COVID-19

द लैंसेट में मौजूद कोरोना संकट को लेकर मोदी सरकार व उनकी नीतियों की तीखी आलोचना….

‘दी लैंसेट’ (The Lancet) जो 1823 में स्थापित मेडिकल जनरल है, दुनिया का सबसे पुराना और सबसे प्रतिष्ठित मेडिकल जनरल हैं, जो यूके से निकलता है, ‘दी लैंसेट’ के एडिटोरियल ने भारत सरकार को 3 सुझाव मुख्यत: दिए हैं और वो तीनों के तीनों मुख्यत: वही सुझाव हैं, जो राहुल जी ने कल नरेन्द्र मोदी जी को दिए थे। तो नरेन्द्र मोदी जी अगर राहुल जी के सुझावों को लगातार जो कि पिछले साल फरवरी से देते आ रहे हैं, आपने उसको सिरियसली नहीं लिया, तो देखिए आज देश किस हालात में कहाँ तक पहुंच चुका है। तो कम से कम ‘दी लैंसेट’ एडिटोरियल के सुझाव हैं, कम से कम आप वो तो मान लें।
‘दी लैंसेट’ ने ये कहा है कि जीनोम सिक्वेंसिंग करने के लिए, राहुल जी ने भी कल उस बात को कहा। ‘दी लैंसेट’ ने कहा कि अपने डेटा को छुपाइए मत, ट्रांसपेरेंट डेटा होना चाहिए और ट्रांसपेरेंसी सबसे ज्यादा बड़ी जरुरत है इस वक्त के ऊपर और भारत अपने डेटा को छुपा रहा है। ये ‘दी लैंसेट’ ने कहा है और राहुल जी ने भी कल इस बात को कहा है।
तीसरा राहुल जी ने कहा कि यूनिवर्सल वैक्सीनाइजेशन, सभी के लिए वैक्सीनेशन होनी चाहिए और सस्ती दलों पर ये फ्री वैक्सीनाइजेशन होनी चाहिए। वही बात ‘दी लैंसेट’ ने भी कही। तो कम से कम राहुल जी की बात अगर नहीं मानते, तो ‘दी लैंसेट’ की बात मान लें। ‘दी लैंसेट’ ने ना केवल सुझाव दिए हैं, बल्कि बड़ी कड़ी टिप्पणियां ‘दी लैंसेट’ के एडिटोरियल ने मोदी सरकार के खिलाफ की हैं। मैं इसमें से एक पैराग्राफ कम से कम पढ़कर सुनाना चाहता हूं और ये दिल दहलाने वाली उनकी भविष्यवाणी एक तरीके से है और उन्होंने ये कहा है कि ये अनुमान लगाया जा रहा है, एक और संस्था का नाम लेते हुए अभी मैं आपको बताऊंगा, अनुमान लगाया जा रहा है कि 1 अगस्त तक हमारे देश के अंदर 10 लाख लोगों की कोविड के चलते मृत्यु हो जाएगी। यानी अब से और 1 अगस्त के बीच में साढ़े 7 लाख से अभी अधिक लोग इन 80 दिनों के अंदर-अंदर कोविड से उनकी मृत्यु हो जाएगी। यह अनुमान लगाया जा रहा है। तो इतनी बड़ी त्रासदी को हम सब लोग फेस कर रहे हैं। और दूसरा ‘दी लैंसेट’ ने ये भी कहा है कि ये केवल प्राकृतिक आपदा नहीं है। ये मानव निर्मित त्रासदी है, जो कि हम लोग बार-बार कहते आ रहे हैं, ये केवल प्राकृतिक आपदा भी नहीं है, ये मानव निर्मित और मोदी सरकार निर्मित त्रासदी है। ये ‘दी लैंसेट’ ने अपने एडिटोरियल के अंदर कहा है और मैं आपको वो पढ़कर सुनाना चाहता हूं। उन्होंने कहा है – “Local governments have begun taking disease-containment measures, but the federal government has an essential role in explaining to the public the necessity of masking, social distancing, halting mass gatherings, voluntary quarantine, and testing. Modi’s actions in attempting to stifle criticism and open discussion during the crisis are inexcusable.
The Institute for Health Metrics and Evaluation estimates that India will see a staggering 1 million deaths from COVID-19 by Aug 1. If that outcome were to happen, Modi’s Government would be responsible for presiding over a self-inflicted national catastrophe”. मानव निर्मित, खुद के द्वारा बनाया गया राष्ट्रीय आपदा को मोदी सरकार उसको प्रिसाइड कर रही होगी, ये दा लैन्सैट ने कहा है।
“India squandered its early successes in controlling COVID-19. Until April, the government’s COVID-19 task-force had not met in months”. अप्रैल तक के भारत सरकार की कोविड टास्क फोर्स कई महीनों से मिली ही नहीं। ये दा लैन्सैट का जो इंटरनेशनल का जो ऩंबर- वन मेडिकल जर्नल है, वो ये कह रहा है। The consequences of that decision are clear before us, and India must now restructure its response while the crisis rages. आगे बहुत महत्वपूर्ण है जो कहा है। “The success of that effort will depend on the government owning up to its mistakes, providing responsible leadership and transparency, and implementing a public health response that has science at its heart”. यानी कि सरकार को सबसे पहले अपनी गलती स्वीकारनी होगी। सरकार को अपनी गलती स्वीकार करके आगे बेहतर रिस्पांस देना पड़ेगा। जिसके पीछे साइंस हो, ना कि केवल लोगों को किस तरीके से प्रभावित किया जा सके। बड़े-बड़े लच्छेदार भाषण नहीं, साइंस होना चाहिए। ये ‘दी लैंसेट’ मैगजीन के एडिटोरियल ने कहा है। भारत सरकार को सुझाव भी दिया है और भारत सरकार को कड़ी चेतावनी भी दी है और इसके अंदर तो डॉ. हर्षवर्धन के भी खिलाफ कई चीजें कही गई हैं, सरकार के खिलाफ कई चीजें कही गई हैं, आप लोग खुद उसको देख सकते हैं।
लेकिन यहाँ पर एक तरफ ‘दी लैंसेट’ इंटरनेशनल जनरल ने भारत सरकार की खिंचाई की है, सुझाव भी दिए हैं। वहीं पर भारत के अंदर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, जो 1928 से स्थापित की गई है, 100 वर्ष पूरे होने वाले हैं। उसी तरीके से 1928 को स्थापित ‘दी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन’, इतनी पुरानी संस्था, उसने भी सुझाव दिए हैं। उन्होंने तो ये कहा है किपूरा का पूरा चिकित्सा प्रशासन भारत का, उसके अंदर फेर बदल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा है कि नया मंत्रालय बनाया जाना चाहिए और बेहतर मंत्री और नया मंत्री होना चाहिए। यानी उन्होंने मांग की है, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कि डॉ. हर्षवर्धन को हटाया जाए। हमारे देश के हेल्थ मिनिस्टर को हटाया जाए। ये मांग हमारी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने की है।
अगली मांग उनकी यह है कि हमारा मेडिकल जो खर्चा है, बजट है, मेडिकल बजट, वो 1 प्रतिशत से बढ़ाकर जीडीपी का 8 से 10 प्रतिशत कर दिया जाए।
आख़िरी उनकी मांग है कि सार्वजनिक टीकाकरण, सभी लोगों के लिए टीकाकरण होना चाहिए। यूनिवर्सल इम्यूनाइजेशन होना चाहिए। सस्ते दर के ऊपर, अफॉर्डेबल प्राइस के ऊपर होना चाहिए। ये 4 मुख्य मांगे हमारी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने की है। ये मैं दोहराना चाहता हूं, आपको –
सबसे पहले कि;
1. पूरा चिकित्सा प्रशासन फेरबदल होना चाहिए।
2. नया मंत्रालय, बेहतर मंत्री होना चाहिए। ये मंत्री हटाया जाना चाहिए।
3. 1 प्रतिशत से बढ़ाकर जीडीपी का 8 से 10 प्रतिशत हमारा पूरा हेल्थ बजट होना चाहिए और
4. सार्वजनिक टीकाकरण, सार्वजनिक टीकाकरण सभी लोगों के लिए यूनिवर्सल वैक्सीनाइजेशन सस्ते दरों के ऊपर होना चाहिए। ये 4 मुख्य मांगे हमारी आई हैं। लेकिन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने केवल ये 4 मांगे नहीं की हैं, उन्होंने बहुत बड़े प्रश्न उठाए हैं –
उन्होंने कहा है कि पिछले 20 दिन से इंडियन मेडिकल एसोसिएशन कंप्लीट लॉकडाउन की मांग कर रही है और ये लॉकडाउन कोई छोटा-मोटा, एक दो दिन का या कर्फ्यू नहीं होना चाहिए रात का, ये 10 से 15 दिन का राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन होना चाहिए। ये इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने मांग की है।
फिर उन्होंने कहा है कि वैक्सीनेशन की कोई तैयारी नहीं है। कोई पर्याप्त स्टॉक हमारे यहाँ नहीं है। भारत के अंदर उन्होंने कहा कि स्मॉल पॉक्स और पोलीओ को अगर हम भगा पाए, तो तभी हम भगा पाए जब हम सर्वजन बूथ पर टीकाकरण अभियान कर पाए। तो अब क्यों नहीं सर्वजन-मुफ्त-टीकाकरण अभियान अब क्यों नहीं हो रहा है, ये इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का कहना है। और 35 हजार करोड़ रुपए का जब बजट है, तो 35 हजार करोड़ रुपए के बजट से आसानी से 200 करोड़ टीका ख़रीदा जा सकता है। यह हमारी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कहा।
पिछले 7 दिनों से प्राइवेट अस्पतालों के अंदर टीके खत्म हैं, वैक्सीनेशन खत्म है, ये हमारी इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कहा है। ऑक्सीजन के बारे में उनका कहना है कि निर्माण हो रहा है, परंतु मरीजों को उपलब्ध नहीं है। यही बात हमने भी कही है। उनका कहना है कि सरकार सो रही है और सुप्रीम कोर्ट ऑक्सीजन बांटने का काम कर रहा है। ये हैरानी की बात है और ये बात हम सब लोग जानते हैं कि किस प्रकार से सरकार अपने कार्यों में विफल हुई है, तो सुप्रीम कोर्ट को इसके बीच में आना पड़ रहा है। फिर हमारे इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने कहा है, जो बहुत महत्वपूर्ण बात है, जो एक तरीके से ‘दी लैंसेट’ ने भी कहा है कि इस पूरी महामारी में हेल्थ केयर प्रोफेशनल और प्रोफेशनल संगठनों से सरकार एवं मंत्रियों की कोई बातचीत नहीं हो रही है और सरकार और मंत्री हेल्थ केयर प्रोफेशनल से और प्रोफेशनल संगठनों से कोई बात नहीं कर रहे हैं, जिसकी वजह से ये दिक्कत हो रही है।
हमारे इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने जीनोम सिक्वेंस की बात की है और अगर आप ये सारी की सारी चीजें देखें, तो ये सारी बातें वहीं हैं, जो राहुल गांधी जी ने मोदी जी को पत्र लिखकर बार-बार मांग की। जो ‘दी लैंसेट’ मैनजीन ने अपने एडिटोरियल में लिखा और वही आज इंडियन मेडिकल एसोसिएशन आज मोदी जी को लिखकर, केन्द्र सरकार को लिखकर ये बात कर रहा है। उन्होंने आगे ये भी कहा है कि पारदर्शिता का अभाव है, आंकड़े छुपाए जा रहे हैं। उन्होंने एक महत्वपूर्ण बात ये कही है की सीटी स्कैन की रिपोर्ट को कोविड पॉजिटिव नहीं मानती। उनका मानना है कि आरटीपीसीआर नेगेटिव आ जाने के बाद अगर सीटी स्कैन के अंदर मरीज में इस तरह से नजर आता है कि कोविड से संबंधित निमोनिया उसको है, तो उसको भी कोविड पॉजिटिव माना जाए। और अस्पतालों में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का कहना है कि सैंकड़ो मौतों को कोविड नहीं माना जा रहा है, जो कि कोविड से हो रही हैं। और इस तरह से मौतों के आंकड़ों को छुपाया जा रहा है। यही ‘दी लैंसेट’ ने कहा, यही राहुल जी और कांग्रेस पार्टी बार-बार कह रही है और सरकार के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है। और इसी वजह से इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का कहना है कि इंशोरेंस का फायदा जो हमारे जरुरतमंद लोग हैं, उनको नहीं मिल रहा है।
उनका कहना है कि दवा की कमी है, मैन पावर की कमी है, डॉक्टर के खिलाफ हिंसा हो रही है। इस प्रकार की स्थिति हमारे देश के अंदर फैली हुई है। ये इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने दो पेज का प्रेस विज्ञप्ति जारी की है। बहुत सारी शिकायतें, जैसे मैंने कही हैं आपको, बहुत सारी शिकायतें की है, बहुत सारे सुझाव भी दिए हैं। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के मुख्यत: चार सुझाव हैं, जिसमें उन्होंने कहा है कि दोबारा से हमारे देश के अंदर फिर से एक तरीके से रिऑर्गानइज किया जाना चाहिए हमारे हेल्फ केयर इन्फ्रास्ट्रक्चर को औऱ साथ-साथ में हमारी हेल्थ मिनिस्ट्री को और हेल्थ मिनिस्टर दोनों को चेंज करके नया लाया जाना चाहिए। उनका ये कहना है कि यूनिवर्सल वैक्सीनाइजेशन हमारी होनी चाहिए। फिर उनका कहना है कि जीडीपी का 1 प्रतिशत से बढ़ाकर 7 से 8 प्रतिशत आज के समय में प्राकृतिक आपदा को देखते हुए, ये बजट हमारा होना चाहिए ताकि हमारी वैक्सीन की, ड्रग्स की, मैन पावर की शोर्टेज दूर हो सके। ये हमारे इंडियन मेडिकल एसोसिएशन का कहना है।
तो हम लोग सरकार को ये कहना चाहते हैं कि आज इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी आपना दर्द सार्वजनिक किया है। ‘दी लैंसेट’ ने अपने एडिटोरियल के अंदर सरकार को सलाह दी है। आप इससे पहले, आप लोगों को प्रमुख विपक्षी पार्टी के सबसे बड़े नेता, हमारे राहुल गांधी जी, सोनिया गांधी जी, डॉ. मनमोहन सिंह जी, सभी जब आपको चिट्ठी लिखते रहे, तो आपके कानों पर जूं तक नहीं रेंगी। आप लोग बदतमिजी वाला जवाब, डॉ. मनमोहन सिंह की चिट्ठी के जवाब में देते रहे। लेकिन हम आपसे ये कहना चाहते हैं कि जो आपको सुझाव कांग्रेस पार्टी ने, हमारी नेताओं ने दिए, वही सुझाव आज हमारे ‘दी लैंसेट’ जनरल ने और साथ-साथ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी वही सुझाव दिए हैं। तो कम से कम आप उसको क्रेडिट देकर ‘दी लैंसेट’ को क्रेडिट देकर, हमारे इंडियन मेडिकल एसोसिएशन को क्रेडिट देकर, आप कांग्रेस को क्रेडिट मत दीजिए, लेकिन उनके सुझाव तो आप मानिए, ताकि हमारे देश के अंदर इस कोरोना महामारी से हम लोग छुटकारा पा सकें। नहीं तो जैसे ‘दी लैंसेट’ ने कहा, मैं फिर से दोहराना चाहूंगा कि
If that outcome were to happen, Modi’s Government would be responsible for presiding over a self-inflicted national catastrophe. ‘Self-inflicted national catastrophe. मोदी साहब ये कोई प्रकृतिक आपदा, नेचुरल क्लेमिटी नहीं, सेल्फ इन्फ्लिक्टेड नेशनल कटेस्ट्रोफे है, अपनी खुद की स्वयं द्वारा निर्मितस मोदी सरकार निर्मित आप ये प्राकृतिक नहीं, बल्कि मानव निर्मित आप त्रासदी की तरफ आप हमारे देश को लेकर जा रहे हैं। तो कम से कम आप ‘दी लैंसेट’ और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सुझाव मानें। ये कांग्रेस पार्टी ये आपको कहना चाहती है और इसलिए ये प्रेस वार्ता हमने यहाँ पर बुलाई है।
एक प्रश्न पर कि जो लैन्सैट ने जिस तरीके से आर्टिकल में अपने लिखा है, उससे ये कहीं न कहीं आभास हो रहा है और आपने भी कहा है कि स्थितियाँ हाथ से निकल गई हैं, तो क्या आपको लगता है कि देश में मेडिकल इमरजेंसी की जरुरत पड़ गई है, श्री अजय माकन ने कहा कि मेरे ख्याल से सरकार अगर ये सब कार्य करती है तो अभी भी समय है, कि हम लोग इस महामारी को रोक सकते हैं। हैल्थ इमरजेंसी, मेडिकल इमरजेंसी ये एक टैक्निकल टर्म्स हैं, लेकिन अगर सरकार, जैसे दा लैन्सैट और दूसरी साइंटिफिक कम्यूनिटीज हैं, जो डॉक्टर्स हैं, हैल्थ केयर प्रोफेशनल्स हैं और इससे पहले भी राहुल जी ने भी और डॉ. मनमोहन सिंह जी ने भी जो-जो सजेशन्स दिए हैं, अगर सरकार उनको माने तो ये कोई मुश्किल काम नहीं है। अगर मान लीजिए यूनिवर्सल वैक्सीनेशन के लिए अगर वैक्सीन को और प्रोड्यूस करने की जरुरत है, इसके लिए डॉ. मनमोहन सिंह जी ने कहा कि आप कम्पल्सरी लाइसेंसिंग आप शुरु कर दीजिए और साथ-साथ ऑक्सीजन को बेहतर बांटने की जरुरत है, तो ये सब चीजें सरकार अगर एक्सपर्ट्स से बात करके अपने आँख, कान, दिमाग खोलकर सब लोगों से बात करे और क्रिटिसिज्म सुनने का दम रखे, तब ये सरकार कर सकती है, और ये कुछ मुश्किल नहीं है, और राहुल जी जो सजेशन देते हैं, राहुल जी कोई अपने मन से सोचकर सजेशन नहीं देते। राहुल जी इंटरेक्ट करते हैं, राहुल जी जो एक्सपर्ट्स है, वर्ल्ड ओवर के एक्सपर्ट्स हैं, उनसे बात करते हैं, चर्चा करते हैं और उस चर्चा से जो निकलकर आता है, उसके बाद में मोदी जी को अपनी तरफ से सुझाव के तौर पर देते हैं, और वही चीज दा लैन्सैट ने भी कहा, वही बात इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रोफेसर्स कह रहे हैं। तो सरकार को चाहिए कि अगर अपोजीशन की तरफ से कोई मेहनत करके, सब लोगों से बात करके कोई सुझाव देता है, तो उसकी तरफ आँख बंद नहीं करनी चाहिए।

कोरोना वैक्सीन के ऊपर जो 5 प्रतिशत जीएसटी लगा रही है सरकार, इसके बारे में आपका क्या कहना है,

आपको मैं याद दिलाना चाहता हूँ कि जब सोनिया जी ने सभी कांग्रेस रूल्ड चीफ मिनिस्टर्स, स्टेट के चीफ मिनिस्टर्स और कांग्रेस के समर्थक, जहाँ-जहाँ पर हमारा शासन है, वहाँ के हैल्थ मिनिस्टर्स की मीटिंग जब ली तो उस मीटिंग के अंदर जीएसटी हटाए जाने की बात की थी और उसी समय सोनिया जी ने चिट्ठी नरेन्द्र मोदी जी को लिखी और उस चिट्ठी के अंदर ये कहा गया कि जीएसटी हटाया जाए।
कांग्रेस के वर्किंग कमेटी ने भी जब डिस्कशन किया तो उसके अंदर भी हम लोगों ने ये मांग की कि जीएसटी को हटाया जाना चाहिए। जितने भी कोविड से संबंधित न केवल वैक्सीन, ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर, दवाईयाँ, जो इस वक्त जीएसटी लग रही है, सभी के ऊपर से जीएसटी हटाई जानी चाहिए।
ये बड़ी अजीब सी बात है कि केन्द्र सरकार अभी राज्य सरकारों से जीएसटी लेगी और उसके बाद उस जीएसटी से वैक्सीन खरीदकर फिर वापस देगी, तो ये पूरा का पूरा चक्कर किसलिए चल रहा है? अगर वही केन्द्र सरकार अगर जीएसटी नहीं लेगी तो उतने ही एक्सट्रा पैसे के साथ वही राज्य सरकारें फालतू वैक्सीन खरीद लेंगी, तो इसमें कोई रॉकेट साइंस नहीं है, तो सरकार को मेरे ख्याल से इन सब चीजों में सिर्फ इसलिए कि कांग्रेस ने डिमांड कर ली है, भाजपा के कोई मुख्यमंत्री की हिम्मत नहीं है कि मोदी जी से डिमांड कर सके. तो मुझे लगता है कि सिर्फ इस वजह से नहीं हो रहा, नहीं तो कोई कारण नहीं है। कोई भी समझदार आदमी को दो मिनट में समझ में आ जाएगा कि कम से कम वैक्सीन के ऊपर तो केन्द्र सरकार जीएसटी न लगाए। और एक तरफ जब केन्द्र सरकार जो 50 प्रतिशत वैक्सीन है, उसको भेजने का दावा और उसको भेजने की कोशिश कर रही है तो फिर जीएसटी किसलिए ले रही है?
On a question that last year Shri Rahul Gandhi specifically asked for that the states are in power to take decision at localized level when it comes to lockdown and containment, so, why should centre be taking a decision on which, Chief Ministers are very well aware of it, what is your response on it, Shri Maken said- I think, if you look at what the IMA is asking, if you look at what the Lancet has said, both the Lancet and the IMA, both are expertsbodies who have given suggestion based on their professional knowledge and no one would disagree that human lives are costlier as there is nothing more costly than the human lives. IMA since last 20 days, are saying that there should be a complete lockdown, what more do you want?
If suppose, the IMA (the Indian Medical Association), which is the professional body, if suppose the Lancet, which is again, you can say, the editorial of the Lancet is saying so, it is peer review journal, which is one of the most reputed journal of the world.
So, if the most reputed, journal of the world is saying that we should go for a complete lockdown and in between this complete lockdown; we should ensure full vaccination of our entire population. So, if such things are coming from the professionals, so, I don’t think that any further question is required, so that is why, at this juncture, we are saying that the Central Government should come forward and declare a complete national lockdown with a rider that it should be with NYAY.
In Hindi always say, कि लोगों की या तो महामारी से मृत्यु होती है, या भुखमरी से मृत्यु होती है। People should not die, either from hunger, or from pandemic. So, it is the duty of the national government to ensure that people should not die either from pandemic or from hunger. So, this is the duty of our national government they have to ensure that भुखमरी या महामारी, दोनों में से किसी से भी मृत्यु न हो, this is what we are saying.
On a further question that as you know, that economy has already shrunk, people have lost jobs, if we go for a national lockdown, the poor people will face the biggest brunt of it, what do you say on it, Shri Maken said- Absolutely!, You are absolutely right, that is why, I am saying that people should not die either of pandemic or of hunger, so, the Central Government should ensure that Rs. 6,000 a month, if put into the accounts of such people, so that is what our regular demand and this is something, which can be done. So, instead of handing over money to rich people, to crony capitalists, the money should be handed over to the poorest of the poor. Why shouldn’t the Government hand over Rs. 6,000 a month to the poor people, so that they can tie over the present crisis, so that they don’t die of hunger? The lockdown is important, because people shouldn’t die because of pandemic, but, Rs. 6,000 is also equally important so that people don’t die of hunger.

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