डॉक्टर ममता साहू ,अध्यक्ष , राष्ट्रीय महिला साहू समाज
उपाध्यक्ष , पूर्व छत्तीसगढ़ प्रदेश भाजपा महिला मोर्चा
कांग्रेस ने अपने घोषणा पत्र में किसानों को 2500 क्विंटल देने की बात कही थी। लोकसभा चुनाव में श्री भूपेश बघेल जी ने किसानों से वादा किया था कि चुनाव के तत्काल बाद जो अंतर राशि है ,वह तुरंत मिल जाएगा,परंतु अभी किसानों को ठेंगा ही दिखाया गया और अब राजीव गांधी किसान न्याय योजना लागू करके 4 किश्तों में देने की बात किसानों के साथ छलावा है। सरकार यह ढोंग बन्द करे।सिर्फ हाइकमान को खुश करने के लिए योजना का नाम रखा गया है।इसका मतलब आप किसान के साथ आप अनयाय कर रहे थे।कोरोना जेसी विपदा के समय यह ढोंग करना अच्छा नही है। आज़ादी के बाद से ही देश-प्रदेश में कांग्रेस की सरकारें राज करते रहीं है,तो क्या आज छत्तीसगढ़ कांग्रेस नें अपनी ही पूर्व सरकारों को आईना दिखा दिया..? यानि पूर्व के कांग्रेसी प्रधानमंत्रियों नें “घोर अन्याय” किया है इसलिए छत्तीसगढ़ कांग्रेस को “राजीव किसान न्याय योजना” लागू कर पुराने पाप धोने का आडंबर करना पड़ा..?
लेकिन यह कैसा न्याय है और किस पर न्याय का उपकार है.. क्या घोषणा पत्र में किये गए वादे को आंशिक पूरा करना न्याय है..? “ये न्याय नहीं अन्याय है…”
किसान को जो पैसा “एक किश्त” में धान खरीदी के साथ दे देना था उसे 4 किश्तों में “देने का ऐलान” को कुछ भी कहें लेकिन ये न्याय तो नहीं हो सकता..!
न्याय-न्याय तो बहुत चिल्ला रहे लेकिन क्या किसानों को “ऋण माफी” में न्याय दे पाए..? धान ख़रीदी में कभी रकबा कम किया,कभी “80क्विंटल” की बंदिश लगाई तो कभी “बारदाने” का बहाना बनाया…क्या ये भी न्याय है..?धान को खरीद नही रहे है।
“बिजली बिल हाफ” का नारा दे कर “पूरा बिल” भेज दिया गया..क्या ये भी न्याय है..?
गंगा जल की कसम खाकर शराबबंदी की बात करने वाले न्याय की बात कर रहे है।
बात तो और भी दूर तलक जा सकती है लेकिन आज किसान को ढाल बना के अपने नाम-चेहरे की ब्रांडिंग की गई है इसलिए हमने बात केवल “अन्नदाता किसान” तक सीमित रखी…बाकी तो छत्तीसगढ़ का युवा, बेरोजगार, बुजुर्ग, महिलाएं व संविदा कर्मचारी भी बाट जोह रहें हैं कि..” भले न्याय मिले न मिले,बस घोषणा पत्र लागू हो जाता..”अन्नदाता किसानों के साथ छलावा बर्दास्त नही करेंगे।
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