Chhattisgarh State

गणतंत्र की सफलता जनता की भागीदारी और उनके सपनों को पूरा करने में: भूपेश बघेल

गणतंत्र दिवस पर मुख्यमंत्री की तीन बड़ी घोषणाएं : आगामी शिक्षा सत्र से प्राथमिक शालाओं में छत्तीसगढ़ी, गोंडी , हल्बी, भतरी, सरगुजिया, कोरवा, पांडो, कुडुख, कमारी में भी होगी पढ़ाई की व्यवस्था

स्कूलों में किया जाएगा संविधान की प्रस्तावना का वाचन

छत्तीसगढ़ की महान विभूतियों की जीवनी पर परिचर्चा जैसे आयोजन होंगे स्कूलों में

मुख्यमंत्री ने जगदलपुर में ध्वजारोहण कर ली परेड की सलामी

रायपुर,26 जनवरी 2020/

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने बस्तर संभाग के मुख्यालय जगदलपुर के लालबाग परेड मैदान में आयोजित गणतंत्र दिवस के मुख्य समारोह में ध्वजारोहण कर परेड की सलामी ली। इस अवसर पर उन्होंने जनता के नाम अपने संदेश में कहा कि गणतंत्र की सफलता की कसौटी जनता से सीखकर, उनकी भागीदारी से, उनके सपनों को पूरा करने में है। बघेल ने प्रदेशवासियों को देश के 71वें गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि छत्तीसगढ़ की माटी और छत्तीसगढ़ की जनता से बड़ी कोई पाठशाला नहीं है। मैं जितनी बार बस्तर आता हूं, सरगुजा जाता हूं या गांव-गांव का दौरा करता हूं तो हर बार मुझे कोई नई सीख जरूर मिलती है। लोहण्डीगुड़ा ने हमें आदर्श पुनर्वास कानून के पालन की सीख दी तो आदवासियों की जमीन वापसी से छत्तीसगढ़ सरकार को अपार यश मिला। कुपोषण मुक्ति के लिए नवाचार और दृढ़संकल्प की शुरूआत दंतेवाड़ा से हुई। बीजापुर ने दूरस्थ अंचलों में स्वास्थ्य सुविधा पहुंचाने का प्रण दिया। सुकमा तथा बस्तर जिले में फूडपार्क, कोण्डागांव में मक्का प्रोसेसिंग इकाइयां लगाने का जज्बा दिया।
मुख्यमंत्री ने छत्तीसगढ़ी में सम्बोधन की शुरूआत करते हुए कहा कि जम्मो संगी-जहुंरिया, सियान-जवान, दाई-बहिनी अऊ लइका मन ला जय जोहार, 71वें गणतंत्र दिवस के पावन बेरा म आप जम्मो मन ल बधाई अउ सुभकामना देवत हंव।

मुख्यमंत्री ने की तीन बड़ी घोषणाएं

मुख्यमंत्री ने कहा कि आज गणतंत्र दिवस के अवसर पर मैं नई पीढ़ी को जागरूक और सशक्त बनाने के संबंध में तीन नई घोषणाएं करता हूं। जब केन्द्र में यूपीए सरकार थी तब ’शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009’ में प्रावधान किया गया था कि बच्चों को यथासंभव उनकी मातृभाषा में पढ़ाया जाये। विडंबना है कि राज्य में अभी तक इस दिशा मंे ठोस पहल नहीं की गई। आगामी शिक्षा सत्र से प्रदेश की प्राथमिक शालाओं में स्थानीय बोली-भाषाओं छत्तीसगढ़ी, गोंडी, हल्बी, भतरी, सरगुजिया, कोरवा, पांडो, कुडुख, कमारी आदि में पढ़ाई की व्यवस्था की जाएगी। सभी स्कूली बच्चों को संविधान के प्रावधानों से परिचित कराने के लिए प्रार्थना के समय संविधान की प्रस्तावना का वाचन, उस पर चर्चा जैसे कार्यक्रम आयोजित किए जायेंगे। छत्तीसगढ़ की महान विभूतियों की जीवनी पर परिचर्चा जैसे आयोजन किए जाएंगे।

छत्तीसगढ़ भी बना देश के महान क्रांतिकारियों की परंपरा का हिस्सा

श्री बघेल ने कहा कि मुझे यह कहते हुए बहुत गर्व का अनुभव होता है कि बस्तर के हमारे अमर शहीद गैंदसिंह और उनके साथियों ने सन् 1857 की पहली क्रांति के ज्ञात-इतिहास से बहुत पहले परलकोट विद्रोह के जरिये गुलामी के खिलाफ जो अलख जगाई थी, वह भूमकाल विद्रोह के नायक वीर गुण्डाधूर और शहीद वीरनारायण सिंह के हाथों में पहुँचकर मशाल बन गई। मैं यह सोचकर भी बहुत रोमांचित हो जाता हूँ कि अमर शहीद मंगल पाण्डे, भगत सिंह, चन्द्रशेखर आजाद, रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खां, रानी लक्ष्मी बाई जैसे क्रांतिकारियों की पावन परंपरा का हिस्सा छŸाीसगढ़ भी बना था।

मुख्यमंत्री ने महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को नमन किया

मुख्यमंत्री ने देश के महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को नमन करते हुए कहा कि हमारा छत्तीसगढ़, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, पं. जवाहर लाल नेहरू, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद, लाल बहादुर शास्त्री, नेताजी सुभाषचंद्र बोस, सरदार वल्लभ भाई पटेल, मौलाना अबुल कलाम आजाद, बाबा साहब डॉ. भीमराव अम्बेडकर जैसी विभूतियों के पद-चिन्हों पर चला। पं. रविशंकर शुक्ल, ठाकुर प्यारेलाल सिंह, डॉ. खूबचंद बघेल, पं. संुदरलाल शर्मा, बैरिस्टर छेदीलाल, यतियतन लाल, डॉ. राधाबाई, पं. वामनराव लाखे, महंत लक्ष्मीनारायण दास, अनंतराम बर्छिहा, मौलाना अब्दुल रऊफ खान, हनुमान सिंह, रोहिणी बाई परगनिहा, केकती बाई बघेल, बेला बाई के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ राष्ट्रीय चेतना से जुड़ा। मैं सभी को नमन करता हूं।

भारतीय संविधान की गौरवगाथा को किया याद

बघेल ने कहा कि भारतीय संविधान निर्माण की गौरवगाथा को याद करने का है और यह संकल्प लेने का भी, कि हम सब भारतवासी अपने संविधान की रक्षा करने के लिए सदैव तत्पर रहेंगे। संविधान निर्माता डॉ. अम्बेडकर ने कहा था-यह तथ्य मुझे व्यथित करता है कि भारत ने पहले भी एक बार स्वतंत्रता खोई है। यदि राजनीतिक दल अपने पंथ को देश के ऊपर रखेंगे तो हमारी स्वतंत्रता एक बार फिर खतरे में पड़ जाएगी और संभवतया हमेशा के लिए समाप्त हो जाए। हम सभी को इस संभाव्य घटना का दृढ़निश्चय के साथ प्रतिकार करना चाहिए। हमें खून के आखिरी कतरे तक, अपनी आजादी की रक्षा करने का संकल्प करना चाहिए। हमें अपने सामाजिक और आर्थिक लक्ष्यों कोे प्राप्त करने के लिए निष्ठापूर्वक संवैधानिक उपायों का ही सहारा लेना चाहिए। आज के दिन हमें याद करना चाहिए कि भारतीय संविधान की प्रस्तावना ’’हम भारत के लोग’’ के उद्घोष के साथ शुरू होती है। जिसमें न्याय, समता, बंधुता, व्यक्ति की गरिमा, विचार-अभिव्यक्ति-विश्वास-धर्म और उपासना की स्वतंत्रता जैसे शब्द मील के पत्थर की तरह हमें रास्ता दिखाते हैं। आज का दिन यह रेखांकित करने का भी है कि पंडित जवाहर लाल नेहरू ने साम्प्रदायिकता को अपने समय की सबसे खतरनाक प्रवृत्ति के रूप में चिन्हित किया था, इसलिए उन्हांेने धर्मनिरपेक्ष समाज और धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र की मजबूत नींव डालने के लिए धर्मनिरपेक्ष संविधान पर जोर दिया था। वहीं देश के नियोजित विकास का आधारभूत ढांचा खड़ा किया था, जो भारत की योजनाबद्ध तरक्की का आधार बना। सात दशकों में भारत ने विकास की जो ऊंचाइयां हासिल की हैं, उसका सबसे बड़ा कारण हमारे संविधान की वह शक्ति है, जो तमाम विविधताओं के बीच भारत को सम्पूर्ण प्रभुत्व-सम्पन्न समाजवादी, पंथ निरपेक्ष, लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाती है।

रचनात्मक सोच से मिली छत्तीसगढ़ को देश और दुनिया में खास पहचान

मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि देश के ताजा हालात किसी से छिपे नहीं हैं। तमाम प्रतिगामी ताकतों और हरकतों के बीच छत्तीसगढ़ एक बार फिर यह साबित करने में सफल हुआ है कि हमें जोड़ना आता है, हमें रचना आता है, हमें बनाना आता है। तोड़ने-फोड़ने-बिगाड़ने में प्रदेश की जनता का कभी कोई विश्वास नहीं था। रचनात्मक सोच और कार्य ही हमारा रास्ता बनाते रहे हैं। इसके लिए मैं छत्तीसगढ़ की जनता का, आप सबका, तहे-दिल से शुक्रिया अदा करता हूं। आप लोगों की इसी विशेषता की वजह से छत्तीसगढ़ को देश और दुनिया में खास पहचान मिली है।

उत्कृष्ट उपलब्धियों के लिए राष्ट्रीय पुरस्कारों से छत्तीसगढ़ हुआ सम्मानित

राष्ट्रीय कृषि कर्मण पुरस्कार, राष्ट्रीय आजीविका मिशन के अंतर्गत 5 पुरस्कार, प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के अंतर्गत 9 पुरस्कार, महात्मा गांधी नरेगा योजना के अंतर्गत 7 पुरस्कार, राष्ट्रीय पंचायत अवार्ड के तहत 11 जिलों तथा एक-एक जनपद और ग्राम पंचायतों को मिले पुरस्कार यह साबित करते हैं कि हमारे किसानों और ग्रामीण भाई-बहनों की प्रतिभा राष्ट्रीय स्तर पर अपना लोहा मनवाने की काबीलियत रखती है। नीति आयोग द्वारा देश के 115 आकांक्षी जिलों की जो रैंकिंग जारी की गई है, उसमें सुकमा जिला पहले स्थान पर है। इसी प्रकार स्वच्छता सर्वेक्षण में भी छत्तीसगढ़ का प्रदर्शन उत्कृष्ट रहा है, ये सारे पुरस्कार और सम्मान आप लोगों को समर्पित हैं।

प्रदेश में गठित हुई 704 नई ग्राम पंचायतें

बघेल ने कहा कि हमने जनता से मिले अधिकार, जनता को ही सौंपने की दिशा में अनेक निर्णय लिए हैं। बड़ी पंचायतों के परिसीमन से 704 नई पंचायतें गठित हुई जिनमें से 496 अनुसूचित क्षेत्रों में है। हमने पेसा क्षेत्रों को अधिकार और विकास की नई रोशनी देने के लिए उच्चस्तरीय समिति का गठन किया है। ग्राम पंचायतों से विकेन्द्रीकरण की शुरूआत की है, तो नए जिले ‘गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही’ के गठन का निर्णय भी लिया गया। हम पंचायतों को सशक्त बनाने के लिए जनभागीदारी बढ़ाने और संस्थाओं के सशक्तिकरण का काम तेजी से कर रहे है। छत्तीसगढ़ पंचायत अधिनियम, 1993 में संशोधन करके उम्मीदवारों की न्यूनतम योग्यता में कक्षा का मापदण्ड हटाकर ‘साक्षर’ कर दिया है। इसी प्रकार चुनकर न आने की स्थिति में निःशक्तजनों को नामांकित करने का प्रावधान किया गया है।

राज्य के संसाधन जनता की बेहतरी के लिए

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमने राज्य के संसाधनों का इस्तेमाल राज्य की जनता की बेहतरी के लिए करने का जो संकल्प लिया है, उससे हमारी प्राथमिकताएं तय हो गई हैं। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि हमने डीएमएफ के सदुपयोग के लिए नियमों में जो संशोधन किए उसके परिणाम मिलने लगे हैं। स्कूल-कॉलेजों में शिक्षक, अस्पतालों में डॉक्टर, बच्चों को फीस में छूट, कोचिंग और आवासीय प्रशिक्षण की सुविधा, स्वास्थ्य, पेयजल जैसी अनेक सुविधाओं से खनन प्रभावित अंचलों में नवजीवन का संचार हो रहा है। आदिवासी अंचलों में युवाओं को उनकी योग्यता के अनुसार नौकरी तथा अन्य रोजगार के अवसर मिले हैं। दंतेवाड़ा जिले में हाट बाजार क्लीनिक, ‘मेहरार-चो-मान’, कबीरधाम जिले में ‘शाला संगवारी’ दुर्ग जिले में ‘हेल्थ कूरियर वालंटियर (रनर्स) बस्तर में सुपोषण के नए आयामों से जनहित के जमीनी कार्यों को नई सोच नई दिशा, नई गति मिली है। किसानों, ग्रामीणों, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, महिलाओं, युवाओं सहित हर तबके को बेहतर अवसर और भागीदारी देने के लिए हमने विशिष्ट योजनाएं बनाई, जिसके कारण प्रदेश में नये उत्साह का संचार हुआ है।

दंतेवाड़ा से प्रारंभ हुआ गरीबी उन्मूलन के विशेष अभियान

बघेल ने कहा कि समयबद्ध परिणाममूलक योजनाएं और कार्यक्रम बनाए बिना, हम अपने लक्ष्यों को हासिल नहीं कर सकते, इसलिए हमने एक व्यापक कार्य योजना के साथ प्रदेश के सबसे पिछड़े अंचल को सबसे पहले गरीबी और उसके प्रभावों से उबारने का संकल्प लिया है। भारतीय रिजर्व बैंक एवं वर्ल्ड बैंक के अनुमानों के अनुसार बस्तर के जिलों में बी.पी.एल. परिवारों का प्रतिशत 50 से 60 के बीच है, जबकि देश में बी.पी.एल. परिवारों का औसत लगभग 22 प्रतिशत है। विगत दशकों में देश में गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले परिवारों की संख्या में कमी हुई है, लेकिन आदिवासी क्षेत्रों की मूलभूत समस्याओं का निदान नहीं हुआ। दंतेवाड़ा जिले में लगभग 57 प्रतिशत परिवार गरीबी रेखा के नीचे हैं, जो आर्थिक-सामाजिक सूचकांक में भी सबसे नीचे हैं। हमने यह लक्ष्य निर्धारित किया है कि आगामी चार सालों में दंतेवाड़ा जिले में गरीबी उन्मूलन हेतु विशेष अभियान चलाकर वहां रहने वाले बी.पी.एल. परिवारों की संख्या राष्ट्रीय औसत से कम अर्थात 22 प्रतिशत से कम की जाए। आगामी वर्ष इस कार्ययोजना का विस्तार दो अन्य जिलों में किया जाएगा, जहां बी.पी.एल. परिवारों का प्रतिशत सर्वाधिक है। इसके साथ ही हमने युद्ध स्तर पर अनेक राज्य स्तरीय योजनाएं, कार्यक्रम और अभियान शुरू किए हैं, जिसकी प्रगति उत्साहजनक है।

निर्दोष आदिवासी परिवारों को मिलेगी आपराधिक प्रकरणों की त्रासदी से मुक्ति

मुख्यमंत्री ने कहा कि बस्तर के निर्दोष आदिवासी परिवारों को आपराधिक प्रकरणों की त्रासदी से मुक्त कराने के लिए गठित जस्टिस ए.के. पटनायक समिति की सिफारिश के आधार पर पहले चरण में 313 लोगों की मुक्ति का मार्ग प्रशस्त हुआ है, जो उनके लिए बहुत बड़ी आर्थिक और सामाजिक राहत भी है। आगे भी यह समिति सैकड़ों लोगों को न्याय दिलाएगी। उन्होंने कहा कि ‘अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम-2006’ के तहत निरस्त दावों की समीक्षा से हजारों परिवारों में नई उम्मीद जागी है। वहीं सामुदायिक वन अधिकारों के तहत स्थानीय लोगों को न्याय दिलाने की शुरूआत भी हमने की है। कोण्डागांव और धमतरी जिले के जबर्रा में हजारों एकड़ जमीन के सामुदायिक अधिकार पत्र देने से संबंधित गांवों में विकास की नई क्रांति हो रही है। इतना ही नहीं सर्वे तक को मोहताज रखे गये, अबुझमाड़ क्षेत्र के निवासियों को वन अधिकार पत्र देने की विशेष पहल की जा रही है। हमने तेंदूपत्ता संग्रहण पारिश्रमिक दर 2500 रू. प्रति मानक बोरा से बढ़ाकर 4000 हजार रू. प्रति मानक बोरा की है, जिसके कारण विगत वर्ष 15 लाख से अधिक परिवारों को 602 करोड़ रूपए का भुगतान हुआ। अब न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी जाने वाली लघु वनोपजों की संख्या 8 से बढ़ाकर 22 कर दी है। एक हजार से अधिक हाट-बाजारों पर संग्रहण केंद्र तथा वन-धन-विकास केंद्र की स्थापना की गई है। 50 हजार आदिवासी महिलाओं को इन केन्द्रों से जोड़ा गया है। नई औद्योगिक नीति में कृषि व उद्यानिकी को भी स्थान दिया गया है। इसके अलावा स्थानीय संसाधनों से स्थानीय विकास और स्थानीय लोगों को रोजगार देने के लिए आकर्षक प्रावधान किए गए हैं।

नई पीढ़ी को शिक्षा और रोजगार से जोड़ने की पहल

मुख्यमंत्री ने कहा कि नई पीढ़ी को अच्छी शिक्षा से लेकर रोजगार दिलाने तक का का काम सामूहिक जिम्मेदारी का है। अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के प्री-मैट्रिक छात्रावास, आवासीय विद्यालयों आश्रमों में निवासरत विद्यार्थियों की शिष्यवृत्ति बढ़ाकर 1000 रूपए प्रतिमाह करना, मैट्रिकोत्तर छात्रावासों के विद्यार्थियों की भोजन सहायता की राशि बढ़ाकर 700 रूपए प्रतिमाह करना, जाति प्रमाण पत्र जारी करने की सरल व्यवस्था, 17 नये एकलव्य आदर्श आवासीय विद्यालय शुरू करना इसके कुछ उदाहरण है। हम दो दशकों के इतिहास में पहली बार लगभग 15 हजार स्थाई शिक्षक-शिक्षिकाआंे की भर्ती कर रहे हैं, जिससे 7 हजार से अधिक शिक्षक-शिक्षिकाएं आदिवासी अंचलों की शालाओं को मिलंेगे। उच्च शिक्षा को सुविधाजनक और गुणवत्तायुक्त बनाने के लिए प्रदेश में 10 आदर्श महाविद्यालयों की स्थापना, 54 महाविद्यालयों में अधोसंरचना विकास हेतु आर्थिक सहायता दी गई है, वहीं दूसरी ओर सहायक प्राध्यापक, ग्रंथपाल, क्रीड़ा अधिकारी के लगभग 1500 पदों पर भर्ती की जा रही है। 34 सरकारी कॉलेजों में लगभग 4 हजार तथा 56 अशासकीय कॉलेजों में 6 हजार सीटें बढ़ाई गई हैं। हर जिले में कन्या छात्रावास की उपलब्धता को अनिवार्य बनाया गया है। बस्तर, सरगुजा और बिलासपुर संभाग में स्थानीय लोगों की भर्ती में तेजी लाने के लिए कनिष्ठ सेवा चयन बोर्ड का गठन, जिला संवर्ग में भर्ती की समय-सीमा दो वर्ष बढ़ाना, सभी वर्गों के युवाओं को विभिन्न विभागों में हजारों पदों पर भर्ती, कौशल उन्नयन और रोजगारपरक प्रशिक्षण जैसे अनेक उपाय किए जा रहे हैं। इतना ही नहीं बल्कि युवाओं के सर्वांगीण विकास के लिए खेल प्राधिकरण का गठन, राज्य स्तरीय युवा महोत्सव का आयोजन शुरू किया गया है, जिससे युवाओं को चौतरफा संभावनाएं दिखाई पड़ने लगी हैं। हम युवाओं को यह संदेश देने में सफल हुए हैं कि पढ़ाई के अलावा उनके कैरियर निर्माण के अन्य कई रास्ते तलाशे जा रहे हैं। गांव-गांव में युवा-शक्ति को रचनात्मक दिशा देने के लिए ‘राजीव मितान क्लब’ गठित किए जाएंगे। इन क्लबों को अपनी गतिविधियों के संचालन के लिए प्रतिमाह 10 हजार रूपए दिए जाएंगे।

दो हजार आंगनबाड़ी भवन निर्माण की मंजूरी

मुख्यमंत्री ने कहा कि मातृ शक्ति को समुचित अधिकार व आदर देने के साथ माताओं तथा शिशुओं की देखरेख में सहायक आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं, मिनी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं एवं सहायिकाओं का मानदेय 700 रूपए से 1500 रूपए तक बढ़ाया गया है। 10 हजार आंगनबाड़ी केन्द्रों को नर्सरी स्कूल के रूप में विकसित करने 2 हजार आंगनवाड़ी केन्द्र भवनों के निर्माण की मंजूरी दी गई है। मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना के तहत् सहायता राशि 15 हजार से बढ़ाकर 25 हजार रूपए की गई हैै।

किसानों को चार हजार करोड़ रूपए से अधिक का ब्याज मुक्त कृषि ऋण

बघेल ने कहा कि हमने किसानों को प्रति क्विंटल धान के लिए 2500 रूपए देने, अल्पकालीन ऋण माफी का वायदा निभाया है। इसके साथ ही मक्के की खरीदी समर्थन मूल्य पर करने, उद्यानिकी फसलों का विस्तार करने जैसे अनेक कदम उठाए हैं, जिससे किसानों की आय बढ़ाने में मदद मिल रही है। राज्य के इतिहास में पहली बार एक साल में ब्याज मुक्त कृषि ऋण प्रदाय ने 4 हजार करोड़ रूपए का आंकड़ा पार किया है, जो हमारी सरकार के प्रति किसानों के लगातार बढ़ते विश्वास के साथ ही। हमारी नीतियों को मिल रहे सहयोग और समर्थन का प्रतीक है। हमने प्रदेश के हर परिवार को खाद्यान्न और पोषण सुरक्षा देने के लिए सार्वभौम पीडीएस का वायदा निभाया है। अत्यंत जरूरतमंद परिवारों को 1 रूपए किलो की दर से 35 किलो चावल देने के अलावा ए.पी.एल. तथा अन्य वर्गों की जरूरतों का भी ख्याल रखा है। आदिवासी अंचलों में निःशुल्क रिफाइन्ड आयोडाइज्ड नमक, चना, गुड़ देने की व्यवस्था भी कर दी है।

‘नरवा, गरवा, घुरवा, बारी’ कार्यक्रम बन रहा आंदोलन

मुख्यमंत्री ने कहा कि ग्रामीण संस्कृति और अर्थव्यवस्था को समवेत करते हुए हमने ‘नरवा, गरवा, घुरवा, बारी’ के जरिये अपनी चिन्हारी को बचाने का बीड़ा उठाया, जिसके अंर्तगत 2 हजार से अधिक जलाशयों के वैज्ञानिक ढंग से विकास के कदम उठाए जा रहे हैं। 5 हजार से अधिक ग्राम पंचायतों में गौठानों का विकास किया जा रहा है, जिसमें से प्रत्येक विकासखंड में एक ‘मॉडल गौठान’ बनाया जा रहा है। लगभग 3 लाख 14 हजार मीट्रिक टन जैविक खाद का निर्माण और उपयोग किया गया है। अब यह कार्यक्रम आंदोलन का रूप ले रहा है।

पांच वर्षों में वास्तविक सिंचाई का रकबा दोगुना करने का लक्ष्य

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने पीने के पानी से लेकर सिंचाई और उद्योग तक के लिए पर्याप्त जल की व्यवस्था तेजी से करने की जरूरत समझी है। इसके लिए जल संसाधन नीति तैयार की जा रही है। सिंचाई विकास प्राधिकरण का गठन किया गया है। हमारा लक्ष्य है कि 5 साल में वास्तविक सिंचाई का रकबा दोगुना हो जाए। गांवों से लेकर शहरों तक अच्छी सड़कों का जाल बिछाने के लिए एक ओर जहां ‘प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना’ के अंतर्गत 3 हजार किलोमीटर से अधिक सड़कों का निर्माण कराया जा रहा है, वहीं ‘मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना’, ‘मुख्यमंत्री ग्राम गौरव पथ योजना’ सहित विभिन्न योजनाओं के तहत 10 हजार किलोमीटर से अधिक सड़कें बनाने की कार्ययोजना पर अमल किया जा रहा है। हमने प्रति माह 400 यूनिट तक बिजली खपत पर बिजली बिल आधा करने का वादा भी पूरा किया गया है। इसके अलावा प्रदेश को अधिक बिजली खपत वाला राज्य बनाने की दिशा में काम कर रहे हैं। विद्युत अधोसंरचना के विस्तार तथा उपभोक्ता सेवा में सुधार का कार्य दु्रतगति से किया जा रहा है। मुख्यमंत्री बनने के बाद मैंने दोनों सालों की शुरूआत श्रमिक भाई-बहनों के बीच जा कर की है। यह हमारा स्पष्ट संदेश है कि मेहनत करने वालों को सम्मान और अधिकार मिलना ही चाहिए, इसलिए हमने श्रमिकों के कल्याण के लिए कई नई योजनाएं शुरू की है। औद्योगिक स्थापनाओं में सेवारत कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु 58 से बढ़ाकर 60 वर्ष कर दी गई है। मासिक पेंशन योजना के तहत् 3 हजार रूपए दिए जाएंगे। असंगठित श्रमिकों के कल्याण हेतु समग्र नीति का निर्माण किया जा रहा है। संगठित श्रमिकों तथा निर्माण श्रमिकों के कल्याण हेतु नए कदम उठाए जा रहे हैं। इसके अलावा ‘दुकान एवं स्थापना अधिनियम’ के अंर्तगत पंजीकृत संस्थानों को वार्षिक नवीनीकरण तथा अन्य कई प्रावधानों से छूट दी गई है। श्रमजीवी पत्रकार साथियों की सेवानिवृत्ति की आयु भी बढ़ाकर 62 वर्ष कर दी गई है। हमने मध्यम वर्गीय परिवारों को आर्थिक समस्याओं से निजात दिलाने के लिए भी अनेक कदम उठाए हैं, जैसे छोटे भूखण्डों की खरीदी-बिक्री पर लगी रोक हटाई, गाइड लाइन दरों में 30 प्रतिशत तथा पंजीयन शुल्क में 2 प्रतिशत की कमी, नगरीय क्षेत्रों में 7500 वर्गफीट तक की सरकारी जमीन के 30 वर्षीय पट्टे, फ्री-होल्ड अधिकार, भू-भाटक से छूट, नामांतरण-डायवर्सन में सरलता, भुइयां सॉफ्टवेयर से जन सुविधा आदि। मेरा मानना है कि इन फैसलों से जनता को संवेदनशील सरकार की उपस्थिति का का अहसास हुआ है।

देश में सर्वश्रेष्ठ और सबसे बड़ी स्वास्थ्य सेवा योजना लागू

बघेल ने कहा कि सबको निःशुल्क उपचार की सुविधा देने के लिए हमने प्रदेश में दो नई योजनाएं लागू की हैं-‘डॉ. खूबचन्द बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना’ एवं ‘मुख्यमंत्री विशेष स्वास्थ्य सहायता योजना’। इन योजनाओं से 50 हजार से लेकर 20 लाख रूपए तक निःशुल्क उपचार की सुविधा राशन कार्ड के जरिये मिलेगी। जांच व राज्य के बाहर उपचार की सुविधा प्रदान की जाएगी। इस तरह हमने देश में सर्वश्रेष्ठ और सबसे बड़ी स्वास्थ्य सेवा योजना लागू कर दी है। हमने शहरों और गांवों में रहने वाले अनुसूचित जाति, जनजाति परिवारों तथा ऐसे तबकों की सेहत संबंधी जरूरतों को काफी बारीकी से समझा है, जो अस्पताल तक नहीं पहुंच पाते। इस तरह ‘मुख्यमंत्री हाट बाजार क्लीनिक योजना’ आदिवासी अंचलों में ऐसे परिवारों के लिए जीवनदायिनी बन गई है। इस योजना में अब-तक 2 हजार 309 हाट बाजारों में 13 हजार 214 शिविर आयोजित किए गए, जिसका लाभ 7 लाख 81 हजार मरीजों को मिला। ‘मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना’ के अंतर्गत 1 हजार 403 शिविर आयोजित किए गए, जिसका लाभ लगभग 1 लाख से अधिक मरीजों को मिल चुका है। हमने नई पीढ़ी को शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ बनाने हेतु प्रदेश स्तरीय सुपोषण अभियान शुरू किया है, जिसके तहत् आंगनवाड़ी केन्द्रों में प्रोटीनयुक्त पोषण के लिए चना, फल, अण्डा व स्थानीय स्तर पर उपलब्ध उत्तम सामग्री वैकल्पिक रूप से देने की शुरूआत की गई है। इस अभियान में डीएमएफ, सीएसआर से लेकर जनभागीदारी तक सबका सहयोग लिया जा रहा है। मेरा मानना है कि कुपोषण के खिलाफ निर्णायक जंग में अब पूरा प्रदेश एकजुट है।

‘सिरपुर एकीकृत विकास’ कार्य योजना पर होगा अमल

बघेल ने कहा कि हमने अपनी संस्कृति को मां के समान सम्मान दिया है, क्योंकि संस्कृति की गोद में संस्कार पनपते हैं। राज्य के प्रमुख त्यौहारों पर सार्वजनिक अवकाश देने के साथ, इन्हें लोकप्रिय बनाने के कदम भी उठाए गए हैं। इसी प्रकार अपनी विरासत को सहेजने की दिशा में भी काम किया जा रहा है। भगवान राम के वनवास काल से जुड़ी आस्थाओं का सम्मान करते हुए ‘राम वनगमन पर्यटन परिपथ’ के विकास का निर्णय लिया गया है। बौद्धकालीन विरासतों के सम्मान में ‘सिरपुर एकीकृत विकास’ कार्य योजना बनाई गई है। राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव के प्रथम आयोजन में भारत सहित 7 देशों, 24 राज्यों की भागीदारी से हम यह संदेश देने में सफल हुए हैं कि छत्तीसगढ़ सर्वधर्म-सर्वसमभाव-समरसता-सद्भाव और संस्कृतियों को बचाने वाला राज्य है। जनता की मांग पर अब यह आयोजन प्रतिवर्ष करने का निर्णय लिया गया है, ताकि हमारे प्रदेश की आदिवासी संस्कृति को दुनिया में सम्मान मिले और हम विश्व बंधुत्व के विस्तार में योगदान दे सकें। स्वामी विवेकानंद के प्रवास की यादों को चिरस्थायी और प्रेरणादायी बनाने के लिए रायपुर में वे जिस भवन में ठहरे थे, उसे स्मारक बनाने की कार्यवाही शुरू कर दी गई है। हमने पुलिस को जनसेवक के रूप में आचरण करते हुए जन-विश्वास अर्जित करने का लक्ष्य दिया है। मुझे खुशी है कि नक्सली मोर्चे से लेकर विभिन्न अपराधों की रोकथाम में सफलता मिली है। आगे भी सुरक्षा, विश्वास और विकास की त्रिवेणी पुलिस की कार्यप्रणाली का मुख्य अंग रहेगी।
मैं आज सबसे अपील करता हूं कि हमारे पुरखों के बलिदान और योगदान का सम्मान करने की प्रतिज्ञा लें। हमारे देश की स्वतंत्रता और संविधान से ही हमारा भविष्य सुरक्षित रहेगा। छत्तीसगढ़, संविधान की भावना के अनुरूप देश को प्रगति के शिखर पर पहुंचाने में अहम योगदान देगा। इसके लिए हम सब पूरी लगन, मेहनत और समर्पण से अपनी भूमिका निभाएंगे।

About the author

Mazhar Iqbal #webworld

Indian Journalist Association
https://www.facebook.com/IndianJournalistAssociation/

Add Comment

Click here to post a comment

Live Videos

Advertisements

Advertisements

Advertisements

Advertisements

Our Visitor

0511915