Editorial National

अपने शहर के हाल से वाकिफ नहीं साहब, देखो तो चौराहों पर जिंदा लाशें हैं पढ़ी हुई

*हरित मित्र परिवार एंबेस्डर अंजुम क़ादरी

यूं तो भारत में हज़ारों एनजीओ वर्क कर रहे हैं। लेकिन किसी भी एनजीओ वर्कर और एनजीओ की नज़र चौराहों पर ज़िंदा लाशों पर नहीं पड़ती क्या?
मैं अपने दिल की पीड़ा अपने ही शब्दों में बयान कर रही हूं।
मैं इससे पहले भी इस तरह के बहुत सारे लोगों को नारी निकेतन वृद्ध आश्रम पहुंचाने मे कामयाबी हासिल कर चुकी हूं। और मुझे पूर्ण अपने कलम पर विश्वास है इस आर्टिकल के माध्यम से हमारे ज़िले के एमएलएस, डीएम, एसडीएम साहब व कैबिनेट मंत्री आदि ज़रूर गौर करेंगे।
मैं समाज सेवा करने वाले तमाम बहन भाइयों से भी मुअददबाना गुज़ारिश कर रही हूं। यह चौराहों पर जो ज़हनी तवाज़ुन यानी नफसानी मरीज़ जो है उनको नारी निकेतन भेजने की कृपा करें। ज़रा सोचें दिमागी संतुलन किसी का भी खराब हो सकता है। यह जो लोग चौराहों पर ज़िंदा होते हुए भी जानवरों से बदतर घिषट के खिचड़ के जीवन गुज़ार रहे हैं। यह भी कभी अच्छी पोज़ीशन में थे। न जाने इनके साथ क्या घटनाएं घटी जो आज यह दिमागी संतुलन खोकर इस तरह चौराहों पर ज़िंदा लाश की तरह पड़े हैं। इसके लिए हमारे शासन प्रशासन को उत्कृष्ट कार्य करने चाहिए। चौराहों गली नुक्कड़ रोड आदि जगहों से ऐसे मरीज़ों को उठाकर वृद्ध आश्रम नारी निकेतन दारुल उलूम तक पहुंचाया जाए। और इनका इलाज कराया जाए। मेरे दिल में आज फिर यह पीड़ा दिमागी मरीज़ों को देखकर हो उठी। उसकी तस्वीरें मैं आप सबके सम्मुख रखना चाहती हूं। और मैं चाहती हूं हमारे देश में हज़ारों की तादात में दिमागी मरीज़ हर गली नुक्कड़ चौराहे बाज़ारों बियाबान जगहों पर पाए जाते हैं। भारत सरकार ऐसी टीम गठित करें जो ज़िला ब्लाक स्तर पर खोजबीन कर ऐसे लोगों को दारुल उलूम नारी निकेतन वृद्ध आश्रम तक पहुंचाएं। और दिमागी संतुलन खोए हुए लोगों का सही प्रकार से इलाज किया जाए। मैं ऊधम सिंह नगर में सभी एमएलएस डीएम एसडीएम साहब आदि से अनुरोध कर रही हूं। सितारगंज खटीमा नानकमत्ता किच्छा रूद्रपुर गदरपुर बाजपुर काशीपुर जसपुर आदि शहरों में और तमाम तर गांव में दिमागी मरीज़ों को अधिक पाया जा रहा है। विनम्रता पूर्वक अनुरोध है दिमागी मरीज़ों को वृद्ध आश्रम नारी निकेतन दारुल उलूम तक ले जाया जाए। और इनके दिमागी संतुलन के हिसाब से उपचार किया जाए।
आजकल देखने और सुनने में यह भी आ रहा है।
अपने मां-बाप को औलाद ही टॉर्चर करके नफसियाती मरीज़ बना रहे हैं। भारत सरकार कड़े नियम लागू करें और भारत में कोई भी नागरिक अपनी ज़िम्मेदारी से मुंह न फेरे ऐसी योजनाएं लागू हो।
मां बाप की नाफरमानी भी एक बहुत बड़ा क्राइम है। इसको अनदेखा बिल्कुल ना किया जाए इस पर कड़ा कानून लागू हो जय हिंद जय भारत जय शिक्षा जय संविधान जय वीर और वीरांगना जय भारत महान

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