मुल्क में हज कमेटी बनाई गई जिसका मकसद बिलकुल साफ़ था कि ये कमेटी हज्जे बैतुल्लाह शरीफ जाने वालों का ख्याल रखेगी, उनको कोई परेशानी न होने पाए, अगर कोई परेशानी हो जाती है तो उनकी मदद करेगी, मगर ये पहले मौका है जब हज कमेटी ही परेशानी का सबब बन रही है। इस साल नागपुर की बजाए मुंबई से फ्लाईट होने से तमाम हुज्जाजे कराम को मुंबई जाना होगा, ये जाहिर बात है कि हुज्जाजे कराम के साथ उनके रिश्तेदार दोस्त अहबाब भी ऐसे मुबारक मौके पर उनको अलविदा करने के लिए नेकी की नियत से उनके साथ जाते हैं, पहले नागपुर जाने में ज्यादा आसानी थी, नागपुर जाने के लिए रेल, हवाई जहाज, बस और कारों से लोग नागपुर पहुँच जाते थे, लेकिन मुंबई जाने के लिए कार और बस से जाना बेहद मुश्किल काम है, हुज्जाजे कराम के साथ उनके रिश्तेदार दोस्त अहबाब के अलावा उनके खुद के सफ़र में काम आने वाले सामानों का लगेज भी तो होता है।
अब ऐसे में हवाई जहाज का खर्च खुद का और साथ साथ अपने रिश्तेदारों को साथ ले जाने का खर्च उठाना आसान नहीं है, हज कमेटी की लापरवाही से तारीख का ऐलान देर से किये जाने की वजह से पूरा खामियाजा हज्जे बैतुल्लाह शरीफ के मुबारक सफ़र में जाने वाले हुज्जाजे कराम को भुगतना पड़ रहा है, हवाई जहाज वाली कम्पनियां इस मौके का पुरा पूरा फायदा उठा रही हैं, आज अगर कोई रायपुर से मुंबई की टिकट खरीदना भी चाहें तो करीब दुगुना रकम अदा करने पर जा सकते हैं, जहाँ तक रेल से सफ़र की बात है तो देर से तारीख का ऐलान होने की वजह से लोगों ने जब रिजर्वेशन कराना चाहा तो उनको वेटिंग के टिकट दिए जा रहे हैं, वजह बिलकुल साफ़ है और भी दुसरे लोगों ने पहले से सफ़र का रिजर्वेशन करा लिया है इसलिए अब हुज्जाजे कराम को सीट नहीं मिल पा रही है, ना ही कोई स्पेशल ट्रेन चलाई जा रही है, जिससे हुज्जाजे कराम और उनके रिश्तेदारों को मुंबई जाने में आसानी हो सके। अग्निपथ की आग मुल्क में फैलने की वजह से 700 से ज्यादा ट्रेनें रद्द हो चुकी हैं, अब आखरी रास्ता अगर कार से जाने को मान भी लिया जाये तो कार से मुंबई जाना बच्चों का खेल नहीं है, आखिर हज कमेटी चाहती क्या है ये लोगों की समझ से परे है…….
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