अल्पसंख्यकों के लिए सरकारी योजनाओं पर जागरूकता संगोष्ठी: सालेम इंग्लिश स्कूल रायपुर में बढ़ाया सशक्तिकरण की ओर एक कदम
लोकशन – रायपुर
रिपोर्टर – मज़हर इक़बाल
रायपुर के सालेम इंग्लिश स्कूल में आयोजित एक खास जागरूकता संगोष्ठी ने अल्पसंख्यक समुदायों के बीच सरकारी कल्याणकारी और शैक्षिक योजनाओं के बारे में जानकारी फैलाने का काम किया है। चर्च ऑफ़ नॉर्थ इंडिया, छत्तीसगढ़ डायोसीज़ के तत्वावधान में हुए इस कार्यक्रम का उद्देश्य छात्रों और उनके परिवारों को सशक्त बनाना था ताकि वे इन योजनाओं का पूरा लाभ उठा सकें।
PM-VIKAS योजना पर विशेष जोर- इस संगोष्ठी में कई छात्रों, अभिभावकों और समुदाय के सदस्यों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। कार्यक्रम के मुख्य वक्ताओं, श्री अल्बर्ट कुजूर और श्रीमती शालिनी टोप्पो ने प्रधानमंत्री विरासत का संवर्धन (PM-VIKAS) योजना पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस योजना में कई उप-योजनाएं शामिल हैं, जैसे सीखो और कमाओ, नई रोशनी, नई मंजिल, उस्ताद और हमारी धरोहर। इन योजनाओं का मकसद सिर्फ रोज़गार के अवसर पैदा करना नहीं है, बल्कि पारंपरिक कलाओं और शिल्पों को बढ़ावा देकर सांस्कृतिक विरासत को भी बचाना है।
छात्रवृत्ति और वित्तीय सहायता की पूरी जानकारी- वक्ताओं ने प्री-मैट्रिक और पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति योजनाओं के बारे में भी महत्वपूर्ण जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 9वीं और 10वीं कक्षा के छात्रों को प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति के तहत ₹5,000/- तक की सहायता मिल सकती है। वहीं, स्नातक और स्नातकोत्तर छात्रों के लिए पोस्ट-मैट्रिक छात्रवृत्ति में ₹7,000/- तक और व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिए ₹10,000/- तक की वित्तीय सहायता उपलब्ध है। इस जानकारी से छात्रों को अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए प्रोत्साहन मिलेगा।
प्रमुख व्यक्तियों की उपस्थिति ने बढ़ाया कार्यक्रम का गौरव
इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम में चर्च ऑफ़ नॉर्थ इंडिया, छत्तीसगढ़ डायोसीज़ के बिशप सुषमा कुमार और सेक्रेटरी नितिन लॉरेंस भी मौजूद थे। सेलम स्कूल की प्रधानाचार्या, श्रीमती रुबिका लॉरेंस ने छात्रों को इन योजनाओं का लाभ उठाने के लिए प्रेरित किया। कार्यक्रम के आयोजकों ने कहा कि इस तरह की संगोष्ठियां भविष्य में भी नियमित रूप से आयोजित की जाएंगी ताकि समुदाय के लोग अपने और अपने परिवार के लिए एक उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित कर सकें।
यह जागरूकता संगोष्ठी अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को आत्मनिर्भर बनाने और उन्हें शिक्षा व आर्थिक रूप से सशक्त करने की दिशा में एक बड़ा और प्रभावी कदम साबित हुई है।
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