लगातार बारिश से भले ही मध्यप्रदेश की जनता परेशान हो रही हो, लेकिन यही पानी, बिजली कंपनी को राहत दे रहा है। मप्र में बिजली की मांग जहां कम है, वहीं बांध बिजली की एक चौथाई जरूरत को पूरा कर रहा है। बिजली उत्पादन के लिहाज से दो साल पहले की तुलना में 8 गुना बढ़ोतरी हुई है। इतना ही नहीं बैकिंग के जरिए छत्तीसगढ़ और प.बंगाल को भी बिजली वापस लौटा रहा है। इस वजह से कोयले से संचालित प्लांट को बंद करने की नौबत आ गई। अक्टूबर से बिजली की मांग प्रदेश में बढ़ना प्रारंभ हो जाती है। इस बार ऐसा नहीं हुआ। मांग 7 से 8 हजार मेगावाट के बीच बनी हुई है। ऐसे में बिजली कंपनी को उत्पादन बढ़ाने की जरूरत ही नहीं महसूस हो रही है। इधर बांध (हाईड्रल प्लांट) से भी बिजली का उत्पादन फुल क्षमता से हो रहा है। मौजूदा दौर में मप्र पॉवर जनरेशन कंपनी करीब 2 हजार मेगावाट बिजली सिर्फ बांध के पानी से पैदा कर रही है।
रबी सीजन में बढ़ती है मांग : बिजली की मांग आमतौर पर अक्टूबर से बढ़ना प्रारंभ हो जाती है। रबी सीजन का प्रारंभ होने लगता है। बारिश के बाद जमीन को पानी के लिए सिंचाई करनी होती है। जिसके कारण 8-10 हजार मेगावाट के बीच मांग पहुंचने लगती है। इस साल बिजली कंपनी को 15 हजार मेगावाट तक मांग पहुंचने की उम्मीद है। इसके लिए बिजली की उपलब्धता भी इसके आसपास रखी गई है।
पिछले साल से दोगुना उत्पादन : मप्र पॉवर जनरेशन कंपनी ने बीते साल 2018 में इन दिनों बांध से 1100 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया। जबकि अभी करीब 2600 मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है।
540 मेगावाट लौटा रहे छग, बंगाल को : मप्र को 540 मेगावाट बिजली छत्तीसगढ़ और प.बंगाल से भी मिल रही है। बैकिंग शर्तो के अनुरूप ये बिजली ली जा रही है। पहले मप्र के साथ बिजली वापसी का समय तय हो चुका था। उस वक्त मौसम का पूर्वानुमान नहीं था। लिहाजा बिजली ली जा रही है।
8 गुना ऐसा उत्पादन : सितंबर माह के पिछले रिकॉर्ड से तुलना करे तो 2017 में बांध से 25.3 करोड़ यूनिट बिजली पैदा हुई। वहीं 2018 में 67.5 करोड़ यूनिट और 2019 में आंकड़ा 192.6 करोड़ यूनिट पर पहुंच गया। ये 2017 की तुलना में 8 गुना ज्यादा है।
890 मेगावाट सिर्फ थर्मल से : मप्र पॉवर जनरेशन कंपनी से अभी कोयले से संचालित थर्मल पॉवर प्लांट से नाममात्र के लिए 890 मेगावाट बिजली उत्पादन किया जा रहा है। इसमें सिंगाजी पॉवर प्लांट पूरी तरह से बंद रखा गया है। सिर्फ सारणी, बिरसिंहपुर और अमरकंटक पॉवर प्लांट से 890 मेगावाट बिजली ली जा रही है।
बांधों में पानी भरपूर है, इसलिए उसका उपयोग बिजली बनाने के लिए किया जा रहा है। अभी वैसे भी मांग नहीं है। ऐसे में थर्मल पॉवर प्लांट बंद रखे गए है। -एके टेलर, डायरेक्टर
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