Bilashpur Chhattisgarh COVID-19

सरकारी चेक में कांट – छांटकर लाखों की हेराफेरी , सीईओ क्यों नहीं करा रहे एफआईआर

तरुण कौशिक, कार्यकारी संपादक, डिसेंट रायपुर अखबार

रायपुर। छत्तीसगढ़ की कांग्रेस सरकार में भ्रष्टाचारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं होने से भ्रष्टाचारियों की हौंसला पूरी तरह से बुलंद हैं और शिकायत मिलने पर जांच – जांच कग खेल खेला जा रहा हैं । बिलासपुर जिले के एक ब्लॉक में लाखों रुपये के हेराफेरी के मामले पर जांच का खेल खेला जा रहा हैं ।
छत्तीसगढ़ विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष धरम लाल कौशिक के निर्वाचन क्षेत्र बिल्हा जनपद पंचायत वर्षों से भ्रष्टाचार का गढ़ बन चुका हैं और यहां पर विभिन्न मदों में करोड़ों की हेराफेरी किया गया हैं जो जांच का विषय हैं । वहीं जनपद पंचायत बिल्हा के उपाध्यक्ष विक्रम सिंह ने यहां पर बंद हो चुके बीआरजीएफ योजना में स्थानीय सपना कम्प्यूटर संचालक को फोटोग्राफी के नाम पर 590 रूपये एवं दूसरे किस्त में लगभग 1050 रूपये की उक्त दोनों राशि के चेक में कांट – छांटकर 590/- को 500590/- एवं 1050/- को 601050 /- बनाकर उक्त संस्था के संचालक को बैंक प्रबंधन ने राशि दे दी और इस मामले की शिकायत जिला पंचायत सीईओ से करने पर मामले में सीईओ बी.आर.वर्मा ,लेखाधिकारी इंदू बघेल ,शाखा प्रभारी जी.आर. शांडिल्य के साथ सपना कम्प्यूटर संचालक लालू शर्मा की भूमिका संदिग्ध माना जा रहा हैं । जिस पर सीईओ बी.आर. वर्मा ने जानकारी होने पर जनपद पंचायत स्तर पर जांच कमेटी बनाई । वहीं जिला पंचायत के तत्कालीन सीईओ रितेश अग्रवाल ने भी इस मामले पर जिला पंचायत स्तर में जांच कमेटी बनाई हैं जो जांच – जांच का खेल खेल रहे हैं । जिला पंचायत सूत्रों की माने तो इस पूरे मामले पर जनपद पंचायत सीईओ बी.आर. वर्मा पुलिस में एफआईआर दर्ज करने की मांग कर चुके थे परंतु एक वरिष्ठ अफसर के इशारे पर एफआईआर दर्ज करने तत्कालीन सीईओ माना किया और अब इस मामले पर जनपद पंचायत सीईओ को पूरी तरह सज फंसाए जाने की बात कही जा रही हैं । निश्चित रुप से सवाल यहीं उठता हैं कि सरकारी राशि की हेराफेरी करने के मामले पर सीधे रुप से क्यों संबंधित थानों में एफआईआर दर्ज नहीं कराकर प्रशासन जांच कमेटी बनाकर भ्रष्टाचारियों को बचाने का खेल खेलते हैं । जिनके कई उदाहरण देखने को मिल रहे हैं ।
बिलासपुर जिला पंचायत सीईओ गजेंद्र सिंह ठाकुर को इस मामले की जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत की जा चुकी हैं लेकिन जांच में क्या पाया गया खुलासा नहीं हुआ हैं । बहरहाल देखना होगा कि इस मामले पर जिला पंचायत सीईओ क्या कार्रवाई करते हैं ।
सरकारी राशि की हेरीफेरी पर पुलिस को देना चाहिए जांच का जिम्मा
वहीं एक सामान्य प्रकरण पर पुलिस प्रशासन चोरी जैसे मामले पर अपराध पंजीबद्ध कर चोरी सहित अन्य मामलों की जांच करते हैं मगर सरकारी खजाने में गोलमाल किए जाने के मामले पर पुलिस प्रशासन को जांच का जिम्मा क्यों नहीं दिया जाता हैं । प्रशासन अपने स्तर पर सरकारी राशि का घपलेबाजी की शिकायत पर जांच कमेटी बनाकर मामले को दबाने का खेल खेलते हैं ,शायद इस मामले पर सीईओ बी.आर. वर्मा को एक तरफा फंसाने की बात कहीं जा रही हैं क्योंकि यह मामला हाईप्रोफाईल बन गई हैं ।

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