छत्तीसगढ़ राज्य जीवन्त सांस्कृतिक परंपराओं से संपन्न है। राज्य सरकार ने एक वर्ष में यहां की संस्कृति और परम्पराओं की पहचान के लिए कई अहम फैसले लिए हैं । जिसमें अरपा पैरी की धार गीत को राज्य गीत घोषित किया जाना शामिल है । अब सभी सरकारी कार्यक्रमों और आयोजनों की शुरूआत राज्य गीत से करने निर्णय लिया गया है । राज्य शासन द्वारा 27 से 29 दिसम्बर तक राजधानी रायपुर में राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन किया गया है । इस महोत्सव ने अब अन्तर्राष्ट्रीय आयोजन का स्वरूप ले लिया है । इसमें देश के अन्य राज्यों के साथ-साथ युगांडा, मालदीव, थाइलैण्ड, श्रीलंका, बेलारूस और बांग्लादेश के प्रतिनिधियों और लोक कलाकारों ने आने की सहमति जताई है । इस महोत्सव के माध्यम से छत्तीसगढ़ की पहचान विदेशों में पहुंचेगी।
राज्य सरकार ने राजिम कुंभ कल्प मेला अधिनियम 2006 में संशोधन करते हुए ‘छत्तीसगढ़ राजिम कुंभ मेला‘ का नाम परिवर्तन कर उसका प्राचीन नाम‘राजिम माघी पुन्नी मेला‘ करके मूल स्वरूप में ला दिया है। इस वर्ष राजिम माघी पुन्न्नी मेला के अवसर पर प्रदेश के 241 लोक कलाकार दलों को मंच प्रदान किया गया है, जिसमें लगभग 6 हजार से अधिक कलाकारों ने अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर लोगों का मनोरंजन किया। साथ ही पारंपरिक लोक खेलों एवं प्रतियोगिता में ग्रामीण अंचल के बच्चों ने बड़े उत्साह से भाग लिया। इससे स्थानीय कलाकारों को काम मिला और साथ ही उनका मान और मनोबल बढ़ा है। राजधानी के साईंस कालेज परिसर में एक से पांच नवम्बर तक आयोजित राज्योत्सव में छत्तीसगढ़ के लोक कलाकारों को सांस्क्रतिक कार्यक्रमों के लिए अवसर दिया गया। छत्तीसगढ़ केे कलाकारों को बढ़ावा देने राज्य सरकार का यह ठोस कदम है।
छत्तीसगढ़ में हरेली, तीजा-पोरा जैसे पारंपरिक त्यौहारों को प्रमुखता दी गई और हरेली, तीजा, विश्व आदिवासी दिवस एवं छठ पूजा के लिए नए सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की गई । दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा को भी सार्वजनिक अवकाश देने की घोषणा की गई है । छत्तीसगढ़ी राज भाषा का सामान्य काम काज में उपयोग को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसढ़ विधान सभा में एक दिन की कार्यवाही केवल छत्तीसगढ़ी भाषा में की गई ।
राज्य के कलाकारों और साहित्यकारों अथवा उनके परिवार के सदस्यों की लंबी गंभीर बीमारी, दुर्घटना, मृत्यु अथवा प्राकृतिक आपदा की स्थिति में 29 साहित्यकार, कलाकारों को आर्थिक मदद दी गई। जगदलपुर के आसना में बस्तर लोकनृत्य और साहित्य अकादमी की स्थापना की जाएगी। कांकेर गढ़िया पहाड़ के सौन्दर्यीकरण के लिए 2 करोड़ तथा गढ़िया महोत्सव के लिए प्रतिवर्ष 5 लाख देने का निर्णय लिया गया। रामवन तथा माता कौशल्या मंदिर को पर्यटन और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से विकसित किया जाएगा। बस्तर में आदिवासी संग्रहालय की स्थापना की जाएगी।
छत्तीसगढ़ की जनजातीय एवं लोक संस्कृति की परंपरा की पहचान के लिए निरंतर पहल की जा रही है। विभिन्न कला रूपों के प्रदर्शन हेतु राज्य में एवं अन्य प्रदेशों में भी सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति की व्यवस्था की जाती है। पारंपरिक उत्सवों, अशासकीय संस्थाओं को आर्थिक सहायता प्रदान कर सांस्कृतिक गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जा रहा है। कबीर जयंती के अवसर पर पहली बार पूरे राज्य में ख्याति प्राप्त कबीर भजन गायकों का कार्यक्रम रायपुर, बिलासपुर, बेमेतरा एवं भिलाई-दुर्ग में आयोजित कराया गया। विभिन्न जिलों व कस्बों में मेला, महोत्सव, लोक मड़ई, कृषि मेला आदि का आयोजन कर छत्तीसगढ़ के ग्रामीण लोक जीवन व खेती-किसानी से संबंधित कई महत्वपूर्ण जानकारी दी गई।
जगार 2019 के अवसर पर छत्तीसगढ़ हाट परिसर पण्डरी रायपुर में छत्तीसगढ़ के विभिन्न विधाओं के कुल 21 लोक कलाकार दलों द्वारा 10 दिवसीय सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति दी गई। क्षेत्रीय सरस मेला के अवसर पर साइंस कॉलेज परिसर रायपुर में प्रदेश के 07 लोक कलाकार दलों को सांस्कृतिक कार्यक्रम हेतु मंच प्रदान किया गया। पद्मश्री पुनाराम निषाद की पुण्यतिथि के अवसर पर रिंगनी दुर्ग में लोक कलाकार दल द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। पुताला-नागपुर में आयोजित राष्ट्रीय आदिवासी महोत्सव के अवसर पर छत्तीसगढ़ के लोक कलाकारों ने संस्कृति कला के आदान-प्रदान में भाग लिया। बेमेतरा में कृषि विकास एवं किसान कल्याण मेला के अवसर पर प्रदेश के कुल 07 लोक कलाकार दलों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्र्रम की प्रस्तुति दी गई। हॉर्टलैण्ड स्टोरिज भोपाल में आयोजित भोपाल साहित्य एवं कला महोत्सव के अवसर पर छत्तीसगढ़ की संस्कृति के आदान-प्रदान हेतु बस्तर बैण्ड के लोक कलाकार दल द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम में सहभागिता रही।
भोरमदेव महोत्सव, गनियारी लोक कला महोत्सव, कर्णेश्वर महादेव मेला महोत्सव, रतनपुर में माघी पूर्णिमा एवं आदिवासी विकास मेला, संत समागम महामेला दामाखेड़ा, मल्हार महोत्सव, शिवरीनारायण मेला महोत्सव तथा लोक मड़ई महोत्सव राजनांदगांव आदि के आयोजन हेतु संबंधित जिला प्रशासन को राशि का आबंटन दिया गया। सहपीडिया द्वारा छत्तीसगढ़ में गांधी विषयक माड्यूल सहित राज्य की संस्कृति पर केन्द्रित 15 इंटरनेट माड्यूल का लोकार्पण किया गया। भारत सरकार की योजना ‘एक भारत श्रेष्ठ भारत’ के अंतर्गत अंतर्राष्ट्रीय काईट फेस्टिवल 2019 06 से 14 जनवरी में गुजरात के अहमदाबाद में छत्तीसगढ़ी सांस्कृतिक कार्यक्रम की प्रस्तुति दी गई एवं छत्तीसगढ़ी व्यंजन स्टाल लगाया गया।
महात्मा गांधी के 150वीं वर्षगांठ एवं मुंशी प्रेमचंद के जयंती के अवसर पर नाटक ‘पंच परमेश्वर’ प्रस्तुत किया गया। 02 एवं 03 अक्टूबर 2019 को छत्तीसगढ़ विधान सभा परिसर में पद्मश्री भारती बंधु रायपुर द्वारा कबीर गायन, पद्मविभूषण श्रीमती तीजन बाई द्वारा पंडवानी प्रस्तुति और ‘कस्तूरबा के गांधी’ नाटक की प्रस्तुति एवं पं. रामदयाल तिवारी के ग्रंथ ‘गांधी मीमांसा’ के लघु विशेष संस्करण का विमोचन हुआ। 03 अक्टूबर को संस्कृति भवन मुक्ताकाशी मंच रायपुर में ‘ऐसे थे बापू’ नाटक की प्रस्तुति दी गई। 04 से 10 अक्टूबर 2019 तक कंडेल, धमतरी से गांधी मैदान रायपुर तक गांधी विचार पदयात्रा का आयोजन किया गया।
15 अगस्त 2019 को महंत घासीदास स्मारक संग्रहालय रायपुर परिसर में महात्मा गांधी की प्रतिमा की प्रतिष्ठा एवं अनावरण तथा गांधी जी के प्रिय भजन एवं देशप्रेम गीतों की प्रस्तुति दी गई। ‘आजादी का सफरनामा’ और ‘मंगल से महात्मा’ नाटकों की मंचीय प्रस्तुति हुई। भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री श्री राजीव गांधी के 75वीं जयंती के अवसर पर आयोजित स्मरणांजलि कार्यक्रम में महात्मा गांधी के प्रिय भजनों की संगीतिक प्रस्तुति दी गई। ‘‘गांधी जी की छवि’’ कार्यक्रम के अंतर्गत उनके कार्य, विचार और गांधीदर्शन से संबंधित चलचित्रों के अंश का प्रदर्शन और व्याख्यान का आयोजन किया गया।
लेख : सी.एल. तिवारी
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