तरुण कौशिक, कार्यकारी संपादक, डिसेंट रायपुर अखबार
रायपुर। सियासी फायदे के लिए भूपेश सरकार ने गांव की ओर रूख किया है। अपनी सूट बूट वाली छवि बदली है। लेकिन सवाल यह है कि गांव पर दांव लगाने से क्या सरकार कामयाब हो पाएगी? पहले किसानों की ऋण माफी। राजीव गांधी न्याय योजना के तहत उन्हें धान के समर्थन मूल्य की राशि दे रही है। राजीव गांधी न्याय योजना के तहत किस प्रकार भूपेश सरकार राशि दे रही है,यह जानने की उत्कंठा केन्द सरकार के मन में भी जगी। और योजना का प्रारूप मंगा लिया। तेंन्दू पत्ता बोनस की राशि ढाई हजार से बढ़ाकर चार हजार रूपये की। वहीं गोठान योजना को पूरा होने में वक्त लगेगा। वैसे इस योजना में भ्रष्टाचार भी हो रहे हैं। यदि इसे भूपेश सरकार रोक लेती है, तो यह योजना कांग्रेस के लिए सियासी फायदे में इजाफा कर सकती है।
▪कांग्रेस के तीन अस्त्र
गाय का गोबर खरीदने की बात भूपेश सरकार ने की, तो विपक्ष इसका मजाक उढ़ा रहा है। जबकि देखा जाए तो गोठान,गोबर और किसान,आगे चलकर भूपेश सरकार के लिए लौह स्तंभ साबित होंगे। बीजेपी ने 2023 को विधान सभा चुनाव को ध्यान में रखकर प्रदेश अध्यक्ष बदल दिया। सत्ता और संगठन के खिलाड़ी विष्णुदेव साय को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया। लेकिन यह भूल गई कि चुनाव के लिए अस्त्र भी चाहिए। गोठान,गोबर और किसान’’ ये तीन अस्त्र जिस पार्टी के पास होंगे,वो चुनावी चक्रव्यूह को भेद लेगी।
▪कांग्रेस हिन्दूत्व की ओर..
कभी आडवाणी जी ने कहा था कि बीजेपी का अब कांग्रेसी करण होने लगा है। यह सच भी है। बीजेपी का कांग्रेसी करण होने के चलते वो केन्द्र से लेकर कई राज्यों में अपनी सरकार बना ली है। वहीं कांग्रेस पिछले लोकसभा चुनाव से पहले थोड़ा थोड़ा भाजपाई यानी हिन्दू होने लगी। उसी का नतीजा है कि तीन राज्यों में उसकी सरकार बनी थी,अब मध्यप्रदेश उसके हाथ से निकल गया है। भूपेश बघेल भी आदिवासी बाहुल्य राज्य में कांग्रेस की राजनीति को हिन्दूत्व की राजनीति की ओर मोड़ रहे हैं। उन्हें पता है कि बीजेपी के वोट बैंक में सेंध लगाये बगैर अगली बार कांग्रेस की सरकार नहीं बनेगी। आदिवासी और मजदूर वर्ग के लिए जितनी भी योजना बना दी जाए,उसे मोदी के अलावा कोई नहीं दिखता। लोकसभा चुनाव के परिणाम यही बताते हैं।
▪लोग कहेंगे गोबर भरा है..
सवाल यह है कि गोबर सरकार कैसे खरीदेगी और उसका इस्तेमाल कैसे करेगी। यह महत्वपूर्ण है। यदि वह फेल हो गई या फिर गोबर खरीदी में भ्रष्टाचार होने लगा, तो सियासी फायदे के लिए बनाई गई यह योजना धरी की धरी रह जाएगी। गोबर से गैस,कंडे,जैविक खाद के अलावा अन्य चीजें बनती है,उसके लिए रोजगार के रास्ते खोले जाएं। नहीं तो फिर विपक्ष को, यह कहने का मौका मिल जाएगा कि सरकार के दिमाग में गोबर भरा है।
▪बजट किसानी हो..
भूपेश सरकार को अगली बार अपने बजट में ज्यादा से ज्यादा गांव का ध्यान रखकर बजट बनाना चाहिए। किसानी से जुड़ी छोटी से छोटी चीजों को भी, यदि बजट में ध्यान दिया गया तो फिर कांग्रेस की सरकार अगली दफा फिर से तय है। सिंचाई का रकबा बढ़ाये,किसानों को बिजली देने की योजना में थोड़ा सुधार करें,किसानों को खाद बीज के लिए कर्ज देने की योजना में तब्दीली करें। किसानों केा भी लगे कि कर्ज का मतलब, लेकर डकार लेना नहीं है। किसानों के लिए फसल चक्रीय अनिवार्य करें। टमाटर अधिक पैदा होता है। टमाटोसाॅस की फैक्ट्री डाली जाए। ताकि किसानों को अपना टमाटर खेत और सड़कों पर न फेंकना पड़े। ग्रामीण छत्तीसगढ़ में भारी संकट है। उन संकटों का निपटारा जरूरी है। केवल योजनाएं बना देना ही समस्या का हल नहीं है। उसकी माॅनिटरिंग भी जरूरी है।
▪सबसे बढ़िया,कृषि पर दांव
रोजगार सृजन के तहत मनरेगा के जरिए रोजगार बढ़ायें। फाइलों में 14 लाख लोगों को रोजगार देने की बात की जा रही है। ये आंकड़े केवल किताबी नहीं होना चाहिए। कृषि में रोजगार सृजन की क्षमता उत्पादन क्षेत्र से ज्यादा है। यदि कोई सरकार रोजगार की समस्या को हल करने की दिशा में आगे बढ़ती है, तो कृषि पर दांव लगाना सबसे बढ़िया उपाय है।
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