कांकेर (भानुप्रतापपुर – कोरर) छत्तीसगढ़ 02 दिसंबर 2022, जिले के भीतर भानुप्रतापपुर विधानसभा क्षेत्र क्रमांक 80 में हो रहे, उप चुनाव बहरहाल जहां राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। सभी पार्टी के पदाधिकारियों द्वारा अपने अपने पार्टी के प्रत्याशियों को जनमत दिलाने के गली कूचों में घुसकर मतदाताओं से मुलाकात कर रिझाने की कोशिश में देखे गए। लिहाजा रणनीति जोरो पर है। जहां भाजपा और कांग्रेस के लिए आदिवासियों की आरक्षण का मुद्दा एक कांटे से कम नहीं है। वहीं भानुप्रतापपुर विधान सभा क्षेत्र में कमोवेश आदिवासियों की कुल आबादी की 65 प्रतिशत से कम नहीं है, जिसमें इन वर्गो के बीच सर्वाधिक 45 प्रतिशत जनसंख्या गोंड जनजातीय समुदाय की आंकी जाती है। फिलहाल भानुप्रतापपुर विधान सभा चुनाव में 7 प्रत्याशी चुनावी मैदान में हैं। वहीं सबसे बड़ी तादाद में आदिवासी मतदाता हैं। सच मानें तो राजनैतिक गलियारों में आदिवासी समुदायों के बीच दो धड़ों मे प्रत्याशी खड़ा हो जानें से फिलहाल आदिवासी समुदायों के मतदाताओ मे असमंजस पैदा हो गई है। जैसा कि पूर्व सैनिक तथा जहां एक ओर गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के प्रत्याशी घनश्याम जूरी खड़े हैं, तथा दूसरी ओर सर्व आदिवासी समाज की ओर से पूर्व आई पी एस आधिकारी अकबर कोराम भी प्रत्याशी के रुप में सामने हैं। वहीं बहरहाल इस दौर में पहुंचे गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय पदाधिकारी भी फिलहाल अपनी चुनावी दौर को तेज कर दिए हैं। बहारहाल रायपुर से पहुंचे वेब वर्ल्ड न्यूज़ व गोंडवाना उदय न्यूज की संयुक्त टीम अपनी दृष्टि कोण से निष्पक्ष राजनैतिक समीक्षा के लिए भानुप्रतापपुर विधान सभा के सभी राजनैतिक दलों के प्रमुखों तथा आम मतदाताओं से मिलने की कोशिश कर रहे हैं। इसी दौर में गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ एल एस उदय सिंह द्वारा बीते रात 8 बजे अपने पार्टी प्रत्याशी के पक्ष में बैठक लेने आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र कोरर के समीप ग्राम घोड़दा में पहुंचे, जहां गांव के महिला पुरुष बुजुर्ग तथा सरपंच सुरेश गावड़े सहित गांव के प्रमुख पटेल भी शामिल थे जिसमें गांव के सभी मतदाताओ ने साफ कह दिया, कि सर्व आदिवासी समाज तथा गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के दोनों धड़ों को एक होना होगा, हम असमंजस में हैं। किसके पक्ष में हम मतदान करें। लिहाजा गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के पदाधिकारी डॉ उदय ने पार्टी के सिद्धांतो के बारे में हर पहलुओं पर समझाया लेकिन गांव के मतदाताओ ने कहा कि दोनों प्रत्याशी एक हों जाएं। और हमें अपना अभिमत के रुप में तत्काल हमारे गांव बताएं हम आपके साथ हैं, अन्यथा अन्य विचार के लिए विवश होंगे।
फिलहाल कुछ भी कहें, इस विधान सभा उप चुनावों में आदिवासी मतदाताओं का आरक्षण को लेकर कांग्रेस और भाजपा से मोहभंग हो चुका है। लेकिन आदिवासी समुदायों में दो हिस्सों में बंट कर चुनाव की रणभेदी से भानूप्रतापपुर का किला को ढहा पाना जो संशय से कम नहीं है।
राजनैतिक गलियारों में आदिवासी समुदायों के बीच दो धड़ों मे प्रत्याशी खड़ा हो जानें से फिलहाल आदिवासी समुदायों के मतदाताओ मे असमंजस

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