Chhattisgarh Raipur CG

जंगल सफ़ारी के बड़े भ्रष्टाचार के मामले को पुनः ठंडे बस्ते में डाल दिए…

नवा रायपुर (जंगल सफारी) विगत दिनों जंगल सफारी में डिप्टी रेंजर सुनील कुमार खोपरागड़े एवं महेंद्र भारती ठेकेदार के जुगलबंदी से शासकीय योजनाओं के सफल क्रियान्वयन हेतु जारी शासकीय राशि मे करोड़ों रुपयों का गड़बड़ घोटाला कर भ्रष्टाचार को अंजाम दिए जाने का समाचार प्रकाशन किया गया था समाचार प्रकाशन के पश्चात विभाग में हड़कंप भी मचा परन्तु विभागीय कार्यवाही के नाम पर ढाक के वही तीन पात वाली… कहावत यहां चरितार्थ होते नज़र आई है … तथा मात्र औपचारिक जांच कार्यवाही का दिखावा कर करोड़ों के भ्रष्टाचार के मामले को पुनः ठंडे बस्ते में डाल दिए जाने जैसा प्रतीत हो रहा है क्योंकि जंगल सफारी में निर्माण कार्य एवं अन्य विभागीय योजना के क्रियान्वयन हेतु विभागीय भ्रष्टासुरों की एक पूरी लंबी चैन बनी हुई है तथा बड़े सुनियोजित ढंग से गड़बड़ घोटाला एवं दस्तावेज़ों में कूट रचना कर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा रहा है अब इन भ्रष्टासुर मैदानी कर्मचारियों के सिर पर किस अधिकारी एव जन प्रतिनिधि का वरदहस्त प्राप्त है यह तो वस्तुस्थिति देखने से ही आईने की तरह स्पष्ट दिखाई पड़ता है परन्तु ऐसे बड़े गड़बड़ घोटाला और भ्रष्टाचार का प्रकरण सामने आने के पश्चात भी जंगल सफारी में कार्यरत कर्मचारियों पर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही न होना तथा उनकी नियुक्ति अब भी वही होना बहुत से सवाल खड़े करता है अमूमन देखा यह जाता रहा है कि विभागीय कर्मचारियों के द्वारा एक छोटी सी चूक होने पर संबंधित संलिप्त कर्मचारियों पर निलंबन अथवा बर्खास्तगी की कार्यवाही सुनिश्चित हो जाती है परन्तु जंगल सफारी के भ्रष्ट कर्मचारियों पर इस प्रकार की कोई कार्यवाही न होने से इनके हौसले और बुलन्द हो गए है तथा समाचार प्रकाशन के पश्चात कोई विभागीय कार्यवाही न होने से ये मन ही मन से गदगद भी है इसका उदाहरण यह देखने,सुनने मिल रहा है कि सफारी में गड़बड़, घोटाला मे लिप्त कर्मचारियों के द्वारा चिकन मटन बिरयानी एवं स्कॉच, आई.बी.शराब, बियर की बोतल खोलकर पार्टी मनाई जा रही है…. सईंया भयो कोतवाल … तो अब डर काहे का… की तर्ज पर निर्माण कार्यों का निष्पादन उसी महेंद्र भारती नामक ठेकेदार के माध्यम से कराए जा रहे है जो दस वर्षों से ऊपर जंगल सफारी में कार्य संपादित कर स्थानीय मजदूरों एवं सुरक्षा श्रमिकों का आर्थिक शारीरिक एवं मानसिक शोषण कर रहा है जबकि जंगल सफारी एवं ज़ू में उसके द्वारा कराए जा रहे गुणवत्ता विहीन निम्नस्तरीय कार्य का निरीक्षण कर उसपर तत्काल कार्यों पर रोक लगाकर उसे निष्कासित कर नई निविदा कॉल के माध्यम से अन्य ठेकेदार से शेष कार्य कराए जा सकते है परन्तु ऐसा हुआ नही वजह स्पष्ट है कि यहां भ्रष्टाचार के इतने बड़े बड़े गड्ढे, बल्कि खाई है कि कोई भी समझदार अधिकारी इसे पाटने की सोच भी नही सकता तथा अपनी सेवाकाल के साफ सुथरे दामन को काला नही कर सकता यही वजह है कि भ्रष्टाचार के पर्याय बन चुकी जंगल सफारी में लंबे समय से डीएफओ मर्सिबेला मैडम को वहां से स्थान्तरित नही किया गया क्योंकि …जैसी करनी वैसी भरनी…. की तर्ज पर उनके कर्मों का भुगतान उन्हें ही वहां पर नियुक्त रख कर किया जा रहा है यही वजह है कि परिस्थितिवश तथाकथित ठेकेदार जंगल सफारी में संलिप्त अधिकारी, कर्मचारियों को वहां से अन्यंत्र पोस्ट नही किया जा रहा है क्योंकि आज नही तो कल पूर्व में किए गए भ्रष्टाचार की जांच की आंच के घेरे में सभी को आना ही है यही वजह है कि उच्च अधिकारियों की नज़रे इनायत उपरोक्त समस्त कर्मचारियों पर बनी हुई है स्वयं को साफ सुथरा बनाए रखने के लिए सफारी कर्मचारीयों द्वारा पृथक कार्यशैली अपनाई जा रही है इसके लिए उन्होंने ठेकेदार, को मोहरा बनाकर उसकी ठेकेदारी प्रथा की आड़ में श्रमिक से लेकर निर्माण सामग्री का बिल बाउचर ठेकेदार के द्वारा बनवाए जाने का रास्ता अपनाया जो श्रमिको के शोषण के उद्देश्य से स्वयं की मनमर्जी एवं कलेक्टर दर से आधी राशि में सैकड़ों श्रमिकों से कार्य संपादित करवा रहा है तथा निर्माण सामग्री की दर भी स्वयं एवं अधिकारियों के दिशा निर्देश पर तय कर एक बड़ी राशि का गड़बड़ घोटाला कर भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा रहा है जबकि इसके ठीक विपरीत स्थानीय विभागीय कर्मचारियों के माध्यम से कार्य संपादित कराए जाने पर उनकी हाजिरी तथा फर्जी बैंक खाता संख्या दर्ज कर शासकीय राशि गबन करने जैसे प्रकरण सामने आने लगते है जिससे विभागीय अधिकारियों के सीआर पर भी प्रभाव पड़ता है अतएव इन समस्त पेचीदगी से बचने ठेकेदार महेंद्र भारती को मोहरा बनाकर उसके माध्यम से अब फर्जी बिल भुगतान और श्रमिको के पारश्रमिक राशि की अफरा तफरी तथा गुणा भाग वाला खेल सहजता,एवं सुगमता से खेला जा रहा है भविष्य में यदि कभी जांच की आंच अथवा विभागीय निरीक्षण होने पर ऐसे कर्मचारी अपने आप को साफ बचाने सॉफ्ट कार्नर बना कर चल रहे है तथा जांच होने पर समस्त गड़बड़ घोटाला का दोषा रोपण संबंधित कार्यरत ठेकेदार के सर मढ दिया जाएगा कुछ यही कहानी जंगल सफारी में बेखौफ होकर चल रही है। ज्ञात तो यह भी हुआ है कि समाचार प्रकाशन पूर्व सुनील खोपरागड़े द्वारा बड़ी संख्या में फर्जी बाउचर, एवं संबंधित दस्तावेजों को जला दिया गया क्योंकि उसके द्वारा कुछ चिन्हित श्रमिकों के परिजन एवं मित्रों के फर्जी खाता संख्या दर्ज करवा कर बड़ी राशि आहरित की गई थी इससे इन्हें तो भारी लाभ हुआ साथ ही ऊपर बैठे अधिकारी भी लालम लाल हो गए जबकिं चर्चा इस बात को लेकर गर्म है कि एक ही विभाग पर लगभग पांच वर्षों से डीएफओ के पद पर रहते हुए मर्सिबेला मैडम ने आकूत संपति अर्जित कर रखी है समाचार तो यह भी मिला है कि उन्होंने नवा रायपुर में अपने परिजनों के नाम से ज़मीन मकान ले लिया है तो तनिष्क जैसे डायमंड ज्वेलरी से डायमंड भी क्रय कर रखा है चार पहिया वाहन सहित अन्य स्थलों पर भी अचल संपति लिए जाने की जानकारी प्राप्त हो रही है उल्लेखनीय है कि वर्ष 2017 में करोड़ों के मुरुम घोटाला कांड में डीएफओ मर्सिबेला मैडम के ऊपर ईओडब्ल्यू एवं आर्थिक अन्वेषण ब्यूरो की जांच प्रकरण दर्ज है यह अलग बात है कि इस प्रकरण पर उन पर अब तक कोई कार्यवाही नही की गई अब यह कार्यवाही क्यों नही हो पाई ?यह तो ऊपर बैठे अधिकारी ही बता सकते है कि कहां पर किस चीज का चढ़ावा चढ़ाकर जांच को प्रभावित कर एडजस्ट किया गया परन्तु यह भी उतना ही कटु सत्य है कि उनकी क्रमोन्नति,एवं तबादला भी उक्त प्रकरण पश्चात काफी दुरूह हो गया है आज नही तो कल जांच की जद में उनका आना पत्थर पर लकीर के समान सत्य है इसलिए भी आईएफएस डीएफओ मर्सिबेला मैडम द्वारा भी खुलकर अपने अधीनस्थों को भ्रष्टाचार करने की खुली छूट दे रखी है तथा यहां से अन्यंत्र उनका तबादला भी नही हो रहा है जो इनके सेवाकाल में क्रमोन्नति की राह में एक प्रकार से ग्रहण सा लग गया है बताते चले कि जंगल सफारी से सटे बॉटनिकल गार्डन में वर्ष 2017-18 में एक बड़े भूभाग से अवैध मुरुम,काली मिट्टी,ढुलाई का प्रकरण प्रकाश में आया था जिसे वन विकास निगम द्वारा निर्मित ऑक्सिजोन में डाला गया था जिसका करोड़ों रुपयों का बिल बना था अवैध रूप से किए जा रहे खनन समाचार पत्रों एवं चैनलों के माध्यम से जब समाचार जनमानस के समक्ष आने पर तात्कालिक वन विकास निगम प्रबन्धन ने सांकरा स्थित ऑक्सिजोन से मुरुम उत्खनन करवा कर बड़ी राशि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ाई थी इस अफरा तफरी में भी डीएफओ मर्सिबेला मैडम का नाम प्रमुखता से आया था परन्तु विभागीय जांच होने पर उन पर किसी प्रकार की कोई कार्यवाही नही होना विभागीय कार्यशैली पर सन्देह की उंगली उठाता है फिर भी उन्हें लंबे समय से एक ही कार्य स्थल पर नियुक्ति मानों किसी अज्ञात ईश्वर का अपने भक्त पर विशेष कृपा दृष्टि बना हुआ सा प्रतीत होता है संभवतः भक्त द्वारा भी अपने ईश्वरीय आक़ा को खुश करने विशेष रूप से प्रसाद का चढ़ावा चढ़ाना पड़ता होगा? यही वजह बताई जा रही है कि लंबे समय से एक ही विभाग के कार्य स्थल पर डीएफओ मर्सिबेला मैडम जमी हुई है परन्तु (सीआर) दागदार होने पर …लागा चुनरी में दाग मिटाऊं कैसे….की तर्ज पर उन्हें बहुत से उपाय करने होंगे जो रात के अंधेरे में रौशनी की तलाश करने के समान लगता है फिलहाल तो वो भ्रष्टाचार के भंवर में फंसी हुई है इससे किस तरह उभरना होगा यह एक कुशल तैराक ही जान सकता है वही मैदानी जंगल सफारी स्थल के अधिकारी,कर्मचारीयों का भ्रष्टाचार कर आकूत संपति बनाए जाने का आलम यह है कि एक छोटा कर्मचारी फॉरेस्ट गार्ड ने भी चल अचल संपति बना ली है आसपास क्षेत्रों में रहने वाले कई फॉरेस्ट गार्ड ने तो बकायदा सेक्टर 27 सेक्टर 29 मे पक्के मकान बना लिए है तथा चार पहिया वाहन में चल रहे है एक प्रकार से जंगल सफारी में बड़े पैमाने पर हुए भ्रष्टाचार की चर्चा में यह कहा जा रहा है कि जब एक फॉरेस्ट गार्ड के ऐसे ठाठ है तो सोचो ऊपर बैठे अधिकारियों के शान ओ शौकत का क्या हाल होगा फॉरेस्ट गार्ड के विलासता पूर्ण जीवन शैली को लेकर संपूर्ण प्रदेश भर के कर्मचारियों में चर्चा और कौतूहल का विषय बना हुआ है। वन कर्मी अब इनके आनबान और शान देखकत चटकारे लेकर फिल्मी गीत… जंगल जंगल बात चली है पता चला है…कंबल ओढ़ के घी पिया है घी पिया है.. कि तर्ज पर मजे ले रहे है क्योंकि फॉरेस्ट गार्ड जिनमे मुख्यतः बबलू निराला, पिंकेश्वर दास वैष्णव, मंशाराम साहू,निरंजन दास साहू,मनीष राव एवं कृष्णा राव का नाम उल्लेखनीय है सर्वाधिक धन अर्जित के मामले में बबलू निराला का नाम खासा चर्चित है जिसने शराब, शबाब, कबाब के सारे कीर्तिमान ध्वस्त कर दिए थे वहीं वर्तमान में पिंकेश्वर दास वैष्णव फॉरेस्ट गार्ड जंगल सफारी के संबन्ध में यह भी ज्ञात हुआ है कि फर्जी आदेश के माध्यम से 2009 में उसकी भर्ती हुई है बताया जाता है कि भर्ती आदेश मे (व्हाइटनर) सफेदा लगा हुआ था जो फर्जी तरीके से भर्ती होने की आशंका को प्रबल करता है इस संबध में यह भी ज्ञात हुआ था कि बिलासपुर वृत से भर्ती आदेश होते ही एक सप्ताह पश्चात ही उसे रायपुर डिवीजन स्थानान्तरण कर जंगल सफारी में अटैच कर दिया गया था जबकि वन नियम में यह है कि नवीन भर्ती वाले कर्मचारी को जहां उसकी भर्ती हुई थी उसी वृत के अन्य स्थान पर भेजा जा सकता था परन्तु उक्त प्रक्रिया नही अपनाई गई आदेश लेकर जब वह रायपुर डिवीजन में उपस्थित हुआ तब तात्कालिक डीएफओ द्वारा उसके आदेश की प्रति फेक कर यह कहा था कि यह सब मेरे कार्यकाल में नही चलेगा…परन्तु राजनैतिक अथवा ऊपरी दबाव के चलते उसे रायपुर वृत में नियुक्ति मिल गई बताया तो यह भी जाता है कि वह केवल आठवी तक अल्प शिक्षित है तथा उसकी कद काठी भी नियमानुसार तय मापदण्ड से काफी कम है जबकि फॉरेस्ट गार्ड की सामान्य ऊंचाई साढ़े पांच फीट होना अनिवार्य होता है सामान्य कद के ऊंचाई वाले फॉरेस्ट गार्ड प्रतिभागी का चयन वन अधिनियम में निर्धारित नही है उससे कम कद काठी वाले अल्प शिक्षित व्यक्ति को चतुर्थ श्रेणी चपरासी इत्यादि में लिया जा सकता है परन्तु पिंकेश्वर दास वैष्णव को फॉरेस्ट गार्ड की भर्ती में सारे नियम कायदों को बलाए ताक रख कर किया गया जिसमे पिंकेश्वर दास वैष्णव खरा नही उतरता उसकी कद काठी मात्र साढ़े चार फीट का होना बताया जा रहा है साथ ही उसके भर्ती आदेश में नाम के स्थान पर व्हाइटनर (सफेदा) लगा होना उसके सीधे फर्जी आदेश से भर्ती होने की आशंका को प्रबल करता है ऐसे फर्जी आदेश में शासकीय सेवा का लाभ उठाने तथा विभाग को गुमराह करने के तारतम्य में वन अधिनियम में यह स्पष्ट उल्लेख है कि ऐसा कर्मचारी जो विभाग में फर्जी तरीके से भर्ती होकर विभाग को गुमराह कर प्रदत समस्त शासकीय लाभ उठा रहा हो उस कर्मचारी का पेंशन पर कटौती प्रमोशन में रोक एरियर्स में कटौती तथा नियुक्ति को तत्काल रद्द भी किया जा सकता है यही नही विभाग को गुमराह कर ने के कुत्सित प्रयास में धोखाधड़ी 420 का मामला। भी पंजीबद्ध हो सकता है तथा उससे विभाग द्वारा अब तक के सेवाकाल में लिए गए राशि,गड़बड़ घोटाला,भ्रष्टाचार की राशि की रिकवरी भी किया जा सकता है जो उसके चल अचल संपति को राजसात कर अपनी भरपाई पूरी की जा सकती है परन्तु ऐसे फॉरेस्ट गार्ड भी जो फर्जी तरीके से व्हाइटनर लगे आदेश से लंबे समय से जंगल सफारी में लगभग दस वर्षों से ऊपर अपनी सेवा दे रहा है उसके द्वारा पॉश इलाके में निर्मित फ्लैट लिया ऐसे ही उपरोक्त उल्लेखित फॉरेस्ट गार्डों ने अपने ग्राम क्षेत्र भेलवाडीह में भी सुसज्जित मकान तैयार कर लिए है अब इससे यह अनुमान लगाया जा सकता है कि एक अदना से कर्मचारी के ऐसे राजशाही ठाठ है तो उनसे ऊपर के कर्मचारी,अधिकारियों का क्या हाल होगा यह विचार किया जा सकता है वही जंगल सफारी ज़ू में वन प्राणियों के सुरक्षा को लेकर भी कई सवाल उठाए जा रहे है वन्य प्राणी प्राकृतिक वनों में स्वछंद विचरण करने वाले प्राणी है जिनमे कुछ शाकाहारी तो कुछ मांसाहारी है उनकी जंगल सफारी में रहते हुए अकाल मृत्यु होना भले ही वह मौसमी प्रकोप से ही क्यों न हो यह वन क्रूरता,अत्याचार अधिनियम के तहत माना जाता है क्योंकि उनके स्वछंद विचरण हेतु माकूल बाड़ा नही है एक प्रकार से 5000 वर्गफीट के बाड़े में वह कैदी का जीवन निर्वाह कर रहा होता है जिससे उसके खानपान स्वतंत्रता पर व्यापक असर दिखाई पड़ता है तथा घमा चौकड़ी,उछल कूद न कर पाने की वजह से संक्रमण से व्याधि ग्रस्त होकर असमय काल कल्वित हो रहे है चीतल हिरन की घटती संख्या को देखकर कुछ यही लगता है जबकि राष्ट्रीय पक्षी मोर जिसकी संख्या दस के आसपास बताई गई थी वह भी घटकर बच्चे सहित तीन चार शेष होना बताया जा रहा है जबकि सर्वविदित है कि यदि राष्ट्रीय पक्षी मोर की असामयिक मृत्यु होने पर उसके शव को तिरंगे में लपेट कर ससम्मान दफनाया जाता है तथा यह भी निश्चित है कि मोर थल एवं नभ चर प्राणी है तब स्वभाविक है उसे खुले बाड़ा वाले स्थान में तो रखा नही जा सकता उसके सुरक्षात्मक दृष्टिकोण से उसे पिंजरे नुमा किसी खुले स्थान पर रखा जाता होगा फिर उनकी संख्या ग्राफ मे लगातार गिरावट दर क्यो दर्ज हो रही है। हाल ही कांकेर क्षेत्र से लाए गए दो तेंदुआ भी काल कल्वित हो गए जबकि यह बात भी जंगल सफारी के अंदर से छनकर आ रही है कि चोटिल अथवा घायल वन्य प्राणियों को बगैर अचेत किए उसका ऑपरेशन किया जाता है जिसका वीडियो भी है इसमें बताया गया है कि ऑपरेशन करते समय मूक वन्य प्राणी कितने असहनीय दर्द से छटपटा रहा है यह वन्य प्राणियों के साथ क्रूरता एवं अत्याचार नही तो और क्या है ? केवल वन्य प्राणियों का प्रदर्शन कर आर्थिक लाभ अर्जित करना वन विभाग के जंगल सफारी का दायित्व नही है बल्कि उनकी सुरक्षा,उनके रख रखाव,खानपान एवं प्राकृतिक वातावरण निर्मित करना का भी महती दायित्व भी बनता है उनके व्यापक स्वच्छंद विचरण हेतु विशाल भूभाग में प्राकृतिक वातावरण निर्मित करना है ताकि वे सहजता पूर्वक ऐसे वातावरण को अपना रहवास समझ कर आत्मसात कर सके न कि केवल सीमित वर्ग क्षेत्र में बाड़े निर्माण कर बंधक और कैदी की भांति उनका प्रदर्शन कर अर्थ लाभ कमाने का एक जरिया मात्र न बनाया जाए?

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