नई दिल्ली। रेडियो कैब्स (Ola, Uber) पर केंद्र सरकार बड़ा कदम उठाने की तैयारी में है। इसके बाद इन कैब्स में दिए जाने वाले कुल किराए से मिलने वाले कमिशन का प्रतिशत तय होगा। फिलहाल यह कमिशन 20 प्रतिशत है और सरकार इसे घटाकर 10 प्रतिशत पर लाना चाहती है। अगर ऐसा होता है तो यह पहली बार होगा जब सरकार इस तरह का फैसला लेने वाली है। इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के अनुसार सड़क परिवहन मंत्रालय से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि एग्रीगेटर रूल का ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है और इसे लोगों के फीडबैक के लिए अगले हफ्ते तक जारी किया जा सकता है। यह काफी कुछ उस गाइडनलाइन के अनुसार होगी जो पहले शेयर की गई थी। बस इसमें कुछ मामूली बदलाव किए गए हैं। इसके अलावा ड्राफ्ट में यह भी सुविधा दी गई है कि राज्य सरकारें अगर चाहे तो इन कैब एग्रीगेटर्स पर टैक्स लगा सकती है। यह बाद केंद्र द्वारा राज्यों द्वारा शेयर की गई जानकारी में कही गई है। इसके अलावा सरकार ओला और उबर जैसी कंपनियों की समीक्षा में लगी है जिसमें कीमतों में बढ़ोतरी का मुद्दा शामिल है। इस दौरान यह प्रस्ताव भी आया है कि इसे बेस फेयर से दोगुना कर इस पर कैप लगा दी जाए।
केंद्र ने यह भी सलाह दी है कि टैक्सी का बेसिक किराया राज्य सरकार तय करे या फिर एग्रीगेटर कंपनी इशका प्रस्ताव दे दिसकी हर तीसरे महीने समीक्षा की जाए। हालांकि, इसमें एक क्लॉज है जो यह कहता है कि रोजाना ड्राइवर द्वारा ली गई राइड्स के 10 प्रतिशत से ज्यादा को कीमत बढ़ाने में नहीं लिया जा सकता।
दरअसल, कीमतों में तेजी तब आती है जब ट्रैफिक बढ़ने पर एग्रीगेटर किराया बढ़ा देता है। माना जा रहा है कि इस साल के अंत तक मोटर व्हीकल एक्ट 2019 के तहत एग्रीगेटर्स को लेकर अंतिम नियम तय हो सकते हैं।
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