Chhattisgarh State

स्थानीय उद्योगों को लौह अयस्क आपूर्ति की शर्त पर एनएमडीसी के खदान की लीज बढ़ायी गई

रायपुर,18 दिसंबर 2019/ छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राष्ट्रीय खनिज विकास निगम (एनएमडीसी) की बैलाडीला लौह अयस्क खदान की लीज 20 वर्षों के लिए बढ़ा दी गई है । छत्तीसगढ़ के उद्योगों के विकास एवं स्थानीय रोजगार को उत्तरोत्तर वृद्धि को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा बैलाडीला से एनएमडीसी द्वारा खनन किए गए लौह अयस्क की उपलब्धता निरंतर एवं प्राथमिकता के साथ छत्तीसगढ़ में स्थित उद्योगों को मिलें यह सुनिश्चित करने की शर्त के साथ ही खनिपट्टा विस्तारण करने के निर्देश दिए गए हैं। राष्ट्रीय खनिज विकास निगम लिमिटेड के चार खनिपट्टों को 1965 के पश्चात अभी खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम 1957 के अधीन बनाए गए नियमों के तहत राज्य शासन द्वारा खनिज (सरकारी कम्पनी द्वारा खनन) नियम, 2015 के अंतर्गत विस्तारण का स्वीकृति जारी की गई है। एनएमडीसी लौह अयस्क खनन के क्षेत्र में देश का सबसे बडा सार्वजनिक उपक्रम है एवं उनकी लगभग तीन चौथाई खनिज उत्पादन छत्तीसगढ़ के बैलाडीला पहाडि़यों से होता है। छत्तीसगढ़ के उद्योगों के विकास एवं स्थानीय रोजगार को उत्तरोत्तर वृद्धि को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल द्वारा बैलाडीला से एनएमडीसी द्वारा खनन किए गए लोह अयस्क की उपलब्धि निरंतर एवं प्राथमिकता के साथ छत्तीसगढ़ में स्थित उद्योगों को मिलें यह सुनिश्चित करने की शर्त के साथ ही खनिपट्टा विस्तारण करने के निर्देश दिया गया। तदानुसार खनिज साधन विभाग द्वारा खनि रियायत नियम, 2016 के नियम 12(1)(आई) के तहत छत्तीसगढ़ राज्य में संचालित लोह अयस्क आधारित उद्योगों को उनके आवश्यकतानुसार खनिज लौह अयस्क की आपूर्ति निरंतर बनाए रखने की शर्त के साथ खनि पट्टों का विस्तारण आदेश जारी किया गया है।
2015 में भारत सरकार द्वारा खनिज अधिनियम एवं नियमो में लाए गए संशोधन के पश्चात कई राज्यों में लौह अयस्क खदाने 2020 मार्च के बाद जब तक नये सिरे से नीलामी ना हो जाय तब तक बंद होने की संभावनाएं बनी हुई है। इससे स्टील उद्योग भी कच्चे माल उपलब्धता को लेकर बेहद चिंतित है। समय पर की गयी खनिपट्टा विस्तारण से एवं उसमें स्थानीय उद्योगों की निरंतर लौह अयस्क उपलब्ध होने के रास्ता निकालने से राज्य एवं जनता के हित को ध्यान में रखा गया। एनएमडीसी द्वारा प्रतिवर्ष लगभग 24 मिलियन मीट्रिक टन लौह अयस्क का उत्पादन किया जाता है एवं स्थानीय उद्योगों द्वारा लगभग 7 मिलियन मीट्रिक टन की आवश्यकता बताई जा रही है।
जिला कार्यालय दंतेवाड़ा के प्रतिवेदन के अनुसार आवेदित क्षेत्र में लौह अयस्क पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध है इसलिए जिला दक्षिण बस्तर दंतेवाड़ा की तहसील कुआकोंडा स्थित बैलाडीला डिपॉजिट नंबर 14 एनएमजेड कंपार्टमेंट नंबर 626,627, 638,639 और 640 के कुल रकबा 506.742 हेक्टेयर क्षेत्र पर खनिज लौह अयस्क के स्वीकृत खनिपट्टा को मैसर्स नेशनल मिनरल डेवलपमेंट कारपोरेशन लिमिटेड के पक्ष में खनिज (सरकारी कंपनी द्वारा खनन) नियम 2015 के परिपेक्ष में 20 वर्ष के लिए 7 दिसंबर 2015 से 6 दिसंबर 2035 तक (कुल अवधि 70 वर्ष) के लिए कुछ शर्तों के साथ विस्तारित किया गया है। एनएमडीसी को एमएमडीआर एक्ट 1957, वन संरक्षण अधिनियम 1960, वन,पर्यावरण अधिनियम 1980 के तहत सभी नियमों और निर्देशों का पालन सुनिश्चित करना होगा। इसी तरह खनिज (परमाणु और हाइड्रोकार्बन ऊर्जा खनिजों से भिन्न) रियायत नियम 2016 के नियम के अंतर्गत छत्तीसगढ़ राज्य में संचालित लौह आधारित उद्योगों को उनके आवश्यकतानुसार लौह अयस्क की आपूर्ति निरंतर बनाए रखी जानी होगी। खनि पट्टा स्वीकृत आदेश दिनांक 20 अप्रैल 1965 एवं नवीनीकरण आदेश दिनांक 29 जून 2002 में उल्लेखित अन्य शर्तें यथावत लागू रहेंगी।

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