United Nations

वैश्विक भविष्य पर मंडराते ख़तरों पर पार पाने के लिए नए समाधान

यूएन मामले 22 जनवरी 2020/ संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंतोनियो गुटेरेश ने वर्ष 2020 के लिए अपनी प्राथमिकताएँ पेश करते हुए कहा है कि 21वीं सदी की समस्याओं से निपटने के लिए 21वीं सदी के ही समाधानों का सहारा लेना ज़रूरी है. यूएन प्रमुख ने बुधवार को सदस्य देशों को संबोधित करते हुए भू-रणनीतिक तनाव, जलवायु संकट, वैश्विक भरोसे के अभाव और टैक्नोलॉजी के नकारात्मक पहलुओं को नए दशक की बड़ी चुनौतियां क़रार दिया है.

यूएन प्रमुख ने कहा कि वर्ष 2020 में संयुक्त राष्ट्र अपनी स्थापना की 75वीं वर्षगाँठ मना रहा है जो भविष्य की ओर देखने का एक अवसर है. “हमें भविष्य की दिशा में आशा के साथ देखना होगा. लेकिन हमें ऐसा बिना किसी भ्रम के करना होगा.”
यूएन के समक्ष दरपेश चुनौतियों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि विश्व पर चार ऐसे ख़तरे मंडरा रहे हैं जो 21वीं सदी में हुई प्रगति और उसकी संभावनाओं के लिए जोखिम पैदा कर सकते हैं.
बढ़ता वैश्विक तनाव- वैश्विक भू-रणनीतिक तनाव को एक बड़ा ख़तरा क़रार देते हुए उन्होंने कहा कि श्विक तनाव हाल के समय में अपने उच्चतम स्तर पर है जिससे हिंसक संघर्ष, आतंकवाद, परमाणु हथियार, जबरन विस्थापन और विश्व में एक बड़ी दरार का जोखिम सामने है.इस चुनौती से निपटने के लिए शांति व सुरक्षा प्रयासों पर विशेष तौर पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा. युद्ध की रोकथाम, मध्यस्थता, शांतिरक्षा और टिकाऊ शांति के ज़रिए दीर्घकालीन विकास इन प्रयासों का अहम अंग होंगे.
“हमें मध्यस्थता की अपनी क्षमता को मज़बूत करना होगा और टिकाऊ शांति के औज़ारों को भी, जिससे लंबे समय के लिए विकास हो सके. हमें ऐसी परिस्थितियों का निर्माण करना होगा जिससे हमारे क्षेत्रीय साझेदार यूएन चार्टर के चैप्टर सात के तहत समुचित फ़ंडिंग के साथ असरदार ढंग से शांति लागू कर पाएं और आतंकवाद विरोधी अभियानों को आगे बढ़ाएं.”
जल रही है धरती- उन्होंने जलवायु संकट का नाम लिया जो मानवता के अस्तित्व के लिए ख़तरा है. बढ़ते तापमान और गर्म होती धरती से अतीत के रिकॉर्ड टूट रहे हैं, दस लाख प्रजातियों के विलुप्त होने का जोखिम है.
उन्होंने जलवायु संकट से मुक़ाबले के लिए कार्रवाई की महत्वाकांक्षा बढ़ाने पर ज़ोर दिया है. कार्बन उत्सर्जन को घटाने व उसके प्रभावों को कम करने, जलवायु अनुकूलन को बढ़ावा देने और जलवायु कार्रवाई के लिए वित्तीय संसाधनों का प्रबंध करना अहम होगा और इन कोशिशों को 2020 में स्कॉटलैंड के ग्लासगो शहर में होने वाले जलवायु सम्मेलन, कॉप-26, में मज़बूती देने की योजना है.
“अगले जलवायु सम्मेलन में – ग्लासगो में कॉप-26 – सरकारों को कायापलट कर देने वाले ऐसे बदलाव संभव बनाने होंगे जिनकी विश्व को ज़रूरत है और लोग जिनकी मांग कर रहे हैं – कार्रवाई के लिए बढ़ी हुई महत्वाकांक्षा के साथ ऐसा करना होगा.”
निष्पक्ष वैश्वीकरण की पुकार- विश्व में भरोसे का अभाव भी एक बड़ी चुनौती है, और लोग मान चुके हैं कि वैश्वीकरण उनके हित में नहीं है. राजनैतिक संस्थाओं में विश्वास घट रहा है. इस समस्या पर पार पाने के लिए एक ऐसा वातावरण बनाना अहम है जिसमें वैश्वीकरण सभी के लिए निष्पक्ष हो. विश्व नेताओं ने एक न्यायोचित व निष्पक्ष दुनिया के निर्माण के लिए वर्ष 2015 में एक एजेंडा पारित किया था. संयुक्त राष्ट्र वर्ष 2030 एजेंडा के उन लक्ष्यों को हासिल करने के लिए इस वर्ष ‘कार्रवाई के दशक’ की शुरुआत कर रहा है. “कार्रवाई के इस पूरे दशक में, हमें ग़रीबी उन्मूलन, सामाजिक सुरक्षा, स्वास्थ्य सेवाओं और बीमारियों, शिक्षा, ऊर्जा, जल, स्वच्छता, टिकाऊ परिवहन, बुनियादी ढांचे और इंटरनेट सुलभता में निवेश करना होगा.”
साथ ही महासचिव ने विश्व नेताओं से भरोसा बहाल करने के लिए प्रयास करने और अपने नागरिकों की बात सुनने का आहवान किया है ताकि युवाओं से रचनात्मक समाधान सुने जा सकें.
कसनी होगी कमर- डिजिटल टैक्नोलॉजी के आगमन से दुनिया में भारी बदलाव आया है लेकिन इसका एक स्याह पक्ष भी है. इससे श्रम बाज़ारों पर असर पड़ा है, नफ़रत भरे संदेशों की बाढ़ आ गई है और आर्टिफ़िशियल इंटेलीजेंस (कृत्रिम बुद्धिमता) से घातक स्वचालित हथियारों की आशंका गहरा रही है. विश्व में सकारात्मक बदलाव के लिए टैक्नोलॉजी का सहारा लेना अहम है लेकिन इसके लिए शिक्षा प्रणाली को नए सिरे से डिज़ाइन किया जाना होगा. यूएन प्रमुख के मुताबिक़ लोगों को बताना होगा कि जीवन-पर्यन्त किस तरह नई चीज़ें सीखी जा सकती हैं.
साथ ही साइबर अपराधों से निपटना, साइबर माध्यमों पर फैलती नफ़रत पर लगाम कसना, साइबर जगत में प्रभावी ढंग से नियमों को लागू करना और घातक स्वचालित हथियारों पर पाबंदी लगाना महत्वपूर्ण होगा.

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