National New Dehli Politics

चिदंबरम ने कहा नागरिकता संशोधन विधेयक संसद के मुंह पर तमाचा

वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी चिदंबरम ने नागरिकता संशोधन विधेयक को लेकर सरकार से सवाल पूछे हैं और कहा कि सरकार के किसी जिम्मेदार व्यक्ति को इनका जवाब देना चाहिए. उन्होंने कहा कि ये विधेयक संसद के मुंह पर तमाचा है और संसद से असंवैधानिक कदम उठाने को कहा जा रहा है. चिदंबरम ने कहा कि सरकार के किसी ज़िम्मेदार व्यक्ति को इन सवालों के जवाब देने चाहिए, फिर चाहे को देश के अटॉर्नी जनरल हों या फिर दूसरे अधिकारी. चिदंबरम ने पूछा: सिर्फ़ पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफ़ग़ानिस्तान की बात क्यों
श्रीलंका के हिंदू, भूटान के ईसाई क्यों शामिल नहीं, धर्म को बिल का आधार क्यों बनाया गया , कैसे सिर्फ़ छह धर्म के लोगों को शामिल किया गया , इस्लाम को क्यों शामिल नहीं किया गया, ईसाई और यहूदी धर्म को क्यों शामिल किया गया.. पूर्व गृह मंत्री ने पूछा कि क्या ये अनुच्छेद 14 के तीन मूल अधिकारों का उल्लंघन नहीं करता है. क्या ये समानता के मूल अधिकार का उल्लंघन नहीं है. शाह ने किया विधेयक पेश-
इससे पहले, गृह मंत्री अमित शाह ने नागरिकता संशोधन बिल राज्यसभा में चर्चा के लिए पेश किया.
बिल पेश करते हुए उन्होंने राज्यसभा में कहा, “भारतीय जनता पार्टी ने अपने घोषणा पत्र में इस बात की घोषणा की थी. हमने इसे देश की जनता के सामने रखा और हमें जनसमर्थन और जनादेश मिला. हमने लिखा था कि पड़ोसी देशों से प्रताड़ित धार्मिक अल्पसंख्यकों के संरक्षण के लिए सिटिजनशिप संशोधन बिल को लागू करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. साथ ही हमने यह भी कहा था कि पूर्वोत्तर राज्यों में उन वर्गों के लिए सभी मुद्दों को स्पष्ट करने का प्रयास करेंगे जिन्होंने क़ानून के बारे में आशंका व्यक्त की है और पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों की भाषाई, सांस्कृतिक और सामाजिक रक्षा के लिए हम अपनी प्रतिबद्धता दोहराते हैं.”
उन्होंने कहा, “पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफ़ग़ानिस्तान, जिन तीन देशों की सीमाएं भारत को छूती हैं, यहां के हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख, ईसाई और पारसी लोग जो भारत में आए हैं, किसी भी समय आए हैं, उनको नागरिकता प्राप्त करने का इस बिल में प्रावधान है.”
अमित शाह ने कहा कि देश के मुसलमानों को चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं. उन्होंने कहा, “भारतीय मुस्लिम सुरक्षित हैं और हमेशा सुरक्षित रहेंगे.” कांग्रेस टू नेशन थ्योरी नहीं लाई थी’
सबसे पहले कांग्रेस के आनंद शर्मा ने बिल पर अपने विचार रखे. उन्होंने कहा, “आपने कहा ये ऐतिहासिक बिल है लेकिन इतिहास इसे किस दृष्टि से देखेगा यह तो वक्त बतलाएगा. लेकिन हम इसका विरोध करते हैं. आप इसे लेकर इतनी जल्दबादी में क्यों हैं. इसको दोबारा दिखवाते, संसद की कमेटी की भेजते. लेकिन सरकार इसे लेकर अपनी ज़िद पर अड़ी है. सरकार इसे लेकर हड़बड़ी में है, जैसे कि कोई बहुत बड़ी विपत्ति भारत पर है जैसा कि पिछले 72 सालों में नहीं देखा गया. विरोध का कारण राजनैतिक नहीं संवैधानिक और नैतिक हैं.”
इस दौरान उन्होंने कहा, “इतिहास को बदला नहीं जा सकता. दुनिया में बहुत सी ऐसी कोशिशें हुईं लेकिन वे सफल नहीं हो सकीं. प्रजातंत्र की सच्चाई यही है. एक नज़रिया उन लोगों का भी था जो गांधी और कांग्रेस के विरोधी थे. उसमें मुस्लिम लीग थी, जिन्ना उसके नेता थे. हिंदु महासभा थी, सावरकर उसके नेता थे.”
“बंटवारे की टू नेशन थ्योरी कांग्रेस नहीं लाई, 1937 में अहमदाबाद में हिंदू महासभा ने पारित किया था जिसकी अध्यक्षता सावरकर ने की थी. 1938 में मुस्लिम लीग का अधिवेशन का हुआ जिसमें पार्टिशन ऑफ़ इंडिया रिजॉल्यूशन लाया गया. मजहरूल हक़ ने यह प्रस्ताव पेश किया जो बाद में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री भी बने.”
इस दौरान उन्होंने कहा, “किसी भी दल का घोषणापत्र देश के संविधान से बड़ा नहीं है. इस पर राजनीति नहीं करें.” “डिटेंशन सेंटर पर मैंने बीबीसी पर डॉक्यूमेंट्री देखी. वहां जाकर देखें कि हमने 21वीं सदी में कैसे लोगों को रखा है. आप पूरे देश के एनआरसी की बात कर रहे हैं. क्या पूरे भारत में डिटेंशन सेंटर बनेंगे.”
“गांधी, पटेल आपसे नाराज़ होंगे… मैं कहता हूं गांधी के चश्मे से हिंदुस्तान को देखें. गांधी ने कहा था कि मैं नहीं चाहता कि मेरे घर के चारो तरफ दीवारें बनी हों और खिड़कियां बंद हों. मैं चाहता हूं कि सभी देशों की संस्कृतियां मेरे देश में यथासंभव मुक्त रूप से आएं परंतु मेरी संस्कृति भी अक्षुण्ण रहे. इनका सम्मान करें, गृह मंत्री गौर करें. आग्रह यही है कि जल्दबाज़ी न हो. ताकि देश में जो भावना है वो शब्दों से ख़त्म न हों.”
जेपी नड्डा ने कहा, “इस बिल का मकसद प्रताड़ित लोगों को अधिकार देना है.”
तृणमूल कांग्रेस की तरफ से बिल का विरोध करते हुए डेरेक ओ’ब्रायन ने कहा कि यह असंवैधानिक है और यहां से यह सुप्रीम कोर्ट पहुंचेगा. उन्होंने कहा कि इस बिल के माध्यम से हम लोकतंत्र से तानाशाही की तरफ बढ़ रहे हैं. एआईएडीएमके के राज्यसभा सांसद एसआर बालासुब्रमण्यम ने कहा कि वो इस विधेयक का समर्थन कर रहे हैं लेकिन साथ ही प्रधानमंत्री और गृह मंत्री से छह धर्मों के साथ ही मुसलमानों को भी इस विधेयक में जोड़ने का आग्रह किया. समाजवादी पार्टी के राज्यसभा सांसद जावेद अली ख़ान ने इस विधेयक का विरोध करते हुए कहा कि हमारे देश की सरकार ‘पाकिस्तान को हिंदू मुक्त और भारत को मुस्लिम मुक्त’ बनाने के जिन्ना के ख़्वाब पूरा करने जा रही है.
जेडीयू के सांसद रामचरण प्रसाद सिंह ने कहा कि उनकी पार्टी इस विधेयक का समर्थन करती है.
मोदी क्या बोले?
राज्यसभा में इस बिल को पेश किए जाने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी संसदीय दल की बैठक के बाद कहा कि नागरिकता संशोधन बिल से लोगों को जो राहत मिली है, उनकी ख़ुशी का अंदाज़ा नहीं लगा सकते.
उन्होंने कहा कि कई मुद्दों पर विपक्ष पाकिस्तान की भाषा बोल रहा है जैसा पाकिस्तान बोलता है वैसा विपक्ष बोलता है. मोदी ने कहा, “छह महीने का समय ऐतिहासिक रहा, इस दौरान वह हुआ है जो वर्षों से नहीं हुआ. लेकिन पाकिस्तान जो भाषा नागरिकता बिल को लेकर बोल रहा है वहीं बात यहां के कुछ दल बोल रहे हैं. इसे जनता तक ले जाएं.”
राज्यसभा में इस विधेयक पर चर्चा के लिए छह घंटे का समय मुकर्रर किया गया है.
लोकसभा में 311 सांसदों के समर्थन के साथ आसानी से पारित किए जा चुके इस विधेयक की उच्च सदन में राह आसान नहीं होगी क्योंकि यहां सत्तारूढ़ पार्टी के पास संख्याबल कम है.
राज्यसभा में विभिन्न राजनीतिक पार्टियों की स्थिति , विधेयक को पास कराने की बीजेपी की रणनीति
राज्यसभा की वर्तमान ताक़त 240 सांसदों की है. बीजेपी को इस विधेयक को पारित करने के लिए 121 वोटों की ज़रूरत है. उच्च सदन में बीजेपी के पास 83 सांसद हैं जबकि उसके राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के पास कुल 94 सांसद हैं. इनमें जेडीयू के छह, शिरोमणि अकाली दल के तीन और लोक जनशक्ति पार्टी और भारतीय रिपब्लिकन पार्टी के एक-एक सांसद हैं. राज्यसभा के मनोनीत 12 सांसदों में से पार्टी को 11 के समर्थन का भरोसा है. इनमें सुब्रमण्यम स्वामी, स्वप्न दासगुप्ता और राकेश सिन्हा शामिल हैं.

इन्हें मिलाकर इस विधेयक के पक्ष में राज्यसभा के सांसदों की संख्या 105 तक पहुंच जाती है, यहां से उसे 16 अन्य सांसदों के मतों की आवश्यकता होगी.

बीजेपी को उम्मीद है कि एआईएडीएमके के 11 सांसदों का समर्थन उसे मिलेगा. अब समर्थकों की संख्या 116 हो जाती है. अब उसे पांच और सांसदों जुटाने होंगे जिसके लिए ओडिशा में नवीन पटनायक की पार्टी बीजू जनता दल से संपर्क किया गया. बीजेडी के सात सांसद हैं. अगर उनका समर्थन मिल गया तो पार्टी के पास इस बिल को पास करवाने के लिए आवश्यक 121 से तीन सांसद अधिक हो जाएंगे.
इसके साथ ही पार्टी को यह भी उम्मीद है कि उसे आंध्र प्रदेश की वाईएसआरसीपी के दो सांसदों का समर्थन भी मिलेगा. हालांकि, मोदी सरकार ये दावा कर रही है कि राज्यसभा से भी ये विधेयक पास कराने में उसे कोई परेशानी नहीं होगी. लेकिन लोकसभा में इसके पास होने के बाद शिवसेना और अभी एनडीए की प्रमुख सहयोगी जनता दल (यू) के समर्थन को लेकर थोड़ा संदेह पैदा हो गया है.
शिवसेना ने कहा है कि अगर उनकी आपत्तियों का जवाब नहीं दिया गया, तो वो अपने रुख़ पर फिर से विचार करेगी. लोकसभा में वोटिंग से पहले भी शिवसेना ने विधेयक पर कुछ सवाल तो ज़रूर उठाए, लेकिन आख़िरकार इसे अपना समर्थन दे दिया. लेकिन हाल ही में महाराष्ट्र में जो राजनीतिक उठापटक हुई थी, उसके बाद ऐसा लग रहा था कि इस विधेयक को लेकर शिवसेना का समर्थन आसान नहीं होगा.
उधर जनता दल (यू) के वरिष्ठ नेता प्रशांत किशोर और पवन वर्मा ने भी विधेयक को समर्थन देने के पार्टी के फ़ैसले पर आपत्ति जताई. बीजेपी के अनिल बलूनी की तबीयत ख़राब है और अमर सिंह भी अस्वस्थ हैं. माना जा रहा है कि ये दोनों सदस्य वोटिंग के दौरान अनुपस्थित रह सकते हैं.
अब अगर वोटिंग के दौरान अगर कुछ सांसद वॉकआउट कर जाते हैं तो बहुमत का आंकड़ा कम हो जाएगा.
कांग्रेस के मोतीलाल वोरा बीमार है. वे वोटिंग के दौरान राज्यसभा में अनुपस्थित रह सकते हैं.
क्यों हो रहा विरोध, क्या है दलीलें?
कांग्रेस को शिवसेना और जेडीयू के वर्तमान रुख से थोड़ी राहत ज़रूर मिली होगी. कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्वीट कर कहा, “नागरिकता संशोधन विधेयक भारतीय संविधान पर हमला है. जो भी इसका समर्थन कर रहे हैं, वे देश की बुनियाद पर हमला कर रहे हैं और उसे नष्ट करने की कोशिश कर रहे हैं.”
कांग्रेस नेताओं ने लोकसभा में विधेयक पर बहस के दौरान भी सरकार की जमकर आलोचना की थी.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मनीष तिवारी ने कहा कि यह बिल असंवैधानिक और समानता के मूल अधिकार के ख़िलाफ़ है. उन्होंने कहा कि अगर इस देश में दो राष्ट्र की थ्योरी किसी ने दी थी तो वो कांग्रेस ने नहीं बल्कि 1935 में अहमदाबाद में हिंदू महासभा के अधिवेशन में विनायक दामोदर सावरकर ने दी थी.
धारा 14 पर अमित शाह क्या बोले?
लोकसभा में इसे पेश किए जाने के दौरान अमित शाह ने कहा कि यह बिल किसी भी क़ानून का उल्लंघन नहीं करता है. संविधान की धारा 14 के बारे में उन्होंने कहा, जिसे लेकर अधिकतर सदस्य इस विधेयक का विरोध कर रहे हैं. उनके मुताबिक़ इससे समानता का अधिकार आहत होगा.
अमित शाह का तर्क था कि मुनासिब आधार पर धारा 14 संसद को क़ानून बनाने से नहीं रोक सकता है.
1971 में इंदिरा गांधी ने निर्णय किया कि बांग्लादेश से जितने लोग आए हैं उन्हें नागरिकता दी जाएगी, तो पाकिस्तान से आए लोगों को नागरिकता क्यों नहीं दी गई.
उन्होंने युगांडा से आए लोगों को नागरिकता दिए जाने का भी हवाला दिया.
मुसलमानों को आगे भी नागरिकता देते रहेंगेः शाह
अमित शाह का कहना था कि प्रस्तावित क़ानून को समझने के लिए तीनों देश को समझना होगा.
अफ़ग़ानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश के संविधानों का ज़िक्र करते हए अमित शाह ने कहा कि तीनों मुल्कों का राजकीय धर्म इस्लाम है. बंटवारे के वक़्त लोगों का जाना इधर से उधर हुआ. नेहरू-लियाक़त समझौते का ज़िक्र करते हुए भारत के गृह मंत्री का कहना था कि इसमें अल्पसंख्यकों की हिफ़ाज़त की बात की गई थी जिसका पालन भारत में तो हुआ लेकिन दूसरी तरफ़ ऐसा नहीं हुआ.
इसपर अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि पाकिस्तान में शियाओं पर ज़ुल्म हो रहा है.
तो अमित शाह ने कहा कि जिन पड़ोसी देशों का ज़िक्र बिल में हुआ है वहां पारसी, हिंदू, सिख और दूसरे समुदायों की धार्मिक प्रताड़ना हुई है. अमित शाह का कहना था कि मुसलमानों को नागरिकता के लिए आवेदन देने से किसी ने नहीं रोका है. “पहले भी बहुत सारे लोगों को दिया है, आगे भी देंगे. धर्म के आधार पर देश का विभाजन कांग्रेस पार्टी नहीं करती तो इस बिल की ज़रूरत नहीं पड़ती.”
नागरिकता संशोधन विधेयक पर ओवैसी ने उठाए सवाल
ओवैसी ने फाड़ी बिल की कॉपी – चर्चा के दौरान एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने विधेयक का विरोध करते हुए इसकी कॉपी को फाड़ दिया था. उन्होंने कहा कि इस बिल में मुसलमानों को नहीं रखा गया है, उससे उन्हें बहुत फ़र्क़ नहीं पड़ता है लेकिन आज मुसलमानों से इतनी नफ़रत क्यों की जा रही है.
साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इस बिल की वजह से असम में एनआरसी के तहत सिर्फ़ मुसलमानों पर केस चलेगा और सिर्फ़ बंगाली हिंदुओं के वोट के लिए बीजेपी सरकार यह सब कर रही है.
फिर ओवैसी ने अमित शाह पर सीधा हमला करते हुए कहा कि तिब्बती बौद्धों को इसमें शामिल नहीं किया गया क्योंकि भारत के गृह मंत्री चीन से डरते हैं.
ओवैसी ने सवाल उठाए कि, “श्रीलंका के 10 लाख तमिल, नेपाल के मधेसी क्या हिंदू नहीं हैं? म्यांमार में चिन, काचिन, अराकान लोगों को क्यों नहीं इसमें शामिल किया गया?”
उन्होंने साफ़ शब्दों में कहा कि “यह स्वतंत्रता दिलवाने वाले लोगों की बेज़्ज़ती है.”
बिल पर संघ ने क्या कहा?
लोकसभा से पास हुए नागरिकता संशोधन विधेयक (सीएबी) को मुस्लिम विरोधी और भारत के धर्मनिरपेक्षता के ताने-बाने के ख़िलाफ़ बताए जाने का राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने खंडन किया है.
संघ ने कहा कि इस विधेयक के क़ानून बन जाने के बाद भी मुसलमानों के लिए भारत की नागरिकता के दरवाज़े बंद नहीं होंगे. संघ का कहना है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि देशों में रहने में अगर किसी को डर लगता है तो वह भारत में नागरिकता के लिए निर्धारित नियम-कायदों को पूरा करते हुए आवेदन करे तो सरकार विचार करेगी.
कुछ इसी तरह पाकिस्तान से आकर भारत की नागरिकता ले चुके सिंगर अदनान सामी ने नागरिकता संशोधन विधेयक का समर्थन किया. उन्होंने मंगलवार को एक ट्वीट के जरिए लिखा, “ये बिल उन लोगों के लिए है जो धर्म के आधार पर अपने देशों में परेशानियों का सामना कर रहे हैं.”
उन्होंने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि, “इस बिल के बावजूद मुसलमानों के नागरिकता लेने पर कोई असर नहीं पड़ रहा है, मुस्लिम पहले की तरह भारतीय नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं.”
विपक्ष की नीति क्या होगी?
नंबर की बात करें तो राज्यसभा में पलड़ा बराबर की स्थिति में दिख रहा है जो वोटिंग के दौरान किसी भी तरफ झुक सकता है. यह पूरी तरह से उस स्थिति पर निर्भर करता है कि क्या सभी पार्टियां अपनी विचारधारा और अब तक के रुख के अनुरूप वोटिंग में शामिल होती हैं या इस संशोधन विधेयक के पारित होने की राह आसान करने के लिए सदन से वाकआउट करती हैं. अपने 46 राज्यसभा सांसदों के साथ विरोधियों की अगुवाई करेगी कांग्रेस पार्टी. वहीं तृणमूल कांग्रेस के 13 राज्यसभा सांसद, समाजवादी पार्टी के 9, वाम दल के 6, टीआरएस के 6, डीएमके के 5, आरजेडी के 4, आम आदमी पार्टी के 3, बीएसपी के 4 और अन्य 21 सांसद अब तक के अपने रुख के मुताबिक इसका विरोध करेंगे. यानी कुल मिलाकर इस विधेयक पर राज्यसभा में 110 सांसद ख़िलाफ़ हैं.

About the author

Mazhar Iqbal #webworld

Indian Journalist Association
https://www.facebook.com/IndianJournalistAssociation/

Add Comment

Click here to post a comment

Follow us on facebook

Live Videos

Breaking News

Advertisements

Advertisements

Recent Posts

Advertisements

Advertisements

Our Visitor

0552566