तरुण कौशिक, कार्यकारी संपादक, डिसेंट रायपुर अखबार
रायपुर/ छत्तीसगढ़ राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री आदरणीय स्वर्गीय अजीत प्रमोद कुमार जोगी जी को सादर श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए बिलासपुर जिले के बिल्हा विधानसभा क्षेत्र के नगर पंचायत बोदरी के पूर्व अध्यक्ष जगदीश कौशिक का यह लेख प्रस्तुत हैं :- छत्तीसगढ़ ही नहीं अपितु भारतीय राजनीति का कोई भी जानकार इस बात से इंकार नहीं कर सकता कि स्वर्गीय अजीत जोगी अदम्य इच्छा शक्ति, राजनीतिक कौशल, श्रोता सम्मोहन विद्या और सशक्त करिश्माई नेतृत्व क्षमता के धनी थे। श्री जोगी तकनीकी विज्ञान, इतिहास, समाजशास्त्र, राजनीति के साथ ही अनेक विधाओं के ज्ञाता रहे हैं ; स्वर्ण कण जन एवं मोर मांदर के थाप जैसी कृतियाँ उन्हें साहित्यकार के रत्न से सुशोभित करता हैं। उन्हें प्रशासन के साथ ही राजनीति का भी काफी लंबा अनुभव रहा है । राजनीतिक क्षितिज पर उदय, दैदीप्यमान और पराभव के कालचक्र में अजीत जोगी ने भी सफर किया । काँग्रेस पार्टी के बाद जनता काँग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) की स्थापना करना पराभव के विरूद्ध उनके कठिन संघर्ष की कहानी हैं। जिस छत्तीसगढ़ क्षेत्र में आज तक भाजपा, काँग्रेस को छोड़कर किसी तीसरे दल ने कोई प्रभावशाली उपस्थिती दर्ज नहीं करा पाई , उस राज्य में अजीत जोगी ने पहले ही आम चुनाव में 5 सीटें हासिल कर अपने नेतृत्व का लोहा मनवाया। अब अजीत जोगी नहीं रहे। उनकी यादें, उनका व्यक्तित्व और कृतित्व की छाप हमारे बीच कालांतर तक बनी रहेगी। अजीत जोगी की अंतिम यात्रा में शामिल होकर गौरेला से शाम रात को वापस आते समय मेरे मन में विचार आया कि अब जनता काँग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) का क्या होगा ? सहसा मेरा ध्यान छत्तीसगढ़ की राजनीति के अतीत की ओर चला गया । अतीत के विहंगावलोकन में मैंने पाया कि भाजपा और काँग्रेस से ईतर जितने भी स्थानीय राजनीतिक दलों का उदय हुआ, वे या तो किसी दल में विलीन हो गए या फिर पराभव को प्राप्त हो समाप्त हो गए ; कुछ दल ऐसे भी हुए हैं जो ना तो जिंदा हैं और ना ही मरने को तैयार है , यानी केवल वजूद के लिए सतत संघर्ष । जनता काँग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के मौजूदा नेतृत्व संकट को देखते देखते मैंने दूसरा अजीत जोगी तलाशना शुरू कर दिया । श्रीमती जोगी मैडम, धरमजीत सिंह, अमित जोगी……….. जितने भी नाम और चेहरे दिखें उनमें आदरणीय अजीत जोगी जी का दशमांश भी नहीं मिल पाया। मेरा इरादा इन नेताओं के कद को छोटा करना या इनका निरादर करना कतई नहीं है अपितु इन सभी का मैं सम्मान करता हूँ ; परन्तु श्री अजीत जोगी के व्यक्तित्व की जो सच्चाई हैं उन गुणों एवं क्षमताओं को मै अंशमात्र भी कम करने के लिए तैयार नहीं हूँ । मैं इस बात को भी कहने से परहेज नहीं करूंगा कि जनता काँग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) की स्थापना की आवश्यकता के मूल में अजीत जोगी का स्वयं के नायकत्व या बादशाहत को बरकरार रखने का राजहठ ही था । वरना काँग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी में उदारवाद का अपना एक अलग महत्व होता हैं । यहीं पर अजीत जोगी का विवेक राजहठ से हार गया और जिस काँग्रेस ने आपको विधानसभा, लोकसभा, राज्यसभा, राष्ट्रीय प्रवक्ता, मुख्यमंत्री सब कुछ दिया ; आपकी पत्नी को विधानसभा, लोकसभा में तथा पुत्र को विधानसभा में अवसर दिया उसे ही मिटाने का संकल्प लें लिया । खैर, मौजूदा प्रश्न तो जनता काँग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) के भविष्य के सफर का हैं ? इतिहास में नायकों की राजनीतिक कहानियां भरी पड़ी हैं परंतु नायकों की तश्वीर और यादों के सहारे सफल राजनीति की कहानियां बिरले हैं। जकाँछ (जे) अब आगे अजीत जोगी के किन किन विचारों, व्यक्तित्व और कृतित्व को अपनी प्रेरणा का रूप देगी क्योंकि उनके सारे विचार, व्यक्तित्व और कृतित्व तो काँग्रेस पार्टी के खाते का हैं। नये एकाउंट में ऐसा कुछ भी नहीं हैं जिसका जनता ऑडिट कर सके। कुल मिलाकर जकाँछ (जे) का भविष्य (1) भाजपा , काँग्रेस या मृत्युशैय्या पर पड़ी बसपा में विलय (2) पराभव होकर समय के साथ समाप्त हो जाना , या फिर (3) गोंडवाना गणतंत्र पार्टी की तरह केवल लड़ते रहो अर्थात् ना जिंदा और ना ही मरने को तैयार यानी वजूद के लिए सतत संघर्ष । हम अपनी बात को मजबूती के साथ पुनः कहना चाहते हैं कि श्री अजीत जोगी जी की करिश्माई नेतृत्व का कोई भी विकल्प जनता काँग्रेस छत्तीसगढ़ जे के पास नहीं हैं। अब रही बात इस दल के भविष्य का तो हम कोई राजनीतिक भविष्यवक्ता नहीं हैं लेकिन उपरोक्त तीनों संभावनाओं के अलावा और कोई रास्ता कतई नहीं हैं ।
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