Crime SEBI_India

अदानी मामले पर सेबी ने संसद में झूठ कहा – महुआ मोइत्रा

दिल्ली से छपने वाले कुछ अख़बारों ने अपने पहले पन्ने पर सूत्रों के हवाले से सिद्धारमैया को कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनाए जाने की ख़बर दी है, वहीं कई अख़बारों ने अदानी मामले में सुप्रीम कोर्ट में दाखिल सेबी के हलफ़नामे की ख़बर को प्रमुखता से छापा गया है. सबसे पहले नज़र डालते हैं अदानी मामले पर और जानते हैं कि कोर्ट में सेबी ने क्या कहा. अख़बार जनसत्ता में छपी ख़बर के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को शेयर की क़ीमतों में गड़बड़ी को लेकर अदानी पर लगे आरोपों की जांच की मियाद बढ़ा दी है. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) को जांच पूरा कर रिपोर्ट सौंपने के लिए 14 अगस्त तक का वक्त दिया गया है. हाल में अमेरिका की फ़ॉरेंसिक फ़ाइनेंशियल कंपनी हिंडनबर्ग ने अदानी से जुड़ी अपनी रिपोर्ट में कंपनी पर धोखाधड़ी और शेयरों की क़ीमतों में छेड़छाड़ के आरोप लगाए गए थे. इसी रिपोर्ट के सामने आने के बाद कोर्ट ने इस मामले में जांच शुरू की थी. चीफ़ जस्टिस की अध्यक्षता वाली बेंच ने सेबी की तरफ़ से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से कहा, “आपको पहले ही दो महीनों का वक्त दिया गया था, आपने क्या किया? अब आपको तीन और महीनों का वक्त दिया गया है. हम अनिश्चित समय तक के लिए मियाद बढ़ाते नहीं रह सकते, अगर कोई दिक़्क़त है तो बताएं.”
सेबी ने झूठ बोला-महुआ मोइत्रा
इस पर तृणमूल कांग्रेस की नेता महुआ मोइत्रा ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट में सेबी ने जो हलफ़नामा दाखिल किया है वो स्पष्ट तौर पर ‘झूठा’ है.
टेलीग्राफ़ में छपी एक अन्य ख़बर के अनुसार, उन्होंने अख़बार से कहा, “इस बात पर यक़ीन नहीं किया जा सकता कि भारत का बाज़ार नियामक इस क़दर अदानी समूह के साथ मिला हुआ है कि उसने लिखित में सांसदों को बताया कि वो अदानी समूह पर लगे आरोपों की जांच कर रहा है. वित्त मंत्रालय ने संसद में झूठ बोला कि सेबी मामले की जांच कर रही है.”
उन्होंने कहा कि पहले सेबी ने कहा था कि वो अदानी समूह से जुड़े सवालों की जांच करेगी. उन्होंने कहा, “उसके बाद सेबी ने कोर्ट में हलफ़नामा दाखिल किया है कि वो मामले की जांच नहीं कर रही. ये झूठ है.”
नियामक ने 15 मई को कोर्ट में कहा कि इस तरह के दावे किए गए हैं कि सेबी 2016 से अदानी समूह की जांच कर रही है, “ये रिपोर्ट निराधार है.” वहीं क़ानून के मामले कवर करने वाले ऑनलाइन पोर्टल लाइव लॉ ने कहा है कि सेबी ने इस संबंध में जो हलफ़नामा दाखिल किया है उसमें एक ही अधिकारी की उम्र अलग-अलग बाताई गई है.
15 मई को दाख़िल हलफ़नामे में गवाह की उम्र 22 साल बताई गई है, वहीं 7 मई को को दाख़िल किए हलफ़नामे में गवाह की उम्र 25 साल बताई गई है.
हालांकि सेबी ने अदालत को बताया कि ग़लती से उम्र 22 साल हो गई है, जबकि ये 25 साल होनी चाहिए.

About the author

Mazhar Iqbal #webworld

Indian Journalist Association
https://www.facebook.com/IndianJournalistAssociation/

Add Comment

Click here to post a comment

Follow us on facebook

Live Videos

Breaking News

Advertisements

Advertisements

Recent Posts

Advertisements

Advertisements

Our Visitor

0551770