Chhattisgarh

विरोध के बाद फैसला, भोरमदेव अभ्यारण में नहीं बनेगा टाइगर रिजर्व

राज्य वन्य जीव बोर्ड के निर्णय को चुनौती देने वाली जनहित याचिका हाई कोर्ट में खारिज

भाजपा सरकार के दौरान टाईगर रिजर्व को सैद्धांतिक स्वीकृति मिली थी।

रायपुर भोरमदेव वन्य जीव अभ्यारण्य को टाईगर रिजर्व घोषित नहीं करने के राज्य वन्य जीव बोर्ड के निर्णय को चुनौती देने वाली जनहित याचिका को छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया है। प्रदेश के वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने कहा है कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट में भी अपना पक्ष मजबूती से रखेगी।
छत्तीसगढ़ की तत्कालीन भारतीय जनता पार्टी सरकार द्वारा राज्य वन्य जीव बोर्ड की नौवी बैंठक 23.05.2017 में कवर्धा स्थित भोरमदेव वन्य जीव अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित करने के लिए सैद्धांतिक स्वीकृति प्रदान की गई थी। तत्पश्चात 14.11.2017 को हुई राज्य वन्य जीव बोर्ड की 10 वीं बैठक में यह अनुशंसा की गई कि कवर्धा स्थित भोरमदेव अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित किया जाए।
उक्त टाइगर रिजर्व की घोषणा करने से 39 गांवों को विस्थापित करना पड़ता एवं वहां उस समय पीढ़ियों से निवासरत 17566 व्यक्तियों को उनके मूल स्थान से दूसरी जगह विस्थापित करना पड़ता। इन निवासियों में बैगा जनजाति के लोग बड़ी संख्या में हैं। उनके विस्थापन से उनके प्राचीन संस्कृति, वनों के साथ उनके संबंधों आदि से विस्थापित होना पड़ेगा। कांग्रेस पार्टी ने उस समय भोरमदेव अभ्यारण को टाईगर रिजर्व घोषित करने के तत्कालीन भाजपा सरकार के निर्णय के विरोध में मोहम्मद अकबर के नेतृत्व में आंदोलन चलाया। बाद में परिस्थितिया बदल गयी तथा राज्य में कांग्रेस की सरकार बन गई। इतना ही नहीं बल्कि मोहम्मद अकबर राज्य के वन मंत्री बन गए। उनके प्रयास से राज्य वन्य जीव बोर्ड की बैठक 24.11.2019 में कवर्धा स्थित भोरमदेव अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व घोषित नहीं करने का निर्णय लिया गया।

इधर उक्त निर्णय को छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय, बिलासपुर में एक जनहित याचिका के माध्यम से नितिन सिंघवी द्वारा चुनौती दी गई थी। इस प्रकरण में सुनवाई के दौरान सरकार द्वारा मजबूती से अपना पक्ष रखते हुए, न्यायालय को यह बताया गया कि उक्त टाइगर रिजर्व घोषित करने से भोरमदेव अभ्यारण्य में निवासरत आदिवासियों के विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। सरकार द्वारा दी गई दलीलों से संतुष्ट होकर माननीय उच्च न्यायालय द्वारा जनहित याचिका 14.08.2013 को खारिज कर दी गई।

वन मंत्री अकबर ने आदिवासियों – बैगा जनजाति को दिलाया भरोसा
प्रदेश के वन मंत्री छत्तीसगढ़ शासन मोहम्मद अकबर ने कहा है कि राज्य शासन आदिवासियों के साथ मजबूती से रहेगी। उन्होंने प्रस्तावित भोरमदेव अभ्यारण क्षेत्र के आदिवासियों एवं बैगा जनजाति के लोगों को भरोसा दिलाया है कि वे कतई चिंता न करें। इस क्षेत्र के विधायक होने के नाते वे (अकबर) हर स्थिति में उनके हितों की रक्षा करेंगे।
छत्तीसगढ़ के कवर्धा में भोरमदेव अभयारण्य को टाइगर रिजर्व बनाने के फैसले पर कांग्रेस के विरोध को देखते हुए सरकार ने इसे वापस ले लिया है। जंगल झलमला की जनसभा में प्रदेश के वनमंत्री महेश गागड़ा और सांसद अभिषेक सिंह ने इसकी जानकारी दी। वनमंत्री ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के लोग यहां यह भ्रम फैला रहे हैं कि टाइगर रिजर्व के लिए गांव खाली कराए जाएंगे। हमें टाइगर की भी चिंता है और ट्राइबल की भी।
हम वन्यजीवों के साथ रहते आए हैं और साथ रहेंगे। किसी को डरने की जरूरत नहीं है। कांग्रेस नेता हमेशा आदिवासियों को मोहरा बनाकर राजनीति करते हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि टाइगर रिजर्व को लेकर नियम-प्रक्रिया चल रही थी, रिजर्व खुला नहीं था। सरकार ने निर्णय वापस लिया है। किसी भी ग्रामीण को उसकी जमीन से विस्थापित नहीं किया जाएगा।
प्रस्तावित टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में आने वाले गांवों में भोथी, सिलयारी या बंदुक कुंदा, सिंघनपुरी, मचियाकोन्हा, बरेंडीपानी, तुरैयाबहरा, माराडबरा, बालसमुंद या खिलाही, सोनवाही, दुलदुला व कुमान शामिल थे। इन्हीं गांवों को विस्थापित करने के प्रावधान थे।

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