United Nations

टिकाऊ विकास पर प्रगति के आकलन के लिए नया इंडेक्स जारी

नीति आयोग ने सोमवार को एसडीजी इंडेक्स से जुड़े आंकड़ों को जारी किया.

30 दिसम्बर 2019/ भारत में नीति आयोग ने टिकाऊ विकास लक्ष्यों (एसडीजी) पर आधारित ‘इंडिया इंडेक्स’ का दूसरा संस्करण जारी किया है जिससे यह जानने में मदद मिलेगी कि 2030 एजेंडा को हासिल करने में भारत के राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा किए गए प्रयास कितना सफल रहे हैं.
‘एसडीजी इंडिया इंडेक्स’ को भारत के सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय, संयुक्त राष्ट्र भारत कार्यालय और ग्लोबल ग्रीन ग्रोथ इंस्टीट्यूट के सहयोग से विकसित किया गया है. नीति आयोग के उपप्रमुख डॉक्टर राजीव कुमार ने सोमवार को आयोजित एक कार्यक्रम में इस इंडेक्स को जारी किया.
इस अवसर पर डॉक्टर कुमार ने कहा कि, “नीति आयोग राज्य स्तर पर क्षमता निर्माण और प्रगति की निगरानी के लिए प्रतिबद्ध है. अगले 5 वर्षों में राज्यों के साथ उचित समन्वय से एसडीजी को स्थानीय तौर पर तेज़ी से लागू किया जाएगा और हालात में सुधार सुनिश्चित किया जा सकेगा.”
संयुक्त राष्ट्र की रेजिडेंट कोऑर्डिनेटर रेनाटा डेज़ालिएन ने कहा कि, “वर्ष 2020 में दुनिया एसडीजी हासिल करने के अंतिम दशक में प्रवेश कर रही है – यानि कार्रवाई का दशक. जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल से हमें पता चलता है कि पृथ्वी को जलवायु परिवर्तन के बुरे प्रभावों से बचाने के लिए हमारे पास केवल 12 साल बचे हैं. तो कार्रवाई का समय यही है.”
“एसडीजी इंडिया इंडेक्स 2.0 और डैशबोर्ड से भारत को अपने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के एसडीजी लक्ष्यों में प्रगति को मापने ओर प्रोत्साहन देने में मदद मिलेगी.”
नया एसडीजी डैशबोर्ड – एसडीजी इंडिया इंडेक्स-2019 अब एक ऑनलाइन डैशबोर्ड पर उपलब्ध है जो नीति, नागरिक समाज, व्यवसाय और शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए विशेष रूप से प्रासंगिक है.
इंडेक्स को नीति संवाद, निर्माण और कार्यान्वयन के लिए एक उपकरण के रूप में कार्य करने के लिए बनाया गया है, जो वैश्विक स्तर पर विकास मापने के मापदंडो के अनुरूप होगा.
इंडिया इंडेक्स एसडीजी की निगरानी से संबंधित कमियों को रेखांकित करेगा और देश/राज्य/केंद्रशासित प्रदेशों में सांख्यिकीय प्रणालियों में सुधार की आवश्यकता को उजागर करने में भी मदद करेगा.
ये सूचकांक डेटा संग्रह, रिपोर्टिंग और कार्यप्रणाली में सुधार की आवश्यकता पर भी प्रकाश डालता है. साथ ही वास्तविक समय में निगरानी और प्रगति मापने के लिए डेटा एकत्र करने और क्षमता विकसित करने के लिए साझेदारी की तलाश की जा रही है. ♦♦

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