Chhattisgarh

जान जोखिम मे डाल कर बांस विरलन से विभाग को राजस्व देने वाला देवपुर रेंज

अल्ताफ हुसैन / मज़हर इकबाल द्वारा

बलौदाबाजार वन मंडल देवपुर रेंज से सीधे सघन वन क्षेत्र बांस विरलन की रिपोर्ट

रायपुर (छ्ग वनोदय पत्रिका) छ्ग प्रदेश का सघन वन क्षेत्र बलौदा बाजार वन मंडल के अंतर्गत देवपुर वन परिक्षेत्र की अपनी अलग आभा दिखती है इसका मुख्य कारण यहाँ की गगन चुंबी पहाड़ के उपर सागौन सहित भिन्न भिन्न प्रकार के पेड़ पौधे वनोंषधि के भांति भांति के आकर्षक फल, फूल,पौधे, जड़ी बूटी,पत्तो के साथ यहां के ऊँची पहड़ों की चोटी से शीर्ष स्थल पर कलकल करती गिरती हुई पानी की जलधारा जो किसी देवधारा से कम परिलक्षित नही होता और स्वतः प्राकृतिक सौंदर्य आभा के साथ ही यहां के मनोरम दृश्य को हृदय स्पर्शी बना कर मर्म मस्तिष्क को प्रफुल्लित करती है यही नही ऊँचे ऊँचे पहाड़ के चोटी से ढालान की और नीचे उतरते हुए असमतल उबड़ खाबड़ चट्टानों के मध्य अपने सैकड़ों वर्षो से स्निग्ध काले चट्टानी पत्थरों की वैभव शाली इतिहास की गवाही देते हुए यह कहते हुए नही थकती कि प्रकृति ने आदि काल से मानव समाज को अपनी गोद मे लालन पालन किया है उन्हे फल फूल, वनोपज देकर जीवन दायिनी बनी है वन्य जीव जंतुओं को अठखेलिया करते समस्त ऋतुओं मे उनके वास सहवास का साधन बनी रही देवपुर परिक्षेत्र का उक्त देवघाट की नैसर्गिक हरीतिमा युक्त छटा बढाने मे लहरदार सर्पिणी के समान मुख्य मार्ग से लेकर सघन वन क्षेत्र के मध्य मे ऊँचे ऊँचे हरे भरे बांस के अनगिनत भिर्रा के पेड़ पहाड़ी क्षेत्र को और अधिक आकर्षक मनोहारी बनाती है। बलौदा बाजार वन मंडल का देवपर परिक्षेत्रा का यह क्षेत्र सर्वाधिक प्राकृतिक बांस उत्पादन क्षेत्र है जहाँ से विभाग संपूर्ण क्षेत्र मे बांस का विरलन कर प्रदेश भर मे बांस खपत अपूर्ति सेकडों वर्षों से कर रहा है जहा स्थानीय ग्रामीणों के अलावा वन विभाग कें लिए आर्थिक स्त्रोत का मुख्य साधन और रीढ़ की हड्डी मानी जाती है।
इस संदर्भ मे बलौदा बाजार के वन मंडलाधिकारी मयंक अग्रवाल बताते है कि देवपुर परिक्षेत्र बांस का प्राकृतिक उत्पादन होता है यहां की गुणवत्ता युक्त बांस संपूर्ण प्रदेश मे उत्तम क्वालिटी मानी जाती है यही वजह है कि प्रदेश भर मे देवपुर परिक्षेत्र के बांस की अच्छी मांग है बलौदा बाजार भावसे अधिकारी मयंक अग्रवाल डी फ ओ बताते है कि इसके विरलन के तीन से चार वर्ष पूर्व परिपक्व बांस क्षेत्र की गणना की जाती है पश्चात अनेक विकट परिस्थियों मे कार्य संपादित किया जाता है उन्होंने आगे बताया कि बांस विरलन की प्रक्रिया भी बड़ी जटिल होती है एक सौ भिर्रा वाले भूभाग क्षेत्र मे सैंपल के रूप मे सौ से उपर परिपक्व बांस भिर्रा क्षेत्र की गणना की जाती है गणना कर बांस लगाकर लाइनिंग कार्य कर उस क्षेत्र को कूप बनाया जाता है। जिसका अनुमानित उत्पादन निकालकर उस हिसाब से आगामी वर्ष मे बजट जारी की जाती है जिसका विरलन आगामी वित्तीय वर्ष सितंबर माह से प्रारंभ कर ग्रीष्म ऋतु के पूर्व लगभग पांच से छ माह तक कार्य संपादित कर लिया जाता है।
बलौदाबाजार वन मंडल सोनाखान, देवपुर के एस डी ओ राकेश चौबे एक सुलझे हुए अनुभवी, परिपक्व अधिकारी है उनकी दूर दृष्टि सोच कार्यों को पार दर्शी बनाती है उनका कथन है कि देवपुर परिक्षेत्र मे बांस विरलन बहुत दुरूह कार्य है देवघाट पर्वत शृंखला की चोटी मे बसे प्राकृतिक बांस के वन के विरलन मे स्थानीय मजदूर अल्प मात्रा मे कटाई करते है उदाहरण स्वरूप यदि स्थानीय मजदूर बीस बांस की कटाई दिन भर मे करने की क्षमता है तो बाहरी क्षेत्र से आए मजदूर दिन भर मे दोगुना अर्थात कमोबेश पैतीस से चालीस बांस का विरलन कर देते है जिससे कार्यों मे गति और उसके विरलन आवधि मे कार्य संपादित हो जाता है उप वन मंडलाधिकारी राकेश चौबे आगे बताये है कि बाहरी क्षेत्र से लाए गए मजदूर पूर्णतः दक्ष और कुशल होते है बस्तर से इनकी पूरी टीम बुलाई जाती है जो पहाड़ के शीर्ष पर अस्थायी बांस और घास फूस की कुटिया बना कर लगभग छ माह का प्रवास करते है बांस विरलन कार्य मे सप्ताह के एक दिन स्थानीय हाट बाजार से रसद क्रय कर उपर पहुंचा कर पूरी तन्मयता से प्रातः काल से ही विरलन कार्य को अंजाम देते है। बलौदाबाजार देवपुर एस.डी.ओ. राकेश चौबे आगे बताते है कि दुर्गम और जटिल क्षेत्र होने के कारण बांस विरलन कार्य मे बहुत सी समस्या आती है सघन वन क्षेत्र मे हिंसक वन्य प्राणियों का खतरा, मजदूरों के आकस्मिक अस्वस्थता होने की स्थिति मे दवा उपचार का अभाव लाइट और मोबाइल नही इन परिस्थितियों मे बड़ी जद्दो जहद से दो चार होना पड़ता है मजदूरों के भावी सुरक्षा की क्या व्यवस्था पूछने पर बलौदा बाजार देवपुर उप वन मंडलाधिकारी राकेश चौबे बताते है कि बैटरी चलित झटका मशीन जी. आई. तार से कनेक्ट कर लगाया जाएगा उसकी व्यवस्था की जा रही है देवपूर के युवा कर्मठ जुझारू परिक्षेत्राधिकारी पुष्पेन्द्र साहू से बांस विरलन के संदर्भ मे पूछने पर बताते है कि बस्तर से बहुत से मजदूरों को बांस विरलन कार्य हेतु बुलाया गया है जिन्हे स्थानीय देवपूर वन समिति के सानिध्य और मार्गदर्शन मे बांस विरलन कार्य संपादित हो रहा है इसके एवज मे समिति को वर्षों से प्रति वर्ष राजस्व की शत प्रतिशत लाभांश राशि प्रदाय की जाती है जिसकी राशि से रोजगार आस्था और सामाजिक मूलक कार्य संपादित होते है देवपूर परिक्षेत्राधिकारी पुष्पेन्द्र साहू आगे बताते है कि स्थानीय रोजगार के इघर अन्य क्षेत्र के मजदूरो का प्रवास से स्थानीय रोजगार प्रभावित नही होता उन्हे निचले वन क्षेत्र मे विरलन या अन्य पातन कार्य दिया जाता है वही ऊँचाई वाले वन क्षेत्र मे स्थानीय कामगारो मे बहुत बहाने हीला हवाला होता है जिससे कार्य अवरुद्ध होता है ग्रीष्म ऋतु के पूर्व तय सीमा मे बांस विरलन पातन कार्य न होने से लक्ष्य प्रभावित होता है और विभाग लक्ष्य से बिछड़ जाता है उन्होंने बताया कि ग्रीष्म ऋतु के पूर्व बांस विरलन कार्य ना हो पाने से ग्रीष्म ऋतु मे बांस वन क्षेत्र मे परस्पर घर्षण से अग्नि दुर्घटना की संभावना बढ़ जाती है और विभाग को आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ सकता है इसलिए तय अवधि मे बांस विरलन अनिवार्य होता है बांस वन क्षेत्र देवपूर् रेंज के मैदानी अमलो मे तैनात रीखीराम साहू वन रक्षक और शोभा सिंह ने बताया कि बस्तर से आए मजदूरों को समय समय पर राशन पानी की सुविधा उपलब्ध कराई जाती है तथा उन्हे बीस दिन के अंतराल मे मजदूरी भुगतान कर दिया जाता है।
रिखिराम साहू शोभा सिंह जो मैदानी अमले की पूरी व्यवस्था और कार्य संपादित करते है उन्होंने बताया कि छोटे बड़े बांस की निर्धारित प्रति नग की दर से वन विभाग द्वारा तय किया गया है। उदाहरण स्वरूप ऊँचाई मध्यम वाले बांस की दर उपरोक्त स्तर पर विभाग द्वारा निर्धारित की गई है वन रक्षक द्वय ने बताया कि एक मीटर का टुकडा भी व्यर्थ नही जाता उसे बीस थप्पी का सौ बंडल करने पर 2022 रुपये प्रदाय किया जाता है रिखि राम साहू और शोभा सिंह ने आगे बताया कि वन क्षेत्र की ऊँचाई से नीचे लाने मे बहुत कठिन कार्य लगा है इसके लिए वन क्षेत्र मे ही अस्थायी पहुँच मार्ग बनाया जाता है जो सड़क मुख्य मार्ग से होते हुए देवपूर्, नवगांव परिसर मे डंप किया जात है तथा मांग होने पर आपूर्ति के अनुसार उसे गंतव्य स्थान भेजा जाता है।

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