इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने केंद्र सरकार के बयान पर नाराजगी जताते हुए कहा है कि अगर सरकार कोरोना संक्रमित होने वाले डॉक्टर और हेल्थ केयर वर्कर का डेटा नहीं रखती और यह आंकड़े नहीं रखती कि उनमें से कितनों ने अपनी जान इस वैश्विक महामारी के चलते कुर्बान की तो वह महामारी एक्ट 1897 और डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट लागू करने का नैतिक अधिकार खो देती है. इससे इस पाखंड का का भी पर्दाफाश होता है कि एक तरफ इनको कोरोना वॉरियर कहा जाता है और दूसरी तरफ इनके और इनके परिवार को शहीद का दर्जा और फायदे देने से मना किया जाता है. गौरतलब हो कि इससे पूर्व केन्द्र सरकार ने संसद में कहा था कि उसके पास कोरोना के चलते जान गंवाने वालों या इस वायरस से संक्रमित होने वाले डॉक्टरों व अन्य मेडिकल स्टाफ का डाटा नहीं है.
एसोसिएशन ने आगे कहा, बॉर्डर पर लड़ने वाले हमारे बहादुर सैनिक अपनी जान खतरे में डालकर दुश्मन से लड़ते हैं लेकिन कोई भी गोली अपने घर नहीं लाता और अपने परिवार के साथ साझा करता, लेकिन डॉक्टर्स और हेल्थ केयर वर्कर राष्ट्रीय कर्तव्य का पालन करते हुए ना सिर्फ खुद संक्रमित होते हैं बल्कि अपने घर लाकर परिवार और बच्चों को देते हैं. एसोसिएशन आगे कहती है, केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चैबे ने कहा कि पब्लिक हेल्थ और हॉस्पिटल राज्यों के तहत आते हैं इसलिए इंश्योरेंस कंपनसेशन का डाटा केंद्र सरकार के पास नहीं है. यह कर्तव्य का त्याग और राष्ट्रीय नायकों का अपमान है जो अपने लोगों के साथ खड़े रहे. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने उन 382 डॉक्टर की लिस्ट जारी की जिनकी जान कोरोना के चलते गई।
Add Comment