COVID-19

“पानी की जरूरत”

हमारे देश में पीने के लिए सुरक्षित पानी अर्थात पेयजल प्रचुर मात्रा में उपलब्ध नहीं है यानी पानी को बर्बाद नहीं करना चाहिए इसका संरक्षण अवश्य होना चाहिए

सभी सजीव वस्तुओं के लिए पानी एक आवश्यक घटक है सभी जानवरों तथा पेड़ों में पानी की बड़ी मात्रा रहती है इंसान के शरीर में भी लगभग 70% पानी रहता है कुछ फलों और सब्जियों में पानी की मात्रा 90 से 95% परसेंट होती है।

सभी जानवरों और पेड़ों को पानी की जरूरत होती है इंसान भी पानी के बिना जिंदा नहीं रह सकता इंसान औसतन 2 लीटर पानी हर रोज पीता है यह पानी इंसान के ताप को बनाए रखने में सहायक होता है इंसान के शरीर में होने वाली अनेक अभिक्रियाओं के लिए पानी बहुत जरूरी है जानवर तालाब, झरनों ,तथा नदियों का पानी पीते हैं पेड़ अपने मूलो या जड़ों द्वारा मिट्टी से पानी लेते हैं।

*जल के स्रोत*

दुनिया पर पानी का सबसे बड़ा स्रोत समुद्र है जो दुनिया की दो तिहाई सता पर फैला है समुद्री पानी खारा होता है और इसका प्रयोग कृषि और घरों में नहीं हो सकता है I
नदी, झील, तालाब, कुआ, वर्षा ,और हिम पानी के अन्य स्रोत हैं।
शहरीकरण के लोगों से कहना है बल्कि सभी लोगों से कहना है पानी का इस्तेमाल सावधानीपूर्वक करें क्योंकि शहरों में पानी बहुत आसानी से नहीं पहुंचता इसके लिए शहरों में लोग नलों से पानी जो प्राप्त करते हैं वह पानी लंबी दूरी तय है करता हुआ शहरों तक पहुंचता है I
हमारे भारत के बहुत सारे शहरों में पानी के स्रोत नदी झील आदि से पानी को पंप के माध्यम से हौज में जमा किया जाता है यह पानी जल संस्थान तक जाता है जहां इसे साफ किया जाता है यहां पानी को चिकने कंकड़ और बालू की परतों से होकर छाना जाता है पानी में कुछ रसायन जैसे क्लोरीन डाले जाते हैं इस प्रकार साफ किए पानी को मुख्य पाइप द्वारा शहर के विभिन्न हिस्सों में भेजा जाता है छोटे-छोटे पाइप द्वारा पानी प्रत्येक घर तक पहुंच जाता है जिन स्थानों पर नलों से पानी मिलने की सुविधा नहीं है वहां पर लोग नदी झील झरना और कुओं से पानी लेते हैं इन स्रोतों से पानी को उबालकर छानकर और रसायन जैसे पोटेशियम परमैग्नेट डालकर पीने योग्य बनाया जाता है इसका एक मुख्य उदाहरण है हरिद्वार हरिद्वार में गंगा नदी का पानी हर नलकूप में पहुंचाया जाता है जो की शुद्धता के साथ-साथ ठंडा भी होता है।

*पीने का पानी*

रंगीन गंदहीन स्वच्छ एवं पारदर्शक होता है यह निलंबित औषधीय एवं विभिन्न जीवाणुओं से मुक्त होता है लेकिन इसमें कुछ खनिज लवण घुले रहते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होते हैं तथा पानी को स्वादिष्ट भी बनाते हैं सामान्यता कुएं एवं नलकूप का जल पीने योग्य होता है लेकिन इस को शुद्ध करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है यदि जल में भयानक रोग तथा टाइफाइड कॉलरा पेचिश आदि को उत्पन्न करने वाले जीवाणु भी शामिल होते हैं।

*जल संरक्षण*
घर में कृषि उद्योग में पानी यूज होने के बाद प्रदूषित हो जाता है इस्तेमाल किए गए पानी में अवशेष और नुकसान दे पदार्थ होते हैं जिनको प्रदूषित कहते है प्रदूषित पानी पीने से रोग पैदा होते हैं हमारे देश में अधिकांश नदियां और झीलें प्रदूषित हो गई हैं जल प्रदूषण को नियंत्रण करने का पूरा प्रयास किया जा रहा है जल प्रदूषण का कुछ हद तक नियंत्रण कई विधियों द्वारा किया जा सकता है।

*नदियों और झीलों जैसे पानी के स्रोतों में घरेलू औद्योगिक और अन्य अवशेषों को सीधे गिरने से रोककर पानी का प्रदूषण दूर किया जा सकता है

*पानी के स्रोतों के पास कपड़े धोना और बर्तन साफ नहीं करना चाहिए

*इन बातों का ध्यान रखना उन्हें साफ रखने में भी सहायक होगा

पानी प्राकृतिक साधन है और मुफ्त में उपलब्ध है हम कुएं या नदी या तालाब से पानी ला सकते हैं किंतु यह पीने के लिए उपयोगी नहीं है इस पानी को पीने योग्य बनाने के लिए पानी को उबालना चाहिए अथवा उसमें पोटेशियम परमैग्नेट और क्लोरीन जैसे कुछ रसायन डालने चाहिए शहरों में पानी की सफाई करने के बाद नदियों द्वारा उसकी आपूर्ति की जाती है हमारे देश में पीने के लिए सुरक्षित पानी अर्थात पेयजल प्रचुर मात्रा में उपलब्ध नहीं है पानी को बर्बाद नहीं करना चाहिए इसका संरक्षण अवश्य होना चाहिए पानी के संरक्षण के लिए प्रत्येक व्यक्ति को इस दिशा में प्रयत्नशील रहना चाहिए।
पानी के स्रोतों का न्यूनतम प्रदूषण हो इसके लिए भी उपाय करने चाहिए पानी के अनेक उपयोगों से हम पहले ही परिचित हो गए हैं कई क्षेत्रों में कुआं से अधिक मात्रा में पानी कृषि और घरेलू कार्यों के लिए निकाले जाते हैं जब वर्षा अपर्याप्त हो जाती है तब कुआं में पानी का स्तर नीचे चला जाता है पर्याप्त पानी निकालना कठिन हो जाता है वर्षा बढ़ाने में वन सहायक होते हैं अतः हमें वनों को नष्ट नहीं करना चाहिए बल्कि अधिक से अधिक पेड़ पौधों को लगाना चाहिए पानी की कमी की पूर्ति टंकी में वर्षा का पानी एकत्र कर भूमिगत भंडारण बनाकर या छोटा सा बांध बनाकर की जा सकती है।

*अंजुम क़ादरी*

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