टिकटॉक यूजर्स में से एक, फ़िरोज़ा अज़ीज़ , के वीडियो ने टिकटॉक को तूफ़ान के बीचोंबीच लाकर खड़ा कर दिया है. 17 साल की फ़िरोज़ा अमेरिका में रहती हैं. इन्होंने 23 नवंबर को अपने टिकटॉक अकाउंट पर वीडियो डाला. ये रहा वो वीडियो: https://twitter.com/x_feroza/status/1198912945801043969?s=19
वीडियो की शुरुआत होती है कि कैसे लंबी पलकें पाई जाएं. लेकिन उसके बाद तुरंत ही फ़िरोज़ा बात पलट देती हैं. बात करना शुरू करती हैं चीन में उइगर मुसलमानों पर हो रहे अत्याचारों के बारे में. बताती हैं, कि आपके हाथ में जो फोन है, उसका इस्तेमाल करिए और जाकर सर्च कीजिए कि चीन उइगर मुसलमानों के साथ क्या कर रहा है. किस तरह उनको टॉर्चर किया जा रहा है. उन्हें पोर्क (सूअर) खिलाया जा रहा है, उनको धर्मांतरण करने पर मजबूर किया जा रहा है. इस वीडियो को डालने के बाद उन्होंने ट्वीट करके जानकारी दी कि टिकटॉक ने उनका डिवाइस (फोन) ब्लॉक कर दिया है. जब उनकी शिकायत लोगों तक पहुंची तो टिकटॉक घेरे में आ गया. पता चला उनका वीडियो भी हटा लिया गया है. लेकिन 50 मिनट में वापस भी डाल दिया गया. इसके लिए ये समझना ज़रूरी है कि टिकटॉक का चीन कनेक्शन क्या है. और जो फ़िरोज़ा ने बोला, उसकी सच्चाई क्या है. चीन की कंपनी है. ByteDance. इसने शुरू किया एक ऐप. इसमें 15 सेकंड के छोटे-छोटे वीडियो शूट करके शेयर किए जा सकते थे. चीन में इसका नाम Douyin था. लेकिन ये सिर्फ चीन तक सीमित था. उसके बाद बाईटडांस ने Musical.ly नाम के ऐप को खरीद लिया जो चीन से बाहर काफी पॉपुलर था. इसका नाम टिकटॉक रखा गया और इसने अपनी जड़ें पूरी दुनिया में फैला दीं. Douyin और Tik Tok के सॉफ्टवेयर एक ही हैं. लेकिन नेटवर्क अलग-अलग हैं. अब आते हैं फ़िरोज़ा के बताये हुए फैक्ट्स पर. कौन हैं उइगर मुसलमान? क्या हो रहा है उनके साथ चीन में? जमीनी हकीकत ये है कि चीन के कई हिस्सों में मुस्लिमों को धर्म मानने की आज़ादी नहीं. उन्हें टॉर्चर करके नास्तिक बनाया जा रहा है. चीन में दर्ज़नों यातना शिविर हैं. इनमें लाखों मुस्लिम कैद हैं. चीन कहता है, ये ‘वोकेशनल ट्रेनिंग सेंटर्स’ हैं. कि यहां ‘पिछड़े, नासमझ और गरीब ग्रामीण अल्पसंख्यकों’ को काम सिखाया जाता है. जबकि असलियत ये है कि इन कैंप्स में मुस्लिम कवि, प्रफेसर, वैज्ञानिक और पत्रकार भी कैद हैं. चीन जो कर रहा है, साफतौर पर वो नस्लीय सफाया है. ये शिनजियांग प्रांत में सबसे ज्यादा देखा जा रहा है. आशंका है कि 20 से 79 साल के बीच की उम्र के लगभग 11 लाख उइगर मुसलमान टॉर्चर कैंप्स में बंद हैं. बाकी मुस्लिम समुदायों के लोगों की गिनती अलग है. उइगरों के बारे में अगर आप और ज्यादा जानना चाहें तो हमारी साथी स्वाति द्वारा लिखा गया आर्टिकल यहां पढ़ सकते हैं. अब फ़िरोज़ा के वीडियो हटने और उनका डिवाइस ब्लॉक होने के पीछे क्या वजह थी, इस पर बहस छिड़ गई. लोगों को लगा कि चीन नहीं चाहता कि उइगरों पर हो रहे अत्याचार की बात कहीं और पहुंचे. फ़िरोज़ा का वीडियो हद वायरल हो रहा था. ऐसे में कई लोगों तक उसकी पहुंच हो रही थी. लेकिन टिकटॉक ने अपनी सफाई में बताया कि चीन से जुड़ा कॉन्टेंट होने की वजह से वीडियो नहीं हटाया गया था. टिकटॉक अमेरिका के हेड ऑफ सिक्यूरिटी एरिक हान ने स्टेटमेंट जारी कर टिकटॉक की तरफ से सफाई दी. इसमें उन्होंने बताया कि फ़िरोज़ा ने अपने दूसरे अकाउंट से एक वीडियो पोस्ट किया था. 14 नवंबर को. इसमें ओसामा बिन लादेन की तस्वीर का इस्तेमाल हुआ था. चूंकि किसी भी तरह के आतंकी संगठन या आतंकी से जुड़ी तस्वीर या वीडियो शेयर करना टिकटॉक की पॉलिसी के खिलाफ है, इसलिए वो अकाउंट बंद किया गया. फ़िरोज़ा ने इस पर सफाई दी कि वो वीडियो तंज में बनाया गया था. गंभीर नहीं था. उसके बाद कथित रूप से 25 नवंबर को उन सभी डिवाइसेज को ब्लॉक किया गया जो इस तरह नियम तोड़ चुके थे. इन 2,406 डिवाइसेज में वो सभी फोन्स/डिवाइस शामिल थे जिन्होंने इन तीनों में से कुछ न कुछ शेयर किया था: इनमें कथित रूप से फ़िरोज़ा का फोन भी शामिल था. लेकिन तब तक फ़िरोज़ा ने उसी फ़ोन पर दूसरा अकाउंट बना लिया था. इसलिए जब डिवाइस ब्लॉक हुए, तो उसका डिवाइस भी ब्लॉक कर दिया गया. लेकिन अकाउंट चलता रहा. वीडियो दिख रहे थे. व्यूज आ रहे थे. बस फ़िरोज़ा अपने फोन से टिकटॉक नहीं खोल पा रही थीं. इसके दो दिन बाद, 27 नवंबर को इनका वो वीडियो भी हटा दिया गया जिसमें उन्होंने चीन के उइगर मुसलमानों की बात की थी. इसके लिए एरिक ने कहा कि ये ह्यूमन एरर था, यानी वीडियो अप्रूव और चेक करने वाली टीम में से किसी एक व्यक्ति से ये गलती हुई थी और वीडियो हटाया गया था. टिकटॉक की पॉलिसी में ऐसा कुछ नहीं है जिसके आधार पर इस वीडियो को हटाया जाए. ये गलती टिकटॉक से हुई, और 50 मिनट बाद ही वीडियो को दुबारा अप कर दिया गया था.टिकटॉक ने फ़िरोजा के डिवाइस पर से बैन भी हटा दिया है.
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