Digital

Disha Ravi case – Creating WhatsApp group or editor of harmless toolkit, Delhi court said no offense

A Delhi court has granted bail to 21-year-old environmental activist Disha Ravi. During the hearing of the bail plea, the court said that the creation of a WhatsApp group or editor of a harmless toolkit is not a crime. The court also said that there does not appear to be anything that clearly indicates that Disha Ravi has supported any separatist view. The court also said that the investigating agency cannot be allowed to further restrict civil liberties based on predictions. A Delhi court on Tuesday granted bail to 21-year-old climate activist Disha Ravi, who was arrested on social media for allegedly sharing a “toolkit” related to farmers’ protests. Additional Sessions Judge Dharmendra Rana granted this relief to Ravi on a personal bond of one lakh rupees and two sureties of the same amount. Ravi was arrested by a team from Delhi Police’s Cyber ​​Cell from Bangalore and brought to Delhi. He is currently in police custody.

Disha Ravi’s bail granted, bail granted on condition of filling bond of Rs 1 lakh

Delhi court grants bail to activist Disha Ravi in ​​toolkit case: 21-year-old environmental activist Disha Ravi, arrested in ‘toolkit’ case related to farmer agitation, was granted bail by the Patiala House Court on Tuesday. The court granted bail to Ravi on the condition of depositing a personal bond of Rs 1 lakh. During this time the Delhi Police appealed to the court to extend the remand of the direction for further questioning, which was rejected by the court. Additional Sessions Judge Dharmendra Rana said that after looking into all the facts, the accused Disha Ravi is ordered released on bail. He has asked Ravi to deposit a bond of one lakh rupees and two sureties of the same amount. Disha Ravi was arrested from Bangalore by the Cyber ​​Cell of the Delhi Police on charges of sharing ‘Toolkit’ on social media. The police have filed a case against Ravi and others on various charges including treason.
Significantly, Disha Ravi’s lawyer on Saturday told the Patiala House Court in Delhi that there is no evidence to show that the ‘toolkit’ associated with the farmers’ demonstrations was responsible for the violence on 26 January. After this, the court reserved its order on Tuesday for its bail plea. Disha through her lawyer had told the court that if it is treason to raise the performance of farmers globally, then I am fine in jail. Disha’s lawyer made the argument after Disha’s bail plea was opposed by the Delhi Police. During the court hearing, Delhi Police opposed Disha Ravi’s bail plea, saying it was not merely a ‘toolkit’, the real plan was to discredit India and create unrest here. Disha had deleted the chat on WhatsApp, she was aware of the legal action. This shows that there was a nefarious idea behind the ‘toolkit’. Police said Disha Ravi was part of the Indian chapter of a global conspiracy to discredit India and create unrest under the guise of farmers’ demonstrations. Delhi Police had said in court that Sikhs for Justice, a banned organization, had announced a reward on January 11 for hoisting the Khalistani flag at India Gate and Red Fort. The Delhi Police said that somehow this ‘toolkit’ was leaked on social media and was available in the public domain, it was planned to be removed and demonstrated. The police said before the court that the organization was from Canada and wanted someone to hoist the flag at India Gate, Red Fort. They wanted to carry out such activities under the guise of farmers’ protest and that is why the Poetic Justice Foundation is involved. Regarding Khalistan, Delhi Police said that Vancouver is an important location for anti-India activities and an organization called Kisan Ekta Company is in contact with another organization in Vancouver.

दिशा रवि केस – व्हाट्सएप ग्रुप बनाना या हानिरहित टूलकिट का एडिटर होना दिल्ली कोर्ट ने कहा अपराध नहीं

दिल्ली की अदालत ने 21 वर्षीय पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि को जमानत दे दी है। जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि एक व्हाट्सएप ग्रुप का निर्माण या एक हानिरहित टूलकिट का संपादक होना कोई अपराध नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि प्रत्यक्ष तौर पर ऐसा कुछ भी नजर नहीं आता जो इस बारे में संकेत दे कि दिशा रवि ने किसी अलगाववादी विचार का समर्थन किया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि जांच एजेंसी को पूर्वानुमानों के आधार पर नागरिक की स्वतंत्रता को और प्रतिबंधित करने की अनुमति नहीं दी जा सकती। दिल्ली की अदालत ने मंगलवार को 21 वर्षीय जलवायु कार्यकर्ता दिशा रवि को जमानत दे दी, जिन्हें सोशल मीडिया पर किसानों के विरोध प्रदर्शन से संबंधित “टूलकिट” कथित रूप से साझा करने के मामले में गिरफ्तार किया गया था। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने रवि को एक लाख रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की दो जमानत भरने पर यह राहत दी। रवि को दिल्ली पुलिस के साइबर प्रकोष्ठ की एक टीम बेंगलुरु से गिरफ्तार कर दिल्ली लाई। वह वर्तमान में पुलिस हिरासत में है।

दिशा रवि की जमानत मंजूर, 1 लाख रुपये का मुचलका भरने की शर्त पर मिली बेल

Delhi court grants bail to activist Disha Ravi in toolkit case, किसान आंदोल से जुड़े ‘टूलकिट’ मामले में गिरफ्तार 21 साल की पर्यावरण एक्टिविस्ट दिशा रवि को पटियाला हाउस कोर्ट ने मंगलवार को जमानत दे दी। कोर्ट ने रवि को 1 लाख रुपये का निजी मुचलका जमा करने की शर्त पर जमानत दी है। इस दौरान दिल्ली पुलिस ने कोर्ट से आगे पूछताछ के लिए दिशा की रिमांड बढ़ाने की अपील की थी, जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने कहा कि सभी तथ्यों को देखने के बाद आरोपी दिशा रवि को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया जाता है। उन्होंने रवि को एक लाख रुपये का मुचलका और इतनी ही रकम के दो जमानती जमा करने को कहा है। ‘टूलकिट’ सोशल मीडिया पर शेयर करने के आरोप में दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने दिशा रवि को बेंगलुरु से गिरफ्तार किया था। रवि और अन्य के खिलाफ पुलिस ने राजद्रोह सहित विभिन्न आरोपों में मुकदमा दर्ज किया है।
गौरतलब है कि दिशा रवि के वकील ने शनिवार को दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट से कहा था कि यह दर्शाने के लिए कोई साक्ष्य नहीं है कि किसानों के प्रदर्शन से जुड़ा ‘टूलकिट’ 26 जनवरी को हुई हिंसा के लिए जिम्मेदार है। इसके बाद अदालत ने उसकी जमानत याचिका पर अपना आदेश मंगलवार के लिए सुरक्षित रख लिया था। दिशा ने अपने वकील के जरिये अदालत से कहा था कि यदि किसानों के प्रदर्शन को वैश्विक स्तर पर उठाना राजद्रोह है, तो मैं जेल में ही ठीक हूं। दिल्ली पुलिस द्वारा दिशा की जमानत याचिका का विरोध किए जाने के बाद दिशा के वकील ने यह दलील दी। अदालत में सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस ने दिशा रवि की जमानत याचिका का विरोध करते हुए कहा कि यह महज एक ‘टूलकिट’ नहीं था, असली मंसूबा भारत को बदनाम करने और यहां अशांति पैदा करना था। दिशा ने वॉट्सऐप पर हुई चैट (बातचीत) मिटा दी थी, वह कानूनी कार्रवाई से अवगत थी। इससे यह जाहिर होता है कि ‘टूलकिट’ के पीछे नापाक मंसूबा था। पुलिस ने कहा कि दिशा रवि भारत को बदनाम करने और किसानों के प्रदर्शन की आड़ में अशांति पैदा करने की वैश्विक साजिश के भारतीय चैप्टर का हिस्सा थी। दिल्ली पुलिस ने कोर्ट में कहा था कि एक प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस ने 11 जनवरी को इंडिया गेट और लाल किले पर खालिस्तानी झंडा फहराने वाले को इनाम देने की घोषणा की थी। दिल्ली पुलिस ने कहा कि किसी तरह यह ‘टूलकिट’ सोशल मीडिया पर लीक हो गया और सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध था, उसी को हटाने की योजना बनाई गई और प्रदर्शन किया गया। पुलिस ने अदालत के सामने कहा कि ये संगठन कनाडा से संचालित था और चाहता था कि कोई व्यक्ति इंडिया गेट, लाल किले पर झंडा फहराए। वे किसानों के विरोध की आड़ में ऐसी गतिविधियों को अंजाम देना चाहते थे और यही कारण है कि पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन शामिल हैं। खालिस्तान के संबंध में दिल्ली पुलिस ने कहा कि भारत विरोधी गतिविधियों के लिए वैंकूवर एक अहम स्थान है और किसान एकता कंपनी नामक एक संगठन वैंकूवर में एक अन्य संगठन के संपर्क में है।

Follow us on facebook

Live Videos

Breaking News

Advertisements

Advertisements

Recent Posts

Advertisements

Advertisements

Our Visitor

0551770