तरुण कौशिक, संपादक, सर्वव्यापी अखबार
बिलासपुर । छत्तीसगढ़ के स्वास्थ्य मंत्री टी. एस. सिंहदेव नियमों के तहत ही सारे सरकारी कामों को करते हैं ,इस कारण इस मिलनसार और काम के पक्के मंत्री पर अब तक कोई आरोप नहीं लगे हैं लेकिन इनके अधीनस्थ स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार अधिकारी की मनमानी के कारण बाबा साहब की छवि पर बहुत बड़ा असर पड़ रहा हैं । स्वास्थ्य विभाग के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा परिवार कल्याण के विकास खंड स्वास्थ्य अधिकारी की बात दूर जिला स्वास्थ्य अधिकारी उच्च न्यायालय के आदेश का खुलेआम उल्लंघन कर रहे हैं । जिसकी शिकायत मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ ही स्वास्थ्य मंत्री टी.एस.सिंहदेव तक पहुंच चुके हैं मगर न जाने क्यों बाबा साहब मौन साधे बैठे हुए हैं ।
बिलासपुर संभाग के जांजगीर – चाम्पा जिले के स्वास्थ्य विभाग हमेशा से सुर्खियों में रहे हैं और इस बार हाईकोर्ट के आदेश की धज्जियां उड़ाने को लेकर विभाग चर्चा में हैं। स्वास्थ्य विभाग जांजगीर – चाम्पा के एक अधिकारी ने नाम न छापने के शर्त पर *सर्वव्यापी* को बताया कि जिले के मालखरौदा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ डॉक्टर संतोष पटेल का स्थानांतरण गरियाबंद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हुआ था । संतोष पटेल ने अचानक हुए स्थानांतरण के खिलाफ उच्च न्यायालय छत्तीसगढ़ में याचिका लगाई । संतोष पटेल की याचिका पर विचार करते हुए हाईकोर्ट ने उनके स्थानांतरण को निरस्त करते हुए उस पर स्थगन आदेश लगा दिया । जिस पर डाक्टर पटेल ने जब स्थगन आदेश लेकर पदभार ग्रहण करने के लिए मालखरौदा बीएमओ डॉक्टर कात्यायनी सिंह से पदभार देने के लिए कहा तो उन्होंने साफ- साफ इंकार कर दिया और उन्होंने कहा कि वह उनका स्थगन आदेश नही स्वीकार कर सकती है और न ही पदभार ग्रहण आदेश स्वीकार नहीं कर सकती है। जब डाक्टर संतोष पटेल ने यह कहा कि उनके स्थगन आदेश को कम से कम आवक जावक में चढ़ा दे, तो उन्होंने इससे साफ इंकार करते हुए कह दिया कि उन्हें जिला मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी एस.आर. बंजारे के द्वारा उनका स्थगन आदेश लेने के लिए मना किया गया है । जबकि खुद मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी एस. आर. बंजारे ने हाई कोर्ट द्वारा लगाए गए स्थगन आदेश को स्वीकार करते हुए उन्हें मालखरौदा मे पदभार करने के लिए कहा था लेकिन अब तक डॉक्टर पटेल को उक्त स्वास्थ्य केंद्र में पदस्थ नहीं करने से हाईकोर्ट के आदेश का खुलेआम उल्लंघन करना प्रतीत होता हैं । वहीं इस मामले की शिकायत मुख्यमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री से करने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की गई हैं ।
उच्च न्यायालय के आदेश की अवहेलना
मालखरौदा बीएमओ डॉक्टर कात्यायनी सिंह ने डॉक्टर संतोष पटेल को हाईकोर्ट के स्थगन आदेश के बाद भी पदस्थ करने से साफ इनकार कर दिया ।आश्चर्य है कि उच्च न्यायालय बिलासपुर छत्तीसगढ़ के स्थगन आदेश की अवहेलना एक डॉक्टर के द्वारा की जा रही हैं और उनके द्वारा अपने पद की गरिमा का ध्यान भी नहीं रखी जा रही है । डाक्टर कात्यायनी सिंह केवल एक डॉक्टर ही नहीं बल्कि मालखरौदा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की मुखिया भी हैं । हाईकोर्ट के स्थगन आदेश को स्वीकार नहीं कर उन्होनें उच्च न्यायालय की अवमानना कर रही है और उन पर इस प्रकरण पर अवमानना का केस भी दायर हो सकता है ।
गरियाबंद में भी नियुक्ति देने से इंकार
वहीं डॉक्टर संतोष पटेल को गरियाबंद के मुख्य जिला चिकित्सा अधिकारी ने भी पदस्थ करने से इनकार कर दिया है क्योंकि उन्होंने अर्थात डॉक्टर संतोष पटेल ने न्यायालय से स्थगन आदेश प्राप्त कर लिया है। अतः अब उन्हें गरियाबंद सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भी पदस्थ नहीं दी जा सकती । दूसरी ओर मालखरौदा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भी डा. कात्यायनी सिंह ने पदस्थ करने से इनकार कर दिया है और पटेल कहां जाएंगे यह विचारणीय प्रश्न है ।
सीएमएचओ ही बता पाएंगे- कात्यायनी
वहीं इस पूरे मामले पर *सर्वव्यापी* ने मालखरौदा के खंड स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. कात्यायनी सिंह से चर्चा किए तो उन्होंने दो टूक में कही कि इस मामले पर सीएमएचओ ने पदभार ग्रहण कराने मना की हैं । सीएमएचओ साहब से ही पूरे मामले की जानकारी लेने की बात कहीं । जिससे ऐसा लगता हैं कि इस पूरे मामले में सीएमएचओ बंजारे ही डॉ. पटेल को हाईकोर्ट के स्थगन के बाद भी पुनः पदभार ग्रहण कराने में रोक लगा रहे हैं ,ऐसा नहीं तो फिर जिला स्वास्थ्य अधिकारी की बात दूर हाईकोर्ट के आदेश का खुलेआम उल्लंघन डॉ. कात्यायनी सिंह किसके दम पर कर रही हैं जो जांच का विषय हैं?
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