मज़हर इक़बाल
सिम्स (छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान)की कमियां खुलकर सामने आने लगी हैं। गुरुवार को जब स्वास्थ्य सचिव पी. दयानंद सिम्स पहुंचे तो उन्हें हर तरफ अव्यवस्थाएं मिलीं। संसाधन होने के बाद उनका सही उपयोग न होना, अधिकारियों का संस्था के प्रति उदासीन रवैया देखकर उन्होंने सभी की क्लास लगाते हुए जमकर फटकार लगाई। मरीजों से जानकारी लेने पर पता चला कि वे एक घंटे से लाइन में खड़े हुए हैं। इसके अलावा टीम को गंदगी मिली। इसके बाद टीम को गायनिक ओपीडी में महिलाएं जमीन में बैठी हुई मिलीं। वार्ड में भी प्रसूताओं की अत्यधिक भीड़ थी। उन्होंने साफ किया कि हर हाल में सिम्स की व्यवस्था को पटरी पर लाना होगा। इसमें किसी भी प्रकार की कोताही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सिम्स की बदहाल व्यवस्था की जानकारी के बाद हाई कोर्ट ने इस मामले को गंभीरता से लिया है। इसी के तहत सिम्स की व्यवस्था में सुधार लाने की कवायद भी प्रशासन स्तर पर शुरू कर दी गई है। ऐसे में मौजूदा स्थिति में सिम्स की खामियों को सामने लाया जा रहा है, ताकि इन्हें दूर कर सिम्स की व्यवस्था को दूरुस्त किया जा सके। इसी को लेकर गुरुवार की स्वास्थ्य सचिव पी. दयानंद सिम्स का निरीक्षण के लिए पहुंचे। इस दौरान उनके साथ नगर निगम आयुक्त कुणाल दुदावत, डीएमई विष्णु दत्त के साथ अन्य अधिकारी निरीक्षण में शामिल रहे। यह निरीक्षण सुबह 11 बजे से शाम छह बजे तक चला। लगभग सात घंटे तक चले निरीक्षण के दौरान स्वास्थ्य सचिव ने पूरे अस्पताल भवन का बारीकी से निरीक्षण किया। उन्हें लगभग सभी डिपार्टमें में खामियां मिलीं। इन अव्यवस्था को देखकर सभी को यह समझ आ गया कि सिम्स के संचालन में अधिकारी उदासीन रवैया अपना रहे हैं और तमाम संसाधन व सुविधा होने के बाद भी इस अस्पताल में मरीज मिलने वाले सुविधाओं से अक्सर वंचित हो रहे हैं। लगातार सामने आ रही अव्यवस्था को देखते हुए उन्होंने संबंधित अधिकारियों को जमकर फटकार लगाते हुए साफ किया है कि यदि अब व्यवस्था सही नहीं हुई तो कार्रवाई की गाज गिरना तय है।
हाई कोर्ट के आदेश के बाद- सिम्स के बदहाल व्यवस्था का जायजा लेने के लिए हाई कोर्ट के तीन सदस्यीय कोर्ट कमिश्नर पहुंचे। हर जगह का बारीकी से निरीक्षण करते हुए वीडियाग्राफी की गई। इस दौरान कई प्रकार की खामियां मिलीं, जिससे वे नाराज दिखे। ऐसे में पूरे निरीक्षण की रिपोर्ट बनाई गई है। इसे हाई कोर्ट में प्रस्तुत किया जाएगा। रिपोर्ट के निरीक्षण के बाद बदलाव के जरूरी कदम उठाए जाएंग
बिना ठेका होटल का संचालन- स्वास्थ्य सचिव जब परिसर में संचालित हो रहे होटल के पास पहुंचे तो उन्होंने डीन डा़ केके सहारे से जानकारी ली कि इस होटल संचालन की ठेका प्रक्रिया हुई है या नहीं। उन्हें बताया गया कि यह बिना ठेका के संचालित हो रहा है। तब फटकार लगाते हुए कहा कि बिना ठेका के इस तरह परिसर में होटल का संचालन नहीं हो सकता। यह अवैध कब्जा है, इसे तत्काल हटाया जाए।
रेडियोलाजी डिपार्टमेंट में पकड़ा झूठ – स्वास्थ्य सचिव ने रेडियोलाजी डिपार्टमेंट का भी निरीक्षण किया। उन्होंने एमआरआइ और सीटी स्केन जाकर मशीन से संबंधित जानकारी ली। इस दौरान उन्होंने डिपार्टमेंट की एचओडी अर्चना सिंह से जानकारी ली कि रोजाना एमआरआइ और सीटी स्केन जांच कितनी होती है। तब एचओडी ने बताया कि रोजाना नौ एमआरआइ और 35 सीटी स्केन जांच होती है। जब रजिस्टर का अवलोकन किया गया तो पता चला कि रोजाना चार से पांच एमआरआइ और 20 से 25 सीटी स्केन हो रहा है। तब उन्होंने कहा कि यह तो गड़बड़ी है, ऐसा ठीक नहीं है, हर हाल में व्यवस्था में सुधार होना चाहिए।
पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों की ली क्लास- एमआरआइ कक्ष के रिसेप्शन में पानी टपकता मिला तो स्वास्थ्य सचिव ने इससे संबंधित जानकारी ली। उन्हें बताया कि ड्रेनेज सिस्टम सही नहीं है। नीचे ब्लाक होने की वजह से सालों से यह समस्या बनी हुई है। यह बात सुनकर उन्होंने पीडब्ल्यूडी के इंजीनियरों की जमकर क्लास ली और कहा कि प्रेशर डालकर नाली साफ करो। उससे भी नहीं हो पा रहा है तो जिस स्थान में जाम है वहां पर तोड़कर सफाई करो। काम नहीं करना चाहते हो, इसलिए यह समस्या बनी हुई है। तत्काल इस समस्या को दूर करने के लिए काम चालू करने के निर्देश दिए। सीपेज दूर करने के निर्देश दिए।
गायनिक वार्ड में मशीनों की कमी- गायनिक वार्ड के निरीक्षण के समय स्वास्थ्य सचिव दयानंद को बताया गया कि यहां पर कुछ मशीनों की कमी है। तब उन्होंने पूछा कि इन मशीन को लाने के लिए अब तक क्या किया गया है, तो बताया गया कि डिमांड भेजी गई है। फंड की कमी के वजह से मशीनें नहीं आ पा रही हैं। यह बात सुनकर एक फिर अधिकारियों को फटकार लगी। उन्होंने कहा कि फंड की कमी की कोई बात नहीं है। यहां से डिमांड ही नई की जा रही है। अब तक जितनी भी डिमांड की गई है, उसे प्रस्तुत करें। देखने हैं कि यहां काम प्रक्रिया के अनुरूप हो रहा है या नहीं।
मरीजों ने भी नहीं मिलती दवा- स्वास्थ्य सचिव एमआरडी सेक्शन भी पहुंचे। वहां मरीजों की भीड़ और अव्यवस्था को देखते हुए एमआरडी का विस्तार करने के निर्देश दिए। इसके बाद वे दवा स्टोर पहुंचे और दवा लेने वाले मरीजों से बात की। तब मरीजों ने बताया कि यहां कभी पूरी दवा नहीं मिलती है। यदि डाक्टर पांच प्रकार की दवा लिख रहे हैं तो सिर्फ दो से तीन प्रकार की दवा मिल पाती है। यह बात सुनने के बाद साफ किया कि शासन द्वारा सभी प्रकार की दवाएं भेजी जाती हैं। तब दवा क्यों कम मिल रही है। इसके बाद दवा वितरण, डिमांड आदि की फाइल प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं, ताकि अवलोकन कर व्यवस्था को सही किया जा सके। बाक्स ये खामियां भी मिलीं- बाथरूम में गंदगी मिली।- जगह-जगह दीवारों में सीपेज मिला। – कई वार्ड में मरीज के बेड में साफ-सफाई नहीं मिली। – जगह-जगह कबाड़ पड़ा हुआ मिला। – दवाओं की कमी मिली। – मरीज जमीन पर बैठे हुए मिले। – नालियों से कई स्थान पर ओवरफ्लो मिला।
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