किस्सा मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य चिकित्सा सेवाएं अधिकारी कार्यालय का
आदेश और ज्वाइनिंग पर उठे सवाल
बाबा के पंडों से कायदे कानून तार-तार
बिलासपुर. बाबा के पंडों की करतूतों से अब सेवा का यानि स्वास्थ्य विभाग के कमरे अखाड़े बनने की दलहीज पर हैं. जिले के 25 से अधिक पात्र प्रथम श्रेणी के डॉक्टरों को दरकिनार कर सेकंड क्लास दागी चिकित्सा अधिकारी को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं अधिकारी बना देना कई सवाल पैसे कर रहे हैं. इन सवालों के जवाब वजनदार अटैची के नीचे “विजय पथ” पर दबे हैं. वहीं कथित सीएमएचओ का एकतरफा प्रभार ग्रहण कर लेने से शासन के कायदे कानून की तार-तार होती अस्मत साफ साफ नजर आने लगी है. हालांकि शिकहर बहुत उपर हावय बिल्ली क अभी दूध के रखवारी करेबर परही …
छत्तीसगढ़ शासन लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग मंत्रालय महानदी भवन, नवा रायपुर, अटल नगर के आदेश दिनांक 24 जून 2022 कमांक एफ 1-39/2022/सत्रह/एक राज्य शासन जारी कर अनिल कुमार श्रीवास्तव, चिकित्सा अधिकारी, सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, रतनपुर, जिला बिलासपुर, छत्तीसगढ़ को अस्थायी रूप से आगामी आदेश तक मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, जिला बिलासपुर का प्रभार सौंपा है। इस आदेश के परिपालन में कथित रूप से डॉ. अनिल कुमार श्रीवास्तव ने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं अधिकारी का एकतरफा कार्यभार अवकाश के दिन ही शनिवार को ग्रहण कर लिया है. सोशल मीडिया में इसकी खबरें और फोटो वायरल हो रही. हालांकि इसकी अभी अधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है.
आदेश की वैधता पर उठे सवाल- वहीं दूसरी ओर राजेन्द्र सिंह गौर अवर सचिव छत्तीसगढ़ शासन लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग मंत्रालय महानदी भवन, नवा रायपुर, अटल नगर के हस्ताक्षर से जारी आदेश दिनांक 24 जून 2022 कमांक एफ 1-39/2022/सत्रह/एक राज्य शासन पर भी सवाल उठने लगे हैं. जानकारों की माने तो संयुक्त संचालक और मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. प्रमोद महाजन जिले में स्वास्थ्य महकमें के सबसे वरिष्ठ प्रथम श्रेणी चिकित्सा अधिकारी हैं. प्रथम श्रेणी चिकित्सा अधिकारी को प्रभार से हटाने व ट्रांसफर करने से पहले सामान्य प्रशासन विभाग की अनापत्ति की जरूरत होती है. वहीं आदेश जारी करने के पहले सामान्य प्रशासन विभाग छत्तीसगढ़ शासन से अनुमति नहीं लेने की जानकारी मिली है। ऐसे में आदेश की वैधता पर ही सवाल उठने लगे हैं.
सीएचसी रतनपुर में नहीं दी है ज्वाइनिंग- मुख्य चिकित्सा एवं स्वारथ्य अधिकारी कार्यालय में अटैक डॉक्टर अनिल श्रीवास्तव को सीएमएचओ डॉक्टर महाजन ने बीते दिनों रिलीव कर दिया था। इसके बाद डॉ. श्रीवास्तव ने अपने मूल पदस्थापन वाली सीएचसी रतनपुर में ज्वाइनिंग ही नहीं दी है. ऐसे में प्रकिया का पालन किए बगैर सीएमएचओ का प्रभार ले लेना तय प्रावधानों के विपरीत है.
विवादों से है गहरा नाता- गौरतलब है कि डॉ. अनिल कुमार श्रीवास्तव से शासन को लाखों रुपए की वसूली कर जीवन दीप समिति के खाते में जमा करानी है. डॉ. श्रीवास्तव लंबे समय तक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रतनपुर और बाद में सामुदायिक स्वारथ्य केन्द्र, रतनपुर के प्रभारी चिकित्सक थे उस दौरान गंभीर वित्तीय अनियमितता करने और सेवा में लापरवाही बरतने के गंभीर आरोप लगे थे
स्थानीय निधि संपरीक्षक अंकेक्षण 2006 से 2018-19 तक की हुई आडिट में लाखों रुपए की अनियमितता साबित होने पर राशि की वसूली कर जीवनदीप समिति में जमा कराने का आदेश भी जारी हुआ था। वहीं पोस्ट मार्टम करने के बाद रुपए नहीं देने पर शव के चिरे गए हिस्से की सिलाई किए बगैर लाश को परिजनों को सौंप देने और इलाज में लापरवाही करने से एक बच्चे की मौत जैसे गंभीर आरोप लगे थे. पोस्ट मार्टम वाला मामला तो कांग्रेस के एक विधायक ने छत्तीसगढ़ विधानसभा में उठाया था अब उसी कांग्रेस के राज में शासन को चूना लगाने डाक्टर की ताजपोशी कर दी गई है.
खेल के पीछे “थर्ड क्लास” कर्मचारी- इस पूरे खेल में बाबा के पंडों और एक थर्ड क्लास कर्मचारी के साथ अटैची का बड़ा रोल होने की बात कही जा रही. वर्ना जिस डाक्टर को चंद दिन पहले मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्य अधिकारी डाक्टर महाजन ने अपने कार्यालय से लापरवाही बरतने पर प्रभार से हटा कर हकाल दिया गया था उस दागी डाक्टर को प्रभारी बना देना कई सवाल खड़े करता है…
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