Chhattisgarh

Chhattisgarh Chief Minister writes to Union Food Minister Piyush Goel

CM requests to increase permission for 24 lakh metric tons of rice to 40 lakh metric tons in the Food Corporation of India in the interest of the farmers

Paddy being procured under MoU from Government of India: 90 lakh metric tonnes of paddy from 20.29 lakh farmers till 28 January

Paddy quality likely to be affected if paddy is kept in open for long period

If the permission is not given, approximately Rs. 2500 crore will be a financial loss to the state

Raipur, January 29, 2021

Chhattisgarh Chief Minister Bhupesh Baghel has written a letter to Union Consumer Affairs, Food and Public Distribution Minister Piyush Goyal and urged him to increase the permitted amount of 24 lakh metric tons of rice to be procured under the central pool in FCI to 40 lakh metric tons in the Kharif marketing year 2020-21as soon as possible, considering the interest of Chhattisgarh farmers.

The chief minister said that in the Kharif marketing season in Chhattisgarh, the paddy was procured at the minimum support price from the farmers as per the MoU with food department, government of India, under the decentralized procurement scheme for the procurement of paddy.

In the state in the Kharif marketing year 2020-21, as on 28 January 2021, under the decentralized procurement scheme, 90 lakh metric tonnes of paddy has been procured from 20.29 lakh farmers on the support price and paddy purchase will be done by 31 January 2021.

Registration of farmers for procurement of paddy on support price for Kharif marketing year 2020-21 in Chhattisgarh was done after physical verification of paddy field sown through Revenue Department and paddy was procured from registered farmers as above. Paddy farming is the main source of livelihood for the people of Chhattisgarh. In the Naxal affected areas (LWE) in the state, registration of farmers holding forest rights has been done and the work of purchasing paddy has been done. Procurement of their produce from the farmers residing in forest areas will be helpful in eradicating the Naxal problem.

In the meeting of the Food Secretaries of the Government of India for the Kharif Marketing Year 2020-21, in-principle consent has been given to take 60 lakh metric tons of rice to the central pool for Chhattisgarh, due to which it is possible to resolve about 89 lakh metric tons of paddy currently acquired. But the Food Department has been allowed by the Government of India to take only 24 lakh metric tonnes of rice (16 lakh metric tons of unna and 8 lakh metric tons of arva) under the central pool in the Food Corporation of India in the Kharif year 2020-21. The state’s PDS will require 20 lakh metric tons of rice and in addition to this, the stock of 3 lakh metric tons of rice will be kept by the Civil Supplies Corporation. In this way, it will be possible to dispose of 70.50 lakh metric tonnes of paddy from 47 lakh metric tonnes of rice which is being acquired. The state is estimated to have acquired around 93 rice rice in the Kharif year 2020-21.

Mr. Baghel has written in the letter that in the MoU, there is a directive to supply rice stock to the Food Corporation of India in addition to the requirement of PDS of the state out of the paddy acquired under clause 18 of the paddy, so the proportion of all surplus paddy remaining in addition to the state requirement by the Government of India under the said provisions. There is a request to take 40 lakh metric tonnes under the Central Pool in Food Corporation of India. He added that if the permission for the above is not given by the Government of India, then an economic loss of an amount of about Rs 2500 crores is likely, which the state government will have to bear, making the situation very worrying.

Mr. Baghel wrote that – 575.36 lakh metric tons of paddy has been procured by the Government of India till 20 January 2021 in the Kharif marketing year 2020-21, which is 466.22 lakh metric tons of paddy i.e. 23.41 percent more than during the same period in the Kharif marketing year 2019-20. In Chhattisgarh, the quantity of paddy acquired in Kharif marketing year 2020-21 is 90 lakh metric ton last year. The amount of paddy acquired in Kharif marketing year 2019-20 is 7.2 percent more than 83.94 lakh metric ton, so it is clear from the above that Kharif in Chhattisgarh region. The comparative increase of the quantity of paddy procured in the marketing year 2020-21, compared to the quantity of paddy acquired in the kharif marketing year 2019-20, is under the national average.

The Chief Minister has written that – in the Kharif marketing year 2020-21, the State Government has not announced any kind of bonus payment in addition to the minimum support price directly and indirectly. Earlier, the state government had sent information about the status of the Rajiv Gandhi Kisan Nyaya Yojana in the state to the Food Department, Government of India.

The Chhattisgarh government has not issued any press release regarding the bonus payment in addition to the minimum support price. After procurement on support price, the paddy is kept open in the procurement centers and collection centers. Paddy quality is likely to be affected if the paddy is kept in an open uncontrolled condition for a long period.

Mr. Baghel emphasized that sympathetically considering the above subject related to farmer interest, in the Kharif marketing year 2020-21, the state’s PDS requires additional surplus rice to be procured under the Central Pool for 24 lakhs in Food Corporation of India Permission to acquire 40 lakh metric tonnes by increasing the amount of permission for metric tons of rice has been requested to be provided as soon as possible.

मुख्यमंत्री बघेल ने केन्द्रीय खाद्य मंत्री गोयल को लिखा पत्र

राज्य के किसानों के हित में भारतीय खाद्य निगम में 24 लाख मेट्रिक टन चावल की अनुमति की मात्रा बढ़ाकर 40 लाख मैट्रिक टन करने का किया अनुरोध

भारत सरकार से एमओयू के तहत हो रही धान खरीदी: 28 जनवरी तक 20.29 लाख किसानों से 90 लाख मैट्रिक टन धान का उपार्जन

धान की खेती छत्तीसगढ़वासियों की आजीविका का प्रमुख साधन

प्रदेश में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों (एलडब्ल्युई) में भी वन अधिकार पट्टाधारी किसानों से की जा रही धान खरीदी

धान लंबी अवधि तक खुले में रखे होने पर धान की गुणवत्ता प्रभावित होने की आशंका

अनुमति नही मिलने पर सरप्लस धान के निराकरण में लगभग राशि रू. 2500 करोड़ की राज्य को होगी आर्थिक हानि

रायपुर, 29 जनवरी 2021

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केन्द्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर राज्य के किसानों के हित में सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में राज्य की पीडीएस की आवश्यकता से अतिरिक्त समस्त सरप्लस धान का चावल केन्द्रीय पूल अंतर्गत उपार्जन किये जाने के लिए भारतीय खाद्य निगम में 24 लाख मैट्रिक टन चावल की अनुमति की मात्रा को वृद्धि कर 40 लाख मैट्रिक टन उपार्जित किये जाने की अनुमति यथाशीघ्र प्रदाय करने का अनुरोध किया है ।

बघेल ने अपने पत्र में लिखा है कि- छत्तीसगढ़ प्रदेश में खरीफ विपणन सीजन में किसानों से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान का उपार्जन विकेन्द्रीकृत उपार्जन योजना के अंतर्गत खाद्य विभाग भारत सरकार के साथ हुए एम.ओ.यू. के तहत की जाती है । प्रदेश में खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में 28 जनवरी, 2021 की स्थिति में विकेन्द्रीकृत उपार्जन योजनांतर्गत समर्थन मूल्य पर 20.29 लाख किसानों से 90 लाख मैट्रिक टन धान का उपार्जन किया जा चुका है एवं धान खरीदी का कार्य दिनांक 31 जनवरी, 2021 तक किया जावेगा ।

छत्तीसगढ़ प्रदेश में खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 हेतु समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के लिए किसानों का पंजीयन राजस्व विभाग के माध्यम से बोए गए धान के रकबे का भौतिक सत्यापन एवं गिरदावरी के पश्चात किया गया एवं उक्तानुसार पंजीकृत किसानों से ही धान का उपार्जन किया गया है। छत्तीसगढ़ प्रदेश में धान की कृषि यहां के निवासियों के आजीविका का प्रमुख साधन है । प्रदेश में नक्सल प्रभावित क्षेत्रों (एलडब्ल्युई) में भी वन अधिकार पट्टाधारी किसानों का पंजीयन किया जाकर धान की खरीदी का कार्य किया गया है । वनांचलों में निवासरत कृषकों से उनकी उपज की समर्थन मूल्य पर खरीदी नक्सल समस्या के उन्मूलन में सहायक सिद्ध होगी ।

खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 के लिए भारत सरकार की खाद्य सचिवों की बैठक में छत्तीसगढ़ के लिए 60 लाख मैट्रिक टन चावल केन्द्रीय पूल में लिये जाने की सैद्धांतिक सहमति प्रदान की गई है, इससे वर्तमान में उपार्जित लगभग 89 लाख मैट्रिक टन धान का निराकरण संभव हो सकेगा। किंतु खाद्य विभाग भारत सरकार द्वारा खरीफ वर्ष 2020-21 में भारतीय खाद्य निगम में केन्द्रीय पूल अंतर्गत 24 लाख मैट्रिक टन चावल (16 लाख मैट्रिक अन उसना एवं 8 लाख मैट्रिक टन अरवा) ही लिये जाने की अनुमति प्रदान की गई है । राज्य की पीडीएस हेतु 20 लाख मैट्रिक टन चावल की आवश्यकता होगी एवं इसके अतिरिक्त 3 लाख मैट्रिक टन चावल का स्टॉक नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा रखा जावेगा । इस प्रकार कुल उपार्जित होने वाले 47 लाख मैट्रिक टन चावल से 70.50 लाख मैट्रिक टन धान का निराकरण संभव हो सकेगा । राज्य में खरीफ वर्ष 2020-21 में लगभग 93 स्डज् चावल उपार्जित होना अनुमानित है ।

बघेल ने पत्र में लिखा है कि- एम.ओ.यू. की कंडिका 18 के तहत उपार्जित धान में से राज्य की पीडीएस की आवश्यकता के अतिरिक्त चावल का स्टॉक भारतीय खाद्य निगम को प्रदाय किये जाने के निर्देश हैं, अतः उक्त प्रावधानों के तहत भारत सरकार द्वारा राज्य की आवश्यकता के अतिरिक्त शेष समस्त सरप्लस धान का अनुपातिक चावल 40 लाख मैट्रिक टन को भारतीय खाद्य निगम में केन्द्रीय पूल अंतर्गत लिये जाने का अनुरोध है। यदि भारत सरकार द्वारा उपरोक्त हेतु अनुमति प्रदान नहीं की जाती है तो सरप्लस धान के निराकरण में लगभग राशि रू. 2500 करोड़ की आर्थिक हानि संभावित है, जो राज्य शासन को वहन करनी पड़ेगी। यह स्थिति अत्यंत ही चिंतनीय है ।

बघेल ने लिखा कि – भारत सरकार द्वारा खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में 575.36 लाख मैट्रिक टन धान का उपार्जन 20 जनवरी 2021 तक किया गया है, जो खरीफ विपणन वर्ष 2019-20 में समान अवधि में उपार्जित धान की मात्रा 466.22 लाख मैट्रिक टन से 23.41 प्रतिशत अधिक है । छत्तीसगढ़ प्रदेश में खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में उपार्जित धान की मात्रा 90 लाख मैट्रिक टन गत वर्ष खरीफ विपणन वर्ष 2019-20 में उपार्जित धान की मात्रा 83.94 लाख मैट्रिक टन से 7.2 प्रतिशत अधिक है अतः उपरोक्त से स्पष्ट है कि छत्तीसगढ़ प्रदेश में खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में उपार्जित धान की मात्रा का गत वर्ष खरीफ विपणन वर्ष 2019-20 में उपार्जित धान की मात्रा से तुलनात्मक वृद्धि राष्ट्रीय औसत के अंतर्गत है ।

मुख्यमंत्री ने लिखा है कि – राज्य शासन द्वारा खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में न्यूनतम समर्थन मूल्य के अतिरिक्त किसी भी प्रकार का बोनस भुगतान की घोषणा प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से नहीं की गई है । पूर्व में भारत सरकार द्वारा राज्य में प्रचलित “राजीव गांधी किसान न्याय योजना के संबंध में वस्तुस्थिति की चाही गई जानकारी राज्य शासन के द्वारा खाद्य विभाग भारत सरकार को प्रेषित की गई है ।

छत्तीसगढ़ शासन द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य के अतिरिक्त बोनस भुगतान के संबंध में किसी प्रकार की प्रेस-विज्ञप्ति जारी नहीं की गई है । समर्थन मूल्य पर उपार्जन उपरांत धान खरीदी केन्द्रों एवं संग्रहण केन्द्रों में खुले में रखा हुआ है । धान लंबी अवधि तक खुले में अनिराकृत स्थिति में रखे होने पर धान की गुणवत्ता प्रभावित होने की आशंका बनी रहती है ।

बघेल ने केन्द्रीय मंत्री से किसान हित से जुड़े उपरोक्त विषय पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करते हुए खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 में राज्य की पीडीएस की आवश्यकता से अतिरिक्त समस्त सरप्लस धान का चावल केन्द्रीय पूल अंतर्गत उपार्जन किये जाने के लिए भारतीय खाद्य निगम में 24 लाख मैट्रिक टन चावल की अनुमति की मात्रा को वृद्धि कर 40 लाख मैट्रिक टन उपार्जित किये जाने की अनुमति यथाशीघ्र प्रदाय किये जाने का अनुरोध किया है।

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