Chhattisgarh Raipur CG

छतौद की बंजर भूमि में हरियाली की सौगात, मुख्यमंत्री के हरियाली प्रसार योजना को मिल रहा बेहतर प्रतिसाद

अलताफ हुसैन की कलम से…✍

रायपुर/ किसी कवि ने क्या खूब कहा है..
गर देखना चाहते हो मेरी उड़ान को…..
जाओ ऊंचा करो ज़रा आसमान को……
यह पंक्ति प्रत्येक उस इंसान का हौसला बुलंद करती है जो वस्तुतः अप्रत्याशित कार्य को भी बड़ी सहजता से पूरा करने की अद्भुत क्षमता रखता हो लेकिन उलझे जीवन के सुलझाने में ही जीवन कब व्यतीत हो जाता है ज्ञात नही होता परन्तु कहते है प्रत्येक व्यक्ति को ईश्वर एक ऐसा अवसर अवश्य देता है जो उसके जीवन की दशा, दिशा, तक़दीर और तस्वीर बदल देता है बस अवसर मिलना चाहिए कर्म लक्ष्य के साथ साथ कठिन परिश्रम, विपरीत परिस्थियों के मध्य जीवटता एवं जुझारू पन व्यक्तित्व के निखारने के मूलमंत्र साबित हो जाता है तथा ऐसा व्यक्ति अपने परिश्रम लगन कर्तव्यनिष्ठा से ज़मीन से उठ कर आसमान का प्रकाशमान सितारा बन जाता है ऐसी ही कुछ विकासपूर्ण कार्य वन अनुसंधान विस्तार केंद्र रायपुर वन मंडल के अंतर्गत भी हो रहे है जिसकी प्रशंसा प्रत्येक उस पर्यावरण और प्राकृतिक प्रेमी को करने विवश होना पढ़ रहा है जो प्राकृतिक रूप से हरित चादर ओढ़े वसुंधरा के रचयता और महान ईश्वरीय परिकल्पना का भक्त है उसके मुख से पड़त भाटा ऑरेंज मुरुमी पथरीली भूमि मे हरियाली प्रसार कर्ता के कृत्यों के मुक्त कंठ से प्रशंसा स्वमेव निकलना प्रारंभ हो जाएगी यही कारण है कि हमारी कलम भी ऐसे व्यक्तित्व के कार्यों के प्रति प्रासंगिक वश यश शब्द लिखने में कोई कोताही नही बरत रही है तथा ऐसे टीम और उनके द्वारा संपादित किए जा रहे हरियाली प्रसार के माध्यम से निर्मित प्राकृतिक वातावरण के उक्त प्रयास को जन मानस के समक्ष लाने का एक तुच्छ सा प्रयास है इस नैसर्गिक एवं प्राकृतिक वातावरण निर्मित करने में प्रशंसनीय एवं सराहनीय कार्य को अंजाम देने में महती भूमिका निभाने वाली सलमा फारुखी DFO R & E (वनमंडलाधिकारी) है जो अनुसंधान विस्तार वन मंडल रायपुर की कमान सम्हाले हुए है उनके ही अथक प्रयास से बंजर पड़त मुरुमी पथरीली भाटा भूमि में लगभग 35 हजार से ऊपर फलदार, फूलदार, छायादार, ईमारती काष्ठों वाली मिश्रित प्रजाति के पौधों का सफल प्लांटेशन रायपुर से मात्र 40 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम छतौद में करवाकर हरितक्रांति युग की शुरुआत की है ग्राम छतौद के उक्त प्लांटेशन और हरियाली प्रसार से वे इतनी प्रसन्न एवं प्रभावित हुई कि अपने उक्त बेमिसाल कार्य हेतु उसे कव्हर करने की अनुमति दी सलमा फारुखी DFO R & E (वनमंडलाधिकारी) ने बताया कि संपूर्ण प्रदेश के ग्राम पंचायतों के माध्यम से पड़त भाटा बंजर भूमि पर मुख्यमंत्री हरियाली प्रसार योजना के तहत कैंपा मद से कार्य संपादित हो रहे है जिसमे प्रदेश के वन मंत्री मोहम्मद अकबर द्वारा उक्त योजना के सफल क्रियान्वयन हेतु प्रदेश भर के समस्त ग्रामीण क्षेत्रों में करोड़ों की संख्या में पौधा रोपण का कार्यक्रम प्रारंभ किया था जो शनैः शनैः सफलता की ओर जा रहा है फारुखी DFO R&E (वनमंडलाधिकारी) ने उक्त योजना की सराहना एवं प्रशंसा व्यक्त करते हुए प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, वनमंत्री मो.अकबर सहित पीसीसीएफ राकेश चतुर्वेदी वनबल प्रमुख के मुख्यमंत्री हरियाली प्रसार योजना के प्रारंभ किए जाने की मुक्त कंठ से प्रशंसा व्यक्त कर साधुवाद देते हुए बताया कि जिन वनों के अनवरत विदोहन से उसका रकबा घटते हुए 45 प्रतिशत तक पहुंच गया था मुख्यमंत्री हरियाली प्रसार योजना के माध्यम से हमारे प्रदेश के वनों में और उसके क्षेत्रफल में बढ़ोतरी होगी साथ ही प्रदेश भर के असन्तुलित जलवायु, वातावरण में आंशिक परिवर्तन देखने मिलेगा विगत वर्षों की कोरोना महामारी के चलते ऑक्सीजन की महत्वता से प्रदेश का प्रत्येक व्यक्ति अवगत हो चुका है तथा वनों और पेड़ पौधों से मिलने वाली ऑक्सीजन हमारे जीवन मे कितना महत्व रखते है उसका भान भी हो चुका है सलमा फारुखी DFO R&E (वनमंडलाधिकारी) ने आगे कहा कि प्रदेश भर में चलाए जा रहे मुख्यमंत्री हरियाली प्रसार योजना का लाभ तभी संभव है जब इसकी सुरक्षा एवं व्यवस्था में क्षेत्र के ग्रामीण निवासी सहयोग करे एक बड़े भूभाग में रोपण स्थल का मुआयना जब टीम ने किया तो एक बरगी खुली आंखों से देखने मे यह विश्वास करना दुरूह हो गया कि ऐसे ड्राय और मुरुमी ऑरेंज स्थल पर कैसे प्लांटेशन संभव है। इस संदर्भ में जब अनुभवी उपवन मंडलअधिकारी जे जे आचार्य से संपर्क कर जानकारी ली गई तो उन्होंने बताया कि यह एक बहुत ही चुनौती पूर्ण कार्य था फिर भी हमने मैदानी अमले को निर्देश दिया कि एक बाई एक के गड्ढे कर उसमें उपजाऊ खाद मिश्रित काली मिट्टी को डाले जिससे रोपित पौधों के जड़ें मजबूती से अपना स्थान बनाएगी और पौधे सर्वाइव करेंगे आचार्य ने बताया कि पौधे अनेक प्रकार के होते है जिनमे कुछ बहुत अधिक कोमल तो कुछ सामान्य होते है परन्तु हमने उन्ही पौधों का चयन कर रोपण कार्य करवाया गया जो निश्चित ही क्षेत्र में मुख्यमंत्री हरियाली प्रसार योजना में सहायक सिद्ध हो वही समय समय पर जाकर रोपण कार्य का मुआयना एव दिशा निर्देश भी देते है ताकि पौधे सफल और कैसे सुरक्षित रहे इसके लिए भी उपवन मण्डलाधिकारी जयजीत आचार्या साहब ने बताया कि पौधों की देखरेख,सुरक्षा व्यवस्था हेतु संपूर्ण रोपण क्षेत्र में हमने सीमेंट पोल के साथ फेंसिंग वायर से घेराबंदी करवाई है ताकि पौधों को चराई कटाई अथवा नुकसान से संरक्षित किया जा सके जिसका ही परिणाम है कि पौधे अब शनैः शनैः अपनी जड़ें मजबूत कर रहे है और सर्वाइव भी कर रहे है श्री आचार्या साहब ने बताया कि मुख्यमंत्री वृक्षारोपण हरियाली प्रसार योजना के सफल होने के लिए आम व्यक्ति से लेकर ग्रामीण पंचायतें, कृषक एवं वन समितियों को मुख्यमंत्री द्वारा दस हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से तीन वर्षों के लिए प्रदाय किया जाएगा इससे आम व्यक्तियों में वृक्षारोपण सहित उसके संरक्षण संवर्धन में जागरूकता आएगी तथा क्षेत्र हरीतिमा युक्त रहेगा मैदानी वृक्षारोपण क्षेत्र में सफल हरियाली प्रसार में कंधा से कंधा मिलाकर कदमताल करने वाले फेहरिस्त में सबसे पहला नाम यदि किसी का होता है तो वह परिक्षेत्राधिकारी का होता है क्योंकि उसके मजबूत कांधे पर ही प्लांटेशन रोपण के सफल अथवा असफल होने की जिम्मेदारी होती है तीन बाई तीन के अंतराल में लगाए जाने वाले पौधों से उसके सुरक्षा, उपचार, देखरेख तक समस्त जिम्मेदारी होती है। यह बड़े सौभाग्य का विषय रहा कि रोपण कार्य के लिए अनुभवी दक्ष एव रोपण कार्य मे अपनी लंबी सेवाकाल व्यतीत करने वाले कर्तव्यनिष्ठ ईमानदार एवं मृदुभाषी व्यक्तित्व के धनी पी.आर.लसेल को अवसर प्राप्त हुआ लगभग 37 वर्षों से वे वानिकी और रोपण कार्य कराते आ रहे है प्रारंभिक सेवाकाल उन्होंने वन रक्षक के तौर पर की थी पश्चात उनके जीवटता, जुझारूपन व लंबा अनुभव और कर्तव्यनिष्ठा का परिणाम रहा कि वे वन अनुसंधान विस्तार केंद्र वन मंडल रायपुर के अंतर्गत परिक्षेत्राधिकारी के रूप में अपना शेष सेवाकाल व्यतीत कर रहे है पी. आर. लसेल ने बताया कि ग्राम छतौद के तीस हैक्टेयर विस्तृत भूभाग में लगभग 33 हजार भिन्न भिन्न मिश्रित प्रजाति के फलदार, फूलदार, छायादार, औषधियुक्त, ईमारती काष्ठ के मिश्रित पौधों का सफल रोपण किया गया है जो पृथक तीन आसपास क्षेत्रों का चयन कर किया गया जिसमें ग्राम छतौद के सरपंच एवं ग्रामीणों का पूरा सहयोग प्राप्त हुआ चयनित रोपण क्षेत्र में हमने नीम, कचनार, आम, जाम, जामुन, शिशु, पेल्टाफाम, आंवला, बांस बेहड़ा, सागौन रूटशूट, कटहल, महुआ, गुलमोहर, इमली, पीपल, बरगद इत्यादि का रोपण कार्य किया तथा पौधे ग्राम गोढ़ी नर्सरी से ही क्रय किए गए रोपण स्थल में रोपित पौधों की पूरी मॉनिटरिंग की जा रही है तथा मृत सूखे पौधों के स्थान पर नए पौधे लगाए जा रहे है तथा पौधों में गाला बनाकर दवा, खाद से उन्हें उपचारित किया जा रहा है। परिक्षेत्राधिकारी पी. आर. लसेल ने आगे बताया कि वर्षा ऋतु का लाभ अभी रोपित पौधों को प्राप्त हो रहा है वही सिंचाई व्यवस्था के बारे में उन्होंने बताया कि एक 426 फीट गहरा बोर खनन करवाया गया है जिससे वर्षा पश्चात सिंचाई की जाएगी इतने बड़े प्लांटेशन भूभाग में एक बोर से कैसे सिंचाई व्यवस्था हो पाएगी पूछने पर लसेल साहब ने आगे बताया कि प्रत्येक रोपण क्षेत्र भूभाग के मध्य में जल संचय की विशेष व्यवस्था की जाएगी जहां से पाइप द्वारा जल प्रवाहित कर स्ट्रिंकलर पद्धति से सुचारू ढंग से सिंचाई व्यवस्था दुरुस्त की जाएगी वही ग्रीष्म ऋतु में जल स्तर गिरने पर पौधों की देखरेख व्यवस्था के विषय पर उन्होंने बताया कि मुरुमी ऑरेंज भूमि होने के कारण रोपण स्थल के समीप में ही तालाब निर्मित है जहाँ से पंप द्वारा सिंचाई या टैंकर के माध्यम से सिंचाई व्यवस्था की जाएगी। वही मैदानी अमले के वन रक्षक सूर्यकांत भू आर्य जो ग्राम छतौद प्लांटेशन के प्रभारी भी है उन्होंने बताया कि सम्पूर्ण रोपण कार्य उनकी ही देखरेख एवं श्रमिक व्यवस्था से संपन्न हुआ है रोपण कार्य के लिए तिल्दा विकासखंड अंतर्गत आने वाले ग्राम छतौद के ही ग्रामीण श्रमिकों का चयन कर कार्य संपादित किया गया इसके लिए ग्राम सरपंच एवं ग्रामीणों का भी पूरा सहयोग प्राप्त हुआ है वन रक्षक सूर्यकांत भूआर्य ने बताया कि श्रमिकों को मुरुमी ऑरेंज ड्राई भूमि होने के कारण गड्ढे खनन में थोड़ी परेशानी उठानी पड़ी परन्तु हरियाली प्रसार के जुनून में मैंने अपने नाम के अनुरूप सूर्य के समान कांति युक्त चमक की भांति इस पड़त भाटा ऑरेंज मुरुमी भू भाग में हरियाली की आभायुक्त छटा बिखेरने में आर्य पुत्र की भूमिका का बखूबी निर्वहन किया तथा अधिकारियों के आदेश एवं दिशा निर्देशों का अक्षरशः सौपे गए दायित्वों का ईमानदारी से पालन किया है वन रक्षक सूर्यकांत भूआर्य ने आगे कहा कि ईश्वरीय निर्मित अनमोल प्राकृतिक को सुधारने एवं जलवायु, पर्यावरण,और मानव वातावरण के सुरक्षा की दृष्टिकोण से लेशमात्र योगदान दे कर हमने बिगड़े पर्यावरण को संतुलित कर मानव जीवन के उद्धार उसकी आयु में वृद्धि के लिए हरित क्रांति लाने एक लक्ष्य प्राप्ति कर सुधार कार्य किया है अब यह मानव के ही हाथ मे है कि पर्यावरण एवं बिगड़े वनों के सुधार के लिए किए गए सराहनीय प्रयास के लिए रोपित पौधों की सुरक्षा की जाए या फिर इसे समूल नष्ट कर नेस्त नाबूत किया जाए ?वही बिगड़े वनों के सुधार और पर्यावरण सुरक्षा के लिए प्रदेश के वन मंत्री मो.अकबर एवं वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के मुखिया पीसीसीएफ एव वन बल प्रमुख राकेश चतुर्वेदी साहब के कुशल प्रशासनिक नेतृत्व का उल्लेख न करना नाइंसाफी होगी जिनके ही प्रयास एवं आर्थिक योगदान से जो कैम्पा मद से बिगड़े वनों के सुधार पड़त भाटा बंजर भूमि में प्लांटेशन, राम वन गमन पथ योजना तथा वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना के माध्यम से प्रदेश भर में हरियाली प्रसार की हरित क्रांति युग की एक नई शुरुआत हुई है वही वन अनुसंधान एवं विस्तार केंद्र रायपुर वन मंडल के परिक्षेत्राधिकारी पी. आर. लसेल का पर्यावरण की दृष्टिकोण से लगाए जाने वाले प्लांटेशनो के संदर्भ में अपना अनुभव साझा करते हुए तनिक विचलित भी हो जाते है और कहते है कि हमारे द्वारा लगाए जाने वाले पेड़ पौधों के वास्तविक शत्रु कोई और नही बल्कि स्वयं मानव ही है इसकी सुरक्षा हेतु प्लांटेशन क्षेत्र में चौकीदारों की नियुक्ति भी की गई है शीघ्र ही प्लांटेशन क्षेत्र वन समतुल्य नज़र आएगा तथा पक्षियों वन्य प्राणियों के रहवास का क्षेत्र भी निर्मित होगा साथ ही भविष्य में मानव जीवन के लिए भी जीवनदायिनी साबित होगा उनके द्वारा कराए गए प्लांटेशन तथा विभाग के उच्च अधिकारियों के चेहरे से झलकती प्रसन्नता एवं अति उत्साह देखते हर किसी कवि की उक्त दो लाइन में कही गई यह बात अक्षरशः सत्य साबित होती प्रतीत होती नजर आती है कि …
कौन कहता है कि आसमान में सुराख हो नही सकता….
एक पत्थर तो ज़रा तबियत से उछालो यारों …
उपरोक्त कथन को ग्राम छतौद के पड़त भाटा बंजर मुरुमी ऑरेंज भूमि स्थल में सफल रोपण कर वन अनुसंधान विस्तार केंद्र के अधिकारियों और मैदानी कर्मचारियों ने वास्तविकता की धरा पर यथार्थ कर दिखाया।

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