In two years, the number of farmers selling paddy increased from 12 lakh to 18.38 lakh
The registered area under paddy has increased from 24.46 lakh hectare to 27.59 lakh hectare
Area under paddy increases by 3 lakh 32 thousand 838 hectares
Chhattisgarh’s festival of paddy purchase on support price is going to commence from December 1. 21 lakh 29 thousand 764 farmers have registered to sell paddy in the state this year, the area under which paddy is sown is more than 27 lakh 59 thousand 385 hectares. Due to the farmer-friendly policies of Chief Minister Mr. Bhupesh Baghel, both the area under farming and number of farmers have increased during two years. In two years, the area under paddy has increased from 19.36 lakh hectare to 22.68 lakh hectare and the number of farmers has increased from 12 lakh 6 thousand to 18 lakh 38 thousand. In this way, there is an increase of 3 lakh 32 thousand hectares in area and 6.32 lakh in the number of farmers. This year, the number of farmers registering for selling paddy has crossed 21.29 lakh and the area of paddy registration has crossed 27.59 lakh hectare.
In the year 2017-18, 56.85 lakh metric tonnes of paddy was purchased in the state of Chhattisgarh at the support price. During two years, this figure of paddy procurement has reached 83.94 lakh metric tonnes. Considering the number of farmers registered to sell paddy this year and the area under paddy, the support price is estimated to be higher than last year. Regarding this, all possible arrangements are being ensured by the state government. Despite the lack of gunny bags for the procurement of paddy, the government is engaged in its management. All arrangements are being made for the convenience of the farmers at the paddy procurement centers.
Chhattisgarh government had purchased 80.38 lakh metric tonnes of paddy from 15.71 lakh farmers in the year 2018-19. In the year 2019-20, a record 83.94 lakh metric tonnes of paddy was purchased from 18.38 lakh farmers. The percentage of farmers selling paddy has also increased compared to registered farmers in the state in two years. In 2017-18, 76.47 percent farmers sold paddy. With the Chief Minister, Mr. Bhupesh Baghel taking over the reins of the state, this figure has increased to 92.61 percent in the year 2018-19. In the last marketing year 2019-20, 94.02 percent farmers in the state sold paddy at the support price.
Decisions taken in the interest of farmers in Chhattisgarh have started a new phase of farming and happiness of farmers. The Chief Minister, Mr. Bhupesh Baghel, fulfilled his promise to farmers by waiving agricultural loan of about 9 thousand crores of 17 lakh 82 thousand farmers of the state as soon as he took over the reins of power. The compensation amount for the acquisition of agricultural land has been increased to four times from double, along with the waiving of irrigation tax of Rs 244.18 crore which over 17 lakh farmers of the state owed for years. More than 5 lakh farmers of the state are being given relief of about Rs 900 crore annually by providing electricity at free and subsidized rate.
The Government of Chhattisgarh launched the Rajiv Gandhi Kisan Nyay Yojana from 21 May 2020 to provide the farmers their right and fair price for their produce. Under this scheme 19 lakh farmers of the state are being given in four installments an amount of Rs 5750 crores. So far, direct assistance of Rs 4500 crore has been given to the farmers in three installments. To encourage cow rearing, village employment and organic farming in the state, Godhan Nyaya Yojana was launched in the state of Chhattisgarh from the day of Hareli festival on 20 July 2020. Under this scheme, cow dung is being purchased for 2 rupees per kg from villagers, farmers and cow rearers in village Gothans. So far, 26 lakh 76 thousand quintal cow dung has been purchased from the villagers, farmers and cow rearers and an amount of Rs 53.53 crore has been paid to them. To protect and promote the four signs of Chhattisgarh, Narva, Garwa, Ghurwa and Bari, the Suraji Gram scheme is being implemented in the state. Under this scheme, construction of 6 thousand 430 Gouthans in the state and income-generating activities are being promoted through women’s groups.
राज्य में इस साल समर्थन मूल्य पर धान बेचने 21 लाख 29 हजार 764 किसानों ने कराया पंजीयन
दो सालों में धान बेचने वाले कृषकों की संख्या 12 लाख से बढ़कर 18.38 लाख हुई
धान के पंजीकृत रकबा 24.46 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 27.59 लाख हेक्टेयर हुआ
धान के रकबे में हुई 3 लाख 32 हजार 838 हेक्टेयर की बढ़ोत्तरी
छत्तीसगढ़ राज्य में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी का महापर्व एक दिसम्बर से शुरू होने जा रहा है। राज्य में इस साल धान बेचने के लिए 21 लाख 29 हजार 764 किसानों ने पंजीयन कराया है, जिनके द्वारा बोये गए धान का रकबा 27 लाख 59 हजार 385 हेक्टेयर से अधिक है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की किसान हितैषी नीतियों के चलते दो सालों के दरमियान खेती-किसानी के रकबे और किसानों की संख्या में इजाफा हुआ है। दो सालों में धान बेचने वाले किसानों का रकबा 19.36 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 22.68 लाख हेक्टेयर और किसानों की संख्या 12 लाख 6 हजार बढ़कर 18 लाख 38 हजार हो गई है। इस प्रकार देखा जाए तो रकबे में 3 लाख 32 हजार हेक्टेयर तथा किसानों की संख्या में 6.32 लाख बढ़ोत्तरी हुई है। इस साल धान बेचने के लिए पंजीयन कराने वाले किसानों की संख्या 21.29 लाख से अधिक और धान पंजीयन का रकबा 27.59 लाख हेक्टेयर के पार पहुंच गया है।
वर्ष 2017-18 में छत्तीसगढ़ राज्य में समर्थन मूल्य पर 56.85 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी हुई थी। दो सालों के दौरान धान खरीदी का यह आंकड़ा 83.94 लाख मीट्रिक टन पहुंच गया। इस साल धान बेचने के लिए पंजीकृत किसानों की संख्या और धान की रकबे को देखते हुए समर्थन मूल्य पर बीते वर्ष की तुलना में ज्यादा खरीदी का अनुमान है। इसको लेकर राज्य शासन द्वारा हर संभव व्यवस्थाएं सुनिश्चित की जा रही है। धान उपार्जन के लिए बारदाने की कमी के बावजूद भी सरकार इसके प्रबंध में जुटी है। धान उपार्जन केन्द्रों में किसानों की सहूलियत को लेकर सभी व्यवस्थाएं की जा रही है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने वर्ष 2018-19 में 15.71 लाख किसानों से 80.38 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी की गई थी। वर्ष 2019-20 में 18.38 लाख किसानों से 83.94 लाख मीट्रिक टन धान की रिकॉर्ड खरीदी की गई थी। राज्य में दो सालों में पंजीकृत किसानों की तुलना में धान बेचने वाले कृषकों के प्रतिशत में भी बढ़ोत्तरी हुई है। वर्ष 2017-18 में 76.47 प्रतिशत किसानों ने धान बेचा था। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा प्रदेश की बागडोर संभालते ही वर्ष 2018-19 में यह आंकड़ा 92.61 प्रतिशत हो गया है। बीते विपणन वर्ष 2019-20 में राज्य में 94.02 प्रतिशत किसानों ने समर्थन मूल्य पर धान बेचा था।
छत्तीसगढ़ में किसानों के हित में लिए गए फैसलों से यहाँ खेती-किसानी और किसानों की खुशहाली का एक नया दौर शुरू हुआ है। मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने सत्ता की बागडोर संभालते ही राज्य के 17 लाख 82 हजार किसनों का लगभग 9 हजार करोड़ रूपए का कृषि ऋण माफ कर किसानों से किए अपने वायदे को पूरा किया। राज्य के 17 लाख से अधिक किसानों पर वर्षों से बकाया 244.18 करोड़ रूपए का सिंचाई कर माफ करने के साथ ही कृषि भूमि के अधिग्रहण पर मुआवजा राशि को दोगुना से बढ़ाकर चार गुना कर दिया गया। राज्य के 5 लाख से अधिक किसानों को निःशुल्क एवं रियायती दर पर बिजली उपलब्ध कराकर सालाना लगभग 900 करोड़ रूपए की राहत दी जा रही है।
छत्तीसगढ़ सरकार ने किसानों को उनका हक़ और उपज का वाजिब मूल्य दिलाने के लिए 21 मई 2020 से राजीव गांधी किसान न्याय योजना शुरू की। इस योजना के तहत राज्य के 19 लाख किसानों को 5750 करोड़ रूपए की चार किश्तों में दी जा रही है। अब तक तीन किश्तों में किसानों को 4500 करोड़ रूपए की सीधी मदद दी जा चुकी है। राज्य में गौपालन, गांवों में रोजगार और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए 20 जुलाई 2020 को हरेली पर्व के दिन से छत्तीसगढ़ राज्य में गोधन न्याय योजना प्रारंभ की गई। इसके माध्यम से गांव के गौठानों में ग्रामीणों, किसानों और गौपालको से 2 रुपये किलो में गोबर क्रय किया जा रहा है। ग्रामीणों, किसानों और गौपालकांे से अब तक 26 लाख 76 हजार क्विंटल गोबर की खरीदी और उन्हें 53.53 करोड़ की राशि का भुगतान किया गया है। छत्तीसगढ़ की चार चिन्हारी नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी को संरक्षित और संवर्धित करने के लिए राज्य में सुराजी गांव योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है। इसके तहत राज्य में 6 हजार 430 गौठानों का निर्माण और वहाँ महिला समूह के माध्यम से आय मूलक गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है।
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