Chhattisgarh COVID-19

भूपेश बघेल ने एथनॉल के मुद्दे को लेकर प्रेस कांफ्रेंस की

पहले नकारा अब वाहवाही लूटने में लगे भाजपाई – मुख्यमंत्री भूपेश बघेल
भूपेश बघेल बोले- धान से एथनॉल बनाने की मंजूरी छत्तीसगढ़ सरकार के दबाव में केंद्र ने लिया, कीमत भी प्रदेश की पहल पर हुआ है तय

रायपुर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने एथनॉल के मुद्दे को लेकर प्रेस कांफ्रेंस की. इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में मंत्री रविन्द्र चौबे, अमरजीत भगत, प्रदीप शर्मा और शैलेश नितिन मौजूद थे। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा- मुख्यमंत्री ने जब से कार्यकाल की शुरुआत की, उन्होंने कहा था कि किसान की आय कैसे बढ़े। मुख्यमंत्री ने कहा था कि कुछ नया सोचो, वैज्ञानिक सोचो। अलग अलग चीजों पर चर्चा के बाद हम सबने एथनॉल पर रुके थे गन्ने और धान से एथेनाल बनाने के राज्य सरकार की योजना का परिहास करने और नये कृषि कानून पर केन्द्र की भाजपा सरकार को आड़े हाथों लेते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि डेढ़ साल पहले राज्य सरकार ने बचत धान के एथेनाल बनाने का प्रस्ताव दिया था, तब इसका विरोध किया गया और यहां तक कहा गया कि इस योजना के लिए भूपेश सरकार को नोबल पुरस्कार मिलना चाहिए। अब केन्द्र सरकार इस पर अमल कर रही है, तो विरोध करने वाले श्रेय लूटने के प्रयास में लगे हैं। नया कृषि कानून का लाभ वास्तव में केवल पंूजिपतियों को ही मिलेगा। उन्होंने कहा कि, ये उस वक़्त की बात है जब कहीं भी इथेनॉल की जानकारी इंटरनेट तक में नहीं थी। दुनिया मे चावल से एथनॉल बनाने की बिल्कुल नयी पद्धति थी, इस पर मुख्यमंत्री बने रहे। रविशंकर यूनिवरसिटी के लैब में टेस्टिंग कराई। हमारे लैब में 1 किलो चावल से 470 ग्राम एथनॉल उत्पादित किया गया। तब हमें लगा कि हमारी सोच सफल हो जयेंगी। उसके बाद टूटे चावल को पंजाब के लैब में भेजा गया। और कल वर्चुल मीटिंग में धर्मेंद्र प्रधान ने मुख्यमंत्री की सोच को स्वीकार करें। रवीन्द्र चौबे बोले- FCI के साथ छत्तीसगढ़ के खरीफ और रवि फसल को खरीदा जाए। धान का 2500 रुपए प्रति कविंटल में खरीदकर भुगतान करें। वरना सिर्फ और सिर्फ ये बात कहने की रह जायेगी। छत्तीसगढ़ के किसानो को लाभ देने की बात केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री ने कही है, लेकिन जब तक उचित मुलयबपर खरीफ और रवि फसल की खरीदी के लिए मेकनिजम डेवलप करें तभी किसनों को इसका लाभ मिल पायेगा। भूपेश बघेल ने कृषि कानून पर कहा- अभी कृषि कानून की बात पूरे देश में चल रही है। धान खरीदी की एजेंसी राज्य सरकार है। 24 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी FCI के जरिये हुई। शेष धान कहाँ जाएगा। 2019-20 में धान खरीदी को लेकर हमने कई बार पत्राचार किया, चार्टर प्लेन से जाकर कृषि मंत्री से अनुरोध किया कि धान खरीद लो, लेकिन वो टस से मस नहीं हुए। उन्होंने साफ कहा कि बोनस देंगे तो धान की खरीदी नहीं होगी। उन्होंने कहा- फ़रवरी 2020 में सर्किट हाउस में एथनॉल को लेकर कार्यशाला आयोजित की गई और ये तय हो गया कि धान से एथनॉल तैयार हो सकता है। तब हमने केंद्र को पत्र लिखा कि हमें एथनॉल बनाने की अनुमति मांगी, लेकिन उन्होंने उस वक़्त इसे अनुमति नहीं दी। अब जाकर केंद्र ने एथनॉल की अनुमति दी है। धान से एथनॉल बनाने के बाद उसकी कीमत अब जाकर 54 रुपये प्रति लीटर तय की गई हैं। इससे पहले धान से एथनॉल की कीमत तय नहीं थी। केंद्र ने शक्कर उत्पादन पर भी पांबन्दी लगाई थी, कि तय मात्रा से ज्यादा उत्पादन नहीं कर सकते तो इस पाबंदी के बाद हम शक्कर से भी एथनॉल बनाएंगे। राजीव भवन में उक्ताशय के विचार मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मंगलवार की दोपहर में पत्रकारों के साथ चर्चा करते हुए व्यक्त किए । उन्होने कहा कि हमने केंद्रीय राज्यमंत्री बालयान की चुनौती को स्वीकारा हमने धान खरीदने की मांग की लेकिन उन्होंने इंकार कर दिया। चावल की खरीदी के बाद बचा धान का क्या होगा ये सवाल अभी भी खड़ा है। कुल मिलाकर देखा जाए तो मोदी सरकार छत्तीसगढ़ के साथ सौतेला व्यवहार कर रही है। केंद्र पर हमला बोलते हुए सीएम ने कहा कि उन्होंने ये भी शर्त रखी कि अधिक मूल्य में धान खरीदेंगे तो वे नहीं खरीदेंगे। इसे देखते हुए हमने रिसर्च किया और धान से इथेनाल बनाने की अनुमति मांगी। इथेनाल का रेट नहीं था हमारे दबाव की वजह से रेट तय हुआ है। हम धान के अलावा अब गन्ने से भी इथनाल बनाएंगे।

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