प्रसव पर जोर दिया जाएगा। उन्होंने अपील की है कि, प्रसव के पहले और प्रसव के बाद माताएं स्वास्थ्य केन्द्र में ही रहें जिससे बच्चे को सही समय पर टीका लगाया जा सके और कुपोषण तथा अन्य बीमारियों से बचाया जा सके।

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