179 हाई स्कूल और हायर सेकेंडरी स्कूलों के 8 हजार बच्चों को प्रतिदिन स्कूल खुलने से 1 घंटे पहले अथवा बाद में दी जा रही विशेष क्लास, नतीजे कमाल के
मेधा योजना अंतर्गत शनिवार और रविवार को दिया जा रहा साढ़े चार घंटे की क्लास का पावर बूस्ट, मेरिट तक पहुंचने में अहम साबित होंगी यह कक्षाएं
डीईओ समेत अन्य वरिष्ठ शिक्षक अवकाश के दिनों में ले रहे कक्षाएं, मकसद बेहतर रिजल्ट और प्रतिभाशाली बच्चों को उनके वास्तविक मुकाम तक पहुंचाने में मदद करना
लगभग 100 विषय विशेषज्ञ दे रहे सेवाएं
दुर्ग / एक ही कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थियों का बौद्धिक स्तर एक जैसा नहीं होता। स्कूल में पढ़ाए जाने वाले विषयों में अव्वल तो कोई औसत।यहां तक की विभिन्न विषयों के प्रति सभी विद्यार्थियों रुचि अलग अलग होती। किसी को गणित और विज्ञान में रुचि होती और किसी बच्चे को भाषा या सामाजिक विज्ञान। कोई सीधा सवाल किसी बच्चे को पहाड़ जैसा मालूम पड़ता है तो कोई बच्चा मुश्किल समीकरण को भी मिनटों में सुलझा लेता है। ऐसे में एक कक्षा में विद्यार्थियों के शिक्षण स्तर में सामंजस्य बिठा पाना शिक्षक के लिए मुश्किल तो होता ही है साथ ही 40 मिनट के पीरियड हर एक बच्चे के साथ न्याय कर पाना भी दुष्कर कार्य है। इसी पहेली को सुलझाने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा मेधा और आरोहण की पहल की गई है। कक्षा दसवीं और बारहवीं की पढ़ाई के लिए बच्चों की मदद की जाती है। क्योंकि कक्षा 10वीं और 12वीं की पढ़ाई ही तय करती है कि आगे बच्चे का भविष्य किस दिशा में अग्रसर होगा।
आरोहण योजना में पढ़ाई में कमजोर बच्चों की परेशानी का हल
आरोहण के तहत ऐसे बच्चों के लिए उपचारात्मक शिक्षा की व्यवस्था की गई है जिनको विषयों को समझने में कठिनाई आती है। ऐसा इसलिए भी होता है की शासकीय स्कूलों में पढ़ने वाले ज्यादातर बच्चों को घर में ऐसा माहौल नहीं मिल पाता जिसमें वो पढ़ाई में आने वाली दिक्कतों को अपने पालकों से साझा कर सकें। क्योंकि कहीं उनके पालक कम पढ़े लिखे होते हैं जिसके कारण उनमें बच्चों की पढ़ाई को परखने की क्षमता नहीं होती या फिर काम काजी होने के कारण उनको समय नहीं मिल पाता । कई बार बच्चे ही औसत या कमजोर बौद्धिक क्षमता के होते हैं।इन सभी कारणों से कुछ बच्चे अकादमिक रूप से पिछड़ने लगते हैं। क्योंकि कक्षा 10 वीं और 12 वीं की कक्षा के परिणाम हर बच्चे का भविष्य तय करते हैं इसीलिए इन्हीं कक्षाओं में पढ़ने वाले बच्चों पर फोकस किया गया है।आरोहण के अंतर्गत कक्षा 10 वीं और 12 वीं के विद्यार्थियों के लिए उनके ही स्कूल में कक्षा प्रारम्भ होने के 1 घण्टे पहले या बाद में उपचारात्मक शिक्षण की व्यवस्था की गई है। जहां विषय विशेषज्ञों द्वारा कक्षा 10 वीं और 12 वीं के बच्चों को प्रत्येक विषय में होने वाली कठिनाई को दूर किया जाता है। इसके अलावा बच्चों का उत्साह वर्धन करने के लिए समय-समय पर जिला स्तरीय वरिष्ठ अधिकारी भी कक्षाओं में आते हैं। जिले के 179 हाई और हायर सेकंडरी स्कूल के करीब 8000 बच्चों को इस योजना का फायदा मिल रहा है।
मेधा योजना के तहत कोचिंग सेंटरों में मिल रहा है मार्गदर्शन इसी प्रकार मेधा के तहत मेधावी छात्र छात्राओं का चयन कर उनको सप्ताह में 2 दिन शनिवार और रविवार को अलग से मार्गदर्शन दिया जा रहा। ताकि वे अपनी क्षमता के अनुरूप प्रदर्शन कर सकें। इसके लिए जिले के 3 विकासखंडों में कक्षा 10 वीं और 12 वीं के मेधावी बच्चों के लिए कोचिंग सेंटर का संचालन किया जा रहा है। दुर्ग शहर के जे आर डी शासकीय बहूउद्देशीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय,भिलाई शहर के सुपेला में शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सुपेला,पाटन और धमधा में शासकीय बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में प्रति शनिवार और रविवार को साढ़े चार घंटे के लिए कक्षाएं लगाई जाती हैं। जहाँ जहां कक्षा 10 वीं के विद्यार्थियों को गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, और अंग्रेजी विषय पर का अध्यापन करवाया जाता है वहीं कक्षा 12 वीं के विद्यार्थियों को गणित, फिजिक्स, केमेस्ट्री, इकोनाॅमिक्स, बायोलाॅजी और इकोनाॅमिक्स विषयों पर मार्गदर्शन दिया जाता है। ताकि कक्षा 12 वीं के बाद वो इंजीनयरिंग, मेडिकल, मैनेजमेंट और अन्य क्षेत्रों में पढ़ाई एवं कैरियर निर्माण का निर्णय आत्म विश्वास के साथ ले सकें।प्रतिभाशाली बच्चों को जिले के चिन्हांकित विषय विशेषज्ञों के द्वारा अध्यापन कराया जा रहा है, साथ ही आवश्यकतानुरूप जिले में संचालित ख्यातिलब्ध कोचिंग सेन्टरों के विषय विशेषज्ञों की सेवाएं भी बीच-बीच में ली जाती हैं। कोचिंग के दौरान माह में एक बार काउंसलर की भी व्यवस्था की की गई है, जो विद्यार्थियों को अध्यापन के दौरान होने वाले तनाव से मुक्त रहने के उपाय एवं कैरियर गाइडेन्स भी देते हैं। कोचिंग हेतु चिन्हांकित मेधावी विद्यार्थियों के लिए शिक्षण सामग्री एवं टेस्ट सीरिज आदि की भी व्यवस्था की गई है।इस योजना के सफल क्रियान्वयन हेतु जिला एवं विकासखण्ड स्तर पर सुदृढ़ माॅनिटरिंग तंत्रा भी विकसित किया गया है। वर्तमान में निम्नाुनसार केन्द्र संचालित है, जिसमें लगभग 100 विषय विशेषज्ञ अपनी सेवाएं दे रहे है। मेधा योजना के तहत जिले में कक्षा 10 वीं के 449 और कक्षा 12 वीं के 78 विद्यार्थीयों को कोचिंग की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है।
विषयों को सरलता से समझाने के लिए विभिन्न तकनीकों का इस्तेमाल
कठिन विषयों को जब तक बच्चों के लिए सरल नहीं बनाया जाएगा तब तक अच्छे परिणाम हासिल नहीं होंगे इसलिए बच्चों के लिए शुरू की गई विशेष कोचिंग में कठिन विषयों को सरलता से समझाने के लिए उन्नत एवं आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है। कक्षाओं में केवल सैद्धांतिक एवं किताबी ज्ञान की जगह प्रायोगिक ज्ञान पर बल दिया जाता है। विषय के प्रति समझ विकसित करने के लिए बहुत सी तकनीक इस्तमाल की जाती है। क्योंकि किसी भी प्रक्रिया को खुद देखने से बच्चों को समझने में आसानी होती है इसलिए अलग अलग विषय से संबंधित फोटो और वीडियो का इस्तेमाल जाता है।साथ ही विज्ञान के मॉडल एवं प्रादर्शों का भी उपयोग किया जाता है। हर विषय पर बारीकी से ध्यान दिया जाता है ताकि बच्चों के दिमाग में किसी तरह का कन्फ्यूजन ना हो।
इसके अलावा बच्चे कितना सीख रहे हैं कितना समझ रहे हैं इस बात पर भी समय-समय पर चर्चा की जाती है। शिक्षकों का प्रयास रहता है कि इन कक्षाओं में बच्चे बेझिझक अपनी समस्याएं रख सकें।
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