Chhattisgarh

“अंदाज-ए-बयां” के द्वारा एक साहित्यिक संध्या “एक शाम ज़िन्दगी के नाम” का आयोजन

रायपुर 31 अक्टूबर 2021 / अंदाज-ए-बयां के बैनर तले एक साहित्यिक संध्या “एक शाम जिंदगी के नाम” का आयोजन मोहम्मद आरिफ मलिक द्वारा कुक स्टूडियो, सिविल लाइन, रायपुर छत्तीसगढ़ में किया गया।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि रहे कवि श्री राजेश जैन राही साहब तथा अन्य विशिष्ट अतिथि श्री यूशा रायपुरी, श्री राकेश साफिर,
मोहम्मद इरफान, श्री इरतेका हैदरी ,श्री अक्षय शर्मा, श्री अभिजीत ठाकुर ,श्री नदीम मेमन, श्री अज़हर अली तथा श्री वैभव गौरेहा आदि शामिल रहे।

कार्यक्रम का शायराना संचालन युवा कवयित्री प्राची साहू और श्री राकेश तिवारी ने किया
कार्यक्रम में अन्य नौजवान कवियों जैसे – रॉकी साहू, सागर, मयंक वाधवानी, हर्षित, पवन, परवेश, साहिल, कृष्णा सोलंकी, प्रशांत, योगेश तथा सिद्धार्थ आदि ने भी अपनी शानदार प्रस्तुति दी।

संध्या 4 बजे आरंभ यह कार्यक्रम रात करीब 9:00 बजे तक चला।

शायरों द्वारा प्रस्तुत कुछ शेर और पंक्तियाँ-

बिजली भी कड़कती है बादल भी गरजता है,
दोनों ही सदाओ पर इंसान बहकता है।

दुश्मन मेरे वतन को जब आँख भर के देखे,
रग-रग में लहू मेरा कुछ और उबलता है।
…मोहम्मद आरिफ

गीत ग़ज़ल लिखते रहो, पीर बने रसधार,
नहीं मंच की कामना, हृदय बसो संसार।
. ….. राजेश जैन ‘राही’

मुझे भी बात कहने का हुनर आता है,
दरिया हूँ , बहने का हुनर आता है.।
…..राकेश अग्रवाल “साफिर”

न जी पा रहे हैं, न मर पा रहे हैं
बस अपने किये पर ही पछता रहे हैं।
….मो.इरफानुद्दीन इरफ़ान

साथ चलना हमारा जो मुमकिन नहीं
तू मेरे पास आने की कोशिश न कर
हाँ मै तेरी वजह से ही नाराज हूँ,
पर तू मुझको मनाने की कोशिश न कर
…… अक्षय शर्मा

किस तरहा का वो प्यार देता है
पल में इज़्ज़त उतार देता है

एक मजदूर ज़िन्दगी अपनी
मुस्कुरा कर गुज़ार देता है
…..युशा रायपुरी

ज़िन्दगी में मेरी तुम आए हो तुफां की तरहा
और मैं बिखरा हु ताराज गुलिस्तां की तरहा

मैंने देखा जो मोहब्बत की लोगत में उसको
तेरी ना ना भी मुझे लगती थी हाँ हाँ की तरहा
…….इरतेका हैदरी

ग़ज़ल के मतलों में शेरों शायरी में तू दिखे,
नज़्म के हर मिसरे में तेरा ज़िक्र करके जायेंगे,

हम रहे न मंदिरों न मस्जिदों के न घाट के,
तुझमें जो न बस सके तो हम कहाँ ही जायेंगे।
…… प्राची साहू

सभी से दोस्ती होने लगी है।
मेरे दिल में गली होने लगी है।
तुम्हारे नाम अब तो रफ्ता रफ्ता।
हमारी ज़िंदगी होने लगी है।
…….राकेश तिवारी

— *मोहम्मद आरिफ़ मलिक*–
(अंदाज़-ए-बयां)

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