Bilashpur Chhattisgarh

सिम्स की बदहाली को छिपाते कलेक्टर की रिपोर्ट,हाई कोर्ट ने जताई नाराजगी

चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल की स्पेशल डिवीजन बेंच में सिम्स की अव्यवस्था को लेकर सुनवाई हुई

बिलासपुर। मंगलवार को अवकाश के दिन चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा व जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल की स्पेशल डिवीजन बेंच में सिम्स की अव्यवस्था को लेकर सुनवाई हुई। राज्य शासन की ओर से अतिरिक्त मुख्य सचिव स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग, ने मंगलवार को हाई कोर्ट के समक्ष हलफनामा दायर कर जानकारी दी। कलेक्टर बिलासपुर ने पेन ड्राइव के साथ विस्तृत रिपोर्ट सौंपी। रिपोर्ट देखकर कोर्ट ने नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि फोटोग्राफ्स और कलेक्टर की रिपोर्ट में अंतर है। ऐसे लगता है कि सिम्स की अव्यवस्था को लेकर कलेक्टर छिपाना चाहते हैं। नाराज कोर्ट ने तीन अधिवक्ताओं को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करते हुए जांच का निर्देश दिया है। गुरुवार और शुक्रवार को अक्टूबर को कोर्ट कमिश्नर सिम्स का निरीक्षण करेंगे व रिपोर्ट पेश करेंगे। डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई के लिए एक नवम्बर की तिथि तय कर दी है। कोर्ट ने जनहित याचिका को नियमित बेंच के समक्ष पेश करने का निर्देश रजिस्ट्रार जनरल को दिया है। चीफ जस्टिस रमेश सिंह व जस्टिस रविन्द्र अग्रवाल के डिवीजन बेंच में सुनवाई प्रारम्भ हुई। कोर्ट ने कहा कि राज्य शासन के रिपोर्ट से स्पष्ट है कि मेडिकल कॉलेज के लिए आवश्यक बुनियादी ढांचा उपलब्ध कराया गया है, हालांकि, अतिरिक्त मुख्य सचिव ने न्यायालय के समक्ष यह खुलासा नहीं किया है कि क्या छत्तीसगढ़ इंस्टीट्यूट आफ मेडिकल साइंसेज (सिम्स) बिलासपुर में बुनियादी ढांचा और मशीनरी व उपकरण उपलब्ध हैं। कोर्ट ने कहा कि कलेक्टर अवनीश शरण ने 23. अक्टूबर 2023 के कवरिंग मेमो के साथ एक रिपोर्ट पेश की है। कोर्ट ने कहा कि तस्वीरों को देखने से साफ है कि सिम्स में स्थापित शिकायत पेटी जंग लगी हालत में इमारत की एक जर्जर दीवार पर लटकी हुई थी। शिकायत पेटी कोई कोरी औपचारिकता नहीं है, बल्कि शिकायत पेटी में आम जनता से प्राप्त फीडबैक और शिकायतें संस्था को स्वयं सुधार, उन्नयन और सुधारात्मक उपाय करने में मदद करती हैं। कलेक्टर द्वारा पेश तस्वीरों को देखकर बहुत दुख और पीड़ा हुई है कि एक चिकित्सा संस्थान जो एक मेडिकल कॉलेज भी है, जहां हर दिन बड़ी संख्या में मरीज आते हैं, जो ज्यादातर वंचित होते हैं, सस्ती और बेहतर चिकित्सा सुविधाएं पाने की उम्मीद के साथ आते हैं । ऐसी दुखद स्थितियों से गुजरना पड़ता है और यह समझा जा सकता है कि सिम्स द्वारा प्रदान किए जा रहे उपचार की गुणवत्ता क्या होगी, जब माहौल, पूरा सामान और बुनियादी ढांचा खराब स्थिति में है।

कोर्ट की तल्ख टिप्पणी- डिवीजन बेंच ने कहा कि रिपोर्ट के साथ, एक पेन-ड्राइव में तस्वीरें भी प्रस्तुत की गई हैं। रिपोर्ट में जो प्रस्तुत किया गया है उससे एक अलग ही तस्वीर है। पूरे सिम्स की हालत बेहद खराब नजर आ रही है। कलेक्टर द्वारा सौंपी गई रिपोर्ट और पेन ड्राइव में उपलब्ध फोटो एक दूसरे से मेल नहीं खाते हैं. तस्वीरें बहुत कुछ कहती हैं।

कोर्ट कमिश्नर करेंगे सिम्स का निरीक्षण- डिवीजन बेंच ने तीन अधिवक्ताओं को कोर्ट कमिश्नर नियुक्त झरते हुए सिम्स का निरीक्षण करने कहा है। कोर्ट ने अधिवक्ता सूर्या कवलकर डांगी, संघर्ष पांडे और अपूर्वा त्रिपाठी को कोर्ट कमिश्नर के रूप में नियुक्त करते हुए 26 और 27 अक्टूबर को सिम्स का दौरा करने और अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने कहा है।

डिवीजन बेंच का निर्देश-
0 अतिरिक्त मुख्य सचिव, चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य व कोर्ट कमिश्नर 26 और 27 अक्टूबर, 2023 को सिम्स का दौरा करेंगे। तस्वीरों के साथ अपनी अलग-अलग विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।

00 महाधिवक्ता ने जानकारी दी है कि अतिरिक्त मुख्य सचिव रेनू जी पिल्ले उपलब्ध नहीं हैं क्योंकि वह छुट्टी पर हैं और एक नवंबर, 2023 को अपने कर्तव्यों को फिर से शुरू करेंगी। उनके स्थान पर पी. दयानंद, सचिव, चिकित्सा शिक्षा,को अगली तारीख से पहले उपरोक्त रिपोर्ट प्रस्तुत करना होगा। रोगियों को दिए जाने वाले भोजन की गुणवत्ता और रोगियों को दी जाने वाली दवाओं/दवाओं की गुणवत्ता के निरीक्षण जांच के लिए खाद्य सुरक्षा अधिकारी और औषधि निरीक्षक की सहायता भी ले सकते हैं।

00 कोर्ट द्वारा नियुक्त न्यायालय आयुक्तों को सभी सुविधाएं और सहायता प्रदान करना कलेक्टर बिलासपुर सुनिश्चित करेंगे।

00 अतिरिक्त मुख्य सचिव सचिव, चिकित्सा शिक्षा एवं स्वास्थ्य विभाग को प्रत्येक कोर्ट कमिश्नर को सिम्स के दौरे पर 10 हजार रुपये का मानदेय प्रदान किया गायेगा।

00 कोर्ट कमिश्नरों को 21 अक्टूबर 2023 के आदेश की प्रति के साथ संबंधित दस्तावेजों की एक प्रति तुरंत उपलब्ध कराए।

अस्पताल अधीक्षक पर फूटा गुस्सा – सिम्स की अव्यवस्था को लेकर कोर्ट का गुस्सा मेडिकल सुपरिन्टेन्डेन्ट पर फूटा। कोर्ट ने पूछा कब से सिम्स में पदस्थ हो। जैसे ही अधीक्षक ने 2004 से सिम्स में होना बताया, कोर्ट की नाराजगी सामने आ गई। कोर्ट ने कहा लंबे समय से काम करने के बाद भी इस तरह की अव्यवस्था क्यों है। पूछा कितने समय अस्पताल आते हो। अधीक्षक ने जवाब दिया सुबह नौ बजे। तो फिर ऐसी हालत क्यों है। आपको नही दिखता क्या इस तरह की गड़बड़ी। केवल पेपरवर्क किये और चल दिए।

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