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नज़रों में बन रही वतन की तस्वीर

Mazhar Iqbal Editor Web world

**********”अमन का पैगाम”*********

हर वतन वाले को अपना एक ही पैगाम है

अमन क़ायाम है तो बस आराम ही आराम है

करने वाले फर्क आपस में समझते क्यों नहीं

अमन ही तो दूसरा इंसानियत का नाम है

इससे बढ़-चढ़कर ज़माने में कोई दौलत नहीं

अमन दुनिया के लिए सबसे बड़ा इनाम है

यह समझ लो मुल्क़ की कुब्बत है अम्नो इत्तिहाद

यह नहीं तो मुल्क में जुल्मों सितम की शाम है

जिस किसी भी मुल्क की किस्मत में यह दोनों नहीं

देख लो खुद ही किया उस मुल्क़ का अंजाम है

इसलिए कहता हूं मैं दोस्तों यह बार-बार

अमन रखना मुल्क में हर आदमी का काम है

आए बदअम्नी तसव्वुर में तो हम यह सोच लें

अपनी देरीना रिवायत का ये क़त्लेआम है

हिंद में हर आदमी हिंदुस्तानी है मजीद

अमनो इत्तिहाद का ये खूबसूरत नाम है

(मजीद) का मतलब ज़रूरी

नज़रों में बन रही वतन की तस्वीर

कोविड-19 से लड़ रही विशेष पुलिस की टीम

आज हम अपनी स्वतंत्रता की 73 व 74 वी वर्षगांठ मना रहे हैं हमारा भारत हमेशा से वीरों का भारत रहा है देश भक्ति हर एक नागरिक के दिल में कूट-कूट के भरी है बात उन शहीदों की है जिन्होंने अंग्रेजों से देश को आजाद कर अपनी जान गवा दी आज हम उन शहीदों को शत शत नमन करते हैं और आजादी का जश्न घर घर मनाते हैं जिस तरह उस वक्त गुलामी से देश को आजाद कराया इसी तरह आज भारत के हजारों वीर कोरोनावायरस जैसी बीमारी से आजादी के तरह-तरह के तरीके अपना रहे हैं तो वहीं पर भारत में पुलिस बल सबसे अहम भूमिका निभा रहे हैं और भारत की जनसंख्या को नुकसान पहुंचने से महफूज रख रहे हैं हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र सिंह मोदी जी ने विशेष पुलिस और इंडियन गवर्नमेंट वॉलिंटियर जैसे योद्धाओं को देश की सेवा के लिए मौका दिया तो वही देश के इन वीरों ने दिन रात एक कर निस्वार्थ भाव से सेवा की है और अपनी जान की परवाह किए बगैर कंटेनमेंट जोन बेरियल गांव शहर नुक्कड़ चौराहों पर तैनात हैं गर्व की बात तो यह है विशेष पुलिस अधिकारी अपने परिवार से भी दूरी बनाए हुए हैं जहां सारी जनता की बात है तो वहां परिवार की भी परवाह करते हुए खुद को 1 अप्रैल से फैमिली से और जनता से दूर रखे हुए हैं बस जिम्मेदारी से अपना काम किए जा रहे हैं जिस तरह हम आजादी के उन वीरों को गर्व के साथ हर साल याद करते हैं इसी तरह आने वाली पीढ़ियां कोविड-19 योद्धाओं को गर्व के साथ याद करेंगे आज कोरोना योद्धा कोरोनावायरस से बचने के उपाय बताते हैं तो जनता मजाक बनाती है इसी के चलते मुझे एक किस्सा याद आ रहा है वंदे मातरम गीत को आजादी के 5 साल पहले ही लिख दिया गया था लेकिन उस वक्त की जनता इस गीत को समझ ना सकी कहते हैं इस गीत ने आजादी के वक्त खून में रवानी भर दी थी बात सन 1872 से 1876 के बीच की होगी वकीम बाबू से बंदोपाध्याय ने कहा कि आज इस गीत का मतलब लोग नहीं समझ सकेंगे पर एक दिन ऐसा आएगा कि यह गीत सुनकर संपूर्ण देश निद्रा से जाग उठेगा इस संबंध में एक किस्सा और भी प्रचलित है बाकीम बाबू दोपहर को सो रहे थे तब बंदोपाध्याय उनके घर गए बकिम बाबू ने उन्हें वंदे मातरम पढ़ने को दिया गीत पढ़कर बंदोपाध्याय ने कहा गीत तो अच्छा है पर अधिक संस्कृतिनिष्ठ होने के कारण लोगों की जुबान पर आसानी से चल नहीं सकेगा ये सुनकर बाबू हंस दिए बोले यह गीत शतकों तक गाया जाता रहेगा हम सब भी वंदे मातरम को बहुत ही दिल से गाते हैं इसी तरह से आने वाले दिनों में कोविड-19 से बचने के उपाय हैं उनको हिस्ट्री में दर्ज कर आने वाली पीढ़ियों को सुनाया जाएगा जय हिंद जय भारत जय शिक्षा …..

लेख – मज़हर इक़बाल

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