गोधन न्याय योजना से मिल रहा महिलाओं को आर्थिक संबल
637 क्विंटल खरीदने की है योजना, अब तक 250 क्विंटल खाद खरीद कर 2 लाख 11 हजार 888 रुपए का किया भुगतान
जिले के ग्रामीण गौठानों में अब तक 1 लाख 55 हजार किलो खाद का हुआ निर्माण , 66 हजार 666 किलो खाद का हो चुका उठाव, 49 हजार 241 का उठाव शेष
गौठानों में निर्मित 4 हजार 161 कम्पोस्ट टैंकों में अगली खेप की तैयारी शुरू
दुर्ग 24 दिसंबर 2020/ ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के उददेश्य से राज्य शासन द्वारा शुरू की गई नरवा, गरुवा, घुरूवा, बाड़ी योजना के परिणाम सामने आने लगे है। इस योजना से स्व-सहायता समूह की महिलाओं को रोजगार मिल रहा है खाद बेचकर आमदनी भी होने लगी है।जिससे उन्हें आर्थिक संबल मिल रहा है।कल तक जो महिलाएं घर में खाली बैठी थीं या मजदूरी करती थीं आज खुद के लिए काम कर रही हैं।
साथ ही जैविक खेती का प्रचलन भी बढ़ रहा है। गांव की महिलाएं समूह बनाकर गौठानो में स्थापित वर्मी कम्पोस्ट और नाडेप टंकियो में आर्गेनिक खाद का निर्माण कर रही हैं। महिलाओं को उनकी मेहनत का मूल्य दिलाने के लिए उद्यानिकी विभाग द्वारा प्रयास भी किए जा रहे हैं। उपसंचालक उद्यानिकी श्री सुरेश ठाकुर ने बताया कि अब तक गौठानों से 250 क्विंटल खाद की खरीदी कर 2 लाख 11 हजार 880 रुपए का भुगतान किया गया है। उनकी योजना है कि गौठानों से 637 क्विंटल अगले एक दो माह में खरीदें। इसके बाद आने वाले दिनों में और खरीदी की जाएगी। उन्होंने बताया कि हमें हर साल अपनी नर्सरियों के लिए अच्छी गुणवत्ता के खाद की आवश्यकता होती ही है। स्व-सहायता समूह की हमारी बहनें गौठानों में खाद बना रही हैं। हमने उनको भी आर्थिक संबल देने के लिए उनके द्वारा बनाए गए वर्मी कम्पोस्ट खाद को क्रय करने का निर्णय लिया जिसमें हमें भी अपने नर्सरियों के लिए पौधे उत्पादन व विभिन्न योजनाओं में लगने वाले खाद की पूर्ति आसानी से हो जाएं और महिलाओं को भी प्रोत्साहन मिले की उनकी मेहनत खाली नहीं जाएगी। उद्यानिकी विभाग द्वारा अपने सभी ब्लॉक लेवल आफिसरों को यह कार्य भार दिया है, कि खुद जाकर खाद की उर्वरता व गुणवत्ता की परख कर खाद खरीदें। साथ ही किसानों को भी सब्जी, भाजी व फलों की खेती में वर्मी कम्पोस्ट खाद उपयोग की सलाह भी दें।
गौठानों में बने 1550 क्विंटल केंचुआ खाद की बिक्री से मिलेंगे 10 लाख 72 हजार 214 रुपए , महिला समूहों को होगा सीधा फायदा- जिला पंचायत से मिली जानकारी के मुताबिक अब तक जिले के ग्रामीण अंचलों में स्थित गौठानों में स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा लगभग 1 लाख 55 हजार किलोग्राम यानि 1550 क्विंटल केंचुआ खाद बनाया जा चुका है। जिसका मूल्य 10 लाख 72 हजार 214 रुपए निर्धारित किया गया है। जिसका सीधा फायदा खाद निर्माण में लगी महिलाओं को होगा। जनपद पंचायत दुर्ग में 50 हजार 150 किलोग्राम केंचुआ खाद बनाया गया है जिसका मूल्य है, 3 लाख 20 हजार 680 रुपए , जनपद पंचायत धमधा में 54 हजार 697 किलोग्राम वर्मी कम्पोस्ट खाद का निर्माण किया गया जिसका मूल्य 4 लाख 81 हजार 434 रुपए निर्धारित बकित गया है। इसी प्रकार जनपद पंचातय पाटन में कुल 50 हजार 230 किलोग्राम केंचुआ खाद निर्मित किया गया। जिसका मूल्य मुल्य 2 लाख 71 हजार है। जिले के ग्रामीण गौठानों में अब तक निर्मित 1 लाख 55 हजार किलो खाद में से 66 हजार 666 किलोग्राम खाद का उठाव हो चुका है और 49 हजार 241किलोग्राम का उठाव शेष है।
गौठानों में निर्मित 4 हजार 161 कम्पोस्ट टैंकों में अगली खेप की तैयारी शुरू, अगली खेप के लिए गौठानों में 4 हजार से अधिक टंकियां भरी गईं- राज्य शासन द्वारा जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए किए गए प्रयासों से वर्मी कम्पोस्ट खाद की मांग काफी बढ़ने लगी है इस लिहाज से आने वाले समय मे महिलाओं को और अधिक फायदा होगा। जैविक खेती का महत्त्व समझने लगे हैं इसलिए गांव में स्थित बाड़ियों में भी वर्मी कम्पोस्ट की अच्छी खपत हो रही है। जैविक खाद की मदद से पौष्टिक सब्जियां उगाई जा रही है। जिले के गौठानो में वर्मी कम्पोस्ट की 4161 टंकियां बन चुकी हैं। इन सभी वर्मी कम्पोस्ट से खाद निकालने के बाद दूसरे चरण का उत्पादन लेने की तैयारी शुरू हो गई है। अगली खेप के लिए टंकिया भरी जा चुकी है। डी-कंपोजर का इस्तेमाल कर टंकी भरने के बाद 45 सर 60 दिनों के अंदर खाद बनकर तैयार होगी। ये पूरा काम महिलाओं द्वारा किया जा रहा है । गौठानो में टंकी भरने से लेकर खाद की बिक्री का काम महिलाएं संभाल रही है। कृषि विभाग द्वारा आत्मा योजना के तहत पहले महिलाओ को केंचुआ खाद बनाने का निःशुल्क प्रशिक्षण दिया गया फिर धीरे-धीरे इन महिलाओं का आत्म विश्वास बढ़ा। किसान भाई भी अब गौठानों से खाद खरीद रहे हैं।
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