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संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की उच्चायुक्त मिशेल बैश्लेट ने मुस्लिमों पर हमले के दौरान ‘पुलिस की निष्क्रियता’ और ‘गंभीर चिंता’ जाहिर की

संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की उच्चायुक्त मिशेल बैश्लेट ने मुस्लिमों पर हमले के दौरान ‘पुलिस की निष्क्रियता’ और ‘गंभीर चिंता’ जाहिर की हैं। राकांपा ने गुरुवार को आरोप लगाया कि दिल्ली में ‘‘गुजरात मॉडल’’ की पुनरावृत्ति की गई है जहां सीएए को लेकर बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक हिंसा हुई। पार्टी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से इस्तीफा भी मांगा है।दिल्ली में कानून-व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी केंद्रीय गृह मंत्रालय की है। महाराष्ट्र के मंत्री और राकांपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता नवाब मलिक ने जांच की मांग की कि क्या गृह मंत्री राष्ट्रीय राजधानी में स्थिति को संभाल नहीं पाए या उन्होंने कथित तौर पर पुलिस को निर्देश दिए थे कि त्वरित प्रतिक्रिया नहीं दे। विपक्षी दलों ने पुलिस पर आरोप लगाया है कि राष्ट्रीय राजधानी में दंगों के दौरान वह मूकदर्शक बनी रही जहां दंगों में मरने वालों की संख्या 34 हो गई है। कांग्रेस शाह का इस्तीफा पहले ही मांग चुकी है। मलिक ने कहा कि दिल्ली में गुजरात मॉडल की पुनरावृत्ति हुई है। उनका इशारा संभवत: 2002 के गुजरात दंगों की ओर था।
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) विरोधी और समर्थक समूहों के बीच हुई हिंसा और साम्प्रदायिक झड़पों पर संयुक्त राष्ट्र ने चिंता जाहिर की है। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग की उच्चायुक्त मिशेल बैश्लेट ने मुस्लिमों पर हमले के दौरान ‘पुलिस की निष्क्रियता’ और ‘गंभीर चिंता’ जाहिर की है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारतीय राजनेताओं को ऐसी हिंसा को रोकना चाहिए। सीएए पर बाचेलेट ने कहा कि अलग-अलग समुदाय से ताल्लुक रखने वाले भारतीयों ने बड़ी संख्या में सीएए पर शांतिपूर्ण तरीके से अपनी प्रतिक्रियाएं दी हैं।
उन्होंने कहा ‘मैं एक अन्य समुदाय द्वारा मुस्लिमों पर हुए हमलों और शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करने वाले लोगों पर सुरक्षाबलों की कार्रवाई से चिंतित हूं। यह अब सांप्रदायिक हमलों में तब्दील हो गया है जिसमें अबतक 34 लोगों की मौत हो गई है। मैं सभी नेताओं से अपील करना चाहती हूं कि वे हिंसा को रोकें। स्थिति अब काफी गंभीर हो गई है और रविवार से 34 लोग मारे जा चुके हैं।’ जिनेवा में विश्वभर में मानवाधिकार घटनाक्रमों पर चल रहे संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद के 43वें सत्र में उन्होंने यह बातें कही।
वहीं संयुक्त राष्ट्र के महासचिव एंटोनियो गुटेरस दिल्ली पर नजर बनाए हुए हैं। गुटेरस के प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक ने अपनी डेली ब्रीफिंग में एक सवाल के जवाब में कहा कि ‘लोगों को शांतिपूर्वक प्रदर्शन करने की अनुमति दी जानी चाहिए और सुरक्षा बलों को संयम बरतना चाहिए। यह महासचिव का हमेशा से रुख रहा है। हम स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं।’ उल्लेखनीय है कि संशोधित नागरिकता कानून को लेकर उत्तर-पूर्वी दिल्ली के विभिन्न हिस्से में रविवार को हिंसा भड़क उठी जिसमें अभी तक 34 लोगों की मौत हो चुकी है और 200 से अधिक लोग घायल हुए हैं।

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